Diabetes(मधुमेह) kya hai, karan, lakshan, parhej aur ilaj

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Diabetes




NOTE:- शहद बाजार की कंपनी वाला न इस्तेमाल करके असली शहद का इस्तेमाल करें ।  क्यों की बाजारू शहद में मिलावट होती है। असली शहद मधुमेह में फायदा करता है।  लेकिन नकली शहद जिसमे चीनी आदि की मिलावट होती है वो नुकसान कर सकता है। 

इस पोस्ट में जहाँ जहाँ शहद इस्तेमाल करने को बोला जायेगा वहां वहां आपको असली शहद ही लेना है। 



 मधुमेह (diabetes) क्या है ?


आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से:

प्रमेह 20 प्रकार के होते हैं जिनमे से मधुमेह एक है। 

चरक ऋषि ने मधुमेह का कारण कफकारी भोजन बताया है  और धातुओं का क्षीण होना भी माना है। तो मतलब यह भी संभव है की पहले कफकारी आहार खाने के कारण कफ बढ़ जाता है और प्रमेह उत्पन कर देता है। 


Madhumeh kya hai:-

पेशाब में मधुरता आना ही Diabetes है। 

आयुर्वेद के अन्य ग्रंथो में भी लिखा है की अपने अपने दोषो (वात-पीत-कफ) और कारणों से कुपित होकर जब वायु अपने रुक्ष स्वाभाव के कारण ओज शक्ति को खींच लेता है और मूत्राशय में ले जाकर पेशाब द्वारा निकालने लगता है तब madhumeh नामक प्रमेह उत्पन हो जाता है।

जब खाया हुआ खाना आंतो में पच जाता है फिर वह अंतिम पाचन होने के लिए अथवा रक्त बनने के लिए एक नस द्वारा जो इसी काम में आती है तब हमारे लिवर को भेज दिया जाता है। वहां वह रस रक्त बनता है। 

Madhumeh kya hota hai:-

जो भी carbohydrates (starch और चीनी) हम अपने खाने में ग्रहण करते है। उसका भी वह रस को निचोड़ कर सीधा लिवर के पास भेज देता है। क्यों की हम सब जानते है लिवर के पास सार अंश ही भेजा जाता है। तब वह carbohydrates  हमारे खून में direct  नहीं मिलता उसको खून में मिलने लायक चीनी में बदलना होता है।  और यह काम लिवर करता है। क्यों की खून लिवर में ही तो बनता है और जितनी चीनी की जरुरत होती है उतनी ही मिलती है और जो चीनी खून में मिलती है वह घुलन शील होती है। और कुछ चीनी जो खून में नहीं घुल पाती उसे भी लिवर ही अलग कर देता है जिसे हम glycogen कहते हैं। 

फिर कभी आगे जब कभी लिवर कमजोर हो जाता है और अपना काम सही ढंग से नहीं कर पाता तब खून को जितनी चीनी की जरुरत होती है उस से ज्यादा मिल जाती है और बाद में वह kidney में छन्ने के लिए चला जाता है।  तब फालतू की चीनी अलग कर दी जाती है जिसे glucose कहते हैं।  इसीलिए पेशाब में पायी जाने वाली चीनी को डॉक्टर लोग ग्लोकोसुरिया रोग बोलते है। 

Pancreas से एक तरह का रस निकलता है जिसे हम insulin कहते हैं। इसी रस से चीनी और स्टार्च पचता है , और खून में मिलने लायक बनाता है।  इन्सुलिन की कमी से मधुमेह होता है क्युकी बिना इसके चीनी और स्टार्च का पाचन नहीं हो पाता। 

फिर मधुमेह का रोगी जो भी कार्बोहाइड्रेट्स या स्टार्च खाता है उसकी बिना पची हुई चीनी रक्त वाली नसों में आ जाती है।  उसका अपना शरीर कोई भी उपयोग तो कर नहीं पाता तो फिर यही चीनी बार बार पेशाब में आती रहती है। 

पैंक्रियास और लिवर दोनों ही जब ख़राब हो जाने लगते हैं तब मधुमेह रोग होना शुरू मानना चाहिए। 



मधुमेह के कारण Madhumeh ke karan or the cause of diabetes:- 

अत्यंत सुखपूर्वक बैठे रखने से, परिश्रम न करने से, अधिक दही खाने से, ग्राम्य जीव (बकरी,गाय,कुत्ता, बिली आदि) खाने से, जल जीव खाने से, और जल के निकट रहने वाले जीव अधिक खाने से, दूध अधिक पीने से, नए अन्न, जल, गुड़ या अधिक मिठाई खाने से, शराब अधिक पीने से, और सब प्रकार के कफ को बढ़ाने वाले  पदार्थो के अधिक सेवन से, प्रमेह रोग उत्पन होते हैं। 



Madhumeh ke lakshan:

इसमें मुख्यतः दो प्रकार के रोगी पाए जाते हैं :

पहला वह है जिन को भूख भी काम लगती है और प्यास भी ज्यादा नहीं लगती।  इनकी भूख और प्यास बड़ी साधारण सी रहती है इसीलिए इनके पेशाब में चीनी की मात्रा कम ही रहती है। यह लक्षण उनमे मिलता है जिनके यह रोग 40 वर्ष के बाद होता है। 


दुसरे वह हैं जिन्हे भूख प्यास अधिक लगती है खाते भी बहुत और इनके पेशाब में चीनी भी अधिक मात्रा में मिलती है। यह ज्यादातर युवा मधुमेह रोगियों में देखा गया है। 


Symptoms of diabetes:-

1. रोगी के सर में दर्द रहना और आलस्य बना रहना। 

2. यदि स्त्रियों को यह रोग होता है तो मासिक धर्म में गड़बड़ी होना और पुरुष को होता है तो मैथुन शक्ति में कमी आना या रोग होना। 

3. मोतिया बिन्द भी अक्सर देखा गया है। 

4. किडनी में भी सूजन आने की वजह से आखों के रोग होते हैं। 

5. कान की झिल्ली सुख जाना जिसके कारण कम सुनाई देना। 

6. बेहोशी होना या चक्कर आना। 

7. जब यह रोग बढ़ जाता है तब अस्थमा, pneumonia, दस्त होते हैं जिसके कारण मृत्यु भी हो सकती है।  अकेले मधुमेह से मृत्यु नहीं होती इसके साथ जो रोग उत्पन होते हैं वो मृत्यु का कारण बनते है। 

8. मामूली चोट लगने पर भी बहुत बड़ा घाव बन जाना। 

9. लिवर सोराइसिस हो जाना। 

10. पेशाब की मात्रा अधिक बढ़ जाना। 


Fruit good for diabetes or how to control diabetes:- 

ज्यादातर डॉक्टर्स मानते हैं की रोगी को ज्यादा स्टार्च वाली चीजें नहीं कहानी चाहिए। 

इसीलिए यहाँ कुछ स्टार्च की परसेंटेज के हिसाब से फल सब्जियां बता रहा हूँ जिस से की आपको आसानी रहे। 


5 प्रतिशत से कम स्टार्च वाले फल

तरबूज, ताड और पक्का टमाटर। 


6 से 10 प्रतिशत स्टार्च वाले फल

अंगूर, अमरुद पहाड़ी, बेदाना नारंगी, पपीता, आड़ू, स्ट्रॉबेरी। 


11 से 20 प्रतिशत वाले फल

सेब, मकोय, अंजीर, अमरुद, जामुन, पक्का आम, देशी नाशपाती, पहाड़ी केला, अनार। 


5 प्रतिशत से कम वाली सब्जियां :-

बथुआ, चौरई के डंठल, पेठा, करेला, घीया, कद्दू, पालक, गोभी, सहिजन, मूली, टमाटर। 


6 से 10 प्रतिशत वाली सब्जियां:-

लाल चौरई, पत्ता गोभी, गाजर का पत्ता, धनिया का पत्ता, अजवाइन का पत्ता, मेथी का साग, पुदीना, अगस्त, मकोय, गाजर, छोटा करेला, बैंगन, सेम, गुवार की फली, भिंडी, प्याज का साग। 


11 से 20 प्रतिशत वाली सब्जियां:-

सहिजन, बड़ी प्याज, छोटी प्याज, जमीकंद, गाँठ गोभी। 


वैसे तो कुछ डॉक्टर्स कहते हैं की बकरे का मॉस, अंडे, पनीर, मुर्गी का मॉस, मछली आदि रोगी खा सकते है।  क्युकी इनके अंदर स्टार्च नहीं पाया जाता और ये प्रोटीन वाली चीजें हैं। लेकिन प्राकर्तिक चिकित्सा के अनुसार यह भोजन भी गलत है और इलाज भी सही नहीं है।  


Madhumeh mein kaun si dava rogi ko di jaati hai:-


Jambolanum Or S. Cumini (Black Plum)


यह दवा जामुन से ही बनी है और जैस की सब जानते हैं की जामुन शुगर की बीमारी में बहुत लाभदायक है। यह दवा homeopathy medicine for diabetes है।


Madhumeha ayurvedic medicine:-

1. गुड़मार की जड़ तीन ग्राम की मात्रा में एक गिलास पानी के साथ नित्य सेवन करने से इस बीमारी का इलाज होता है। 

2. बेल के पत्ते का रस 2 चमच और शहद 1 चमच आपस में मिक्स करके चाटने से लाभ होता है। 

3. 6 ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण शहद के साथ चाटने से इस बीमारी से निजात मिलती है। 

4. तीन  ग्राम जामुन की गुठली का चूर्ण और 3 ग्राम गुड़मार के पतों का चूर्ण आपस में मिक्स करके पानी के साथ सेवन करें। 

5. 6 रति(750mg) शिलाजीत शहद के साथ चाटने से इस बीमारी का रामबाण इलाज है।



Madhumeh ki ayurvedic dava by yogratnakar:-

1. गिलोय का रस शहद के साथ चाटने से सब प्रकार के प्रमेह सही होते हैं। 

2. हल्दी का कल्क के साथ शहद चाटने से भी इस बीमारी का नाश होता है। 

3. आंवले के रस में शहद मिला करके चाटने से भी लाभ होता है। 

4. त्रिफला, दारुहल्दी, माहिरि की जड़, नागरमोथा,सब बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना करके उसमे हल्दी का कल्क और शहद मिला के पीना चाहिए।  इस से सभी प्रकार के पुराने प्रमेह भी ठीक होते हैं, शुगर की तो बात ही क्या। 

5. बायविडिंग, हल्दी, मुलेठी, सोंठ, और गोखरू बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना लें फिर उतार कर छान कर ठंडा होने पे शहद मिला के पीना चाहिए।  इस से कठिन से कठिन शुगर की बीमारी भी ठीक होती है। 

6. पलाश के फूलों का काढ़ा बना के उसमे देशी तागे वाली मिश्री का 2 चुटकी मिला के पीने से अनेको प्रकार के प्रमेह सही होते हैं। 

7. संख्या में बीस काली मिर्च का चूर्ण बना लें फिर उसमे भूमी आंवले का रस 18 ग्राम की मात्रा में मिला लें और इसका सेवन करें।  यह असाध्य प्रमेहो को भी नष्ट करता है और आयुर्वेद के हिसाब से एक सप्ताह में सभी प्रकार के प्रमेहो को नष्ट करता है। 

8. निर्मली के बीजों 12 ग्राम लेके छाछ के साथ पीस लें, फिर उसमे शहद मिला करके चाटे।  यह पान करने से शीघ्र ही प्रमेह जाल को इस प्रकार नष्ट करता जैसे श्री राम ने रावण को नष्ट किया था। 

9. त्रिफला, शुद्ध शीलजीत, लोह भस्म इनमे से किसी भी एक को औषधि को लेकर शहद के साथ सेवन करने से सारे प्रमेह ठीक होते हैं। 


क्या खाएं:-

सांवा, कोदो, गेहूं, चना, अरहर, शालीधन के चावल, मूंग, कुल्थी यह सब हितकर है। इसमें जौ विशेष लाभदायक है। क्युकी मेदनाशक, मूत्र को बाँधने वाला और सब धातुओं के लिए हितकर है। कड़वे रस वाले शाक, परमल, सेंधानमक, काली मिर्च इन सब चीजों को अपने नित्य काम में लावे। 

सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, टिंडा, चौलाई, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, बोकली, टमाटर, बंदगोभी, काला चना, बीन्स, शिमला मिर्च, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आहार में शामिल करें। इनसे बने सूप का भी सेवन करें।


क्या ना खाएं:- 

 सदा आसान पे बैठे रहना, दिन में सोना, नए अन्न का भक्षण, दही, मूत्र के वेग को रोकना, धूम्रपान करना, पसीने निकलने वाले कर्म करना, तेल, घी, गुड़, खट्टे पदार्थ, गन्ने का रस, आलू, साधारण चावल, मटर, गाजर, आरारोट, साबूदाना, खजूर, मुनक्का, अंजीर, किशमिश, सोयाबीन, रोगी त्याग देवें यह अपथ्य है। 


Note:-

साधु संतो की तरह दिन भर घूमने से, उन्ही की तरह खाना खाने से, या बहुत बहुत पैदल चलने से, यह बीमारी ठीक होती है। बिना की औषधि के। पुराने समय में जिनको यह बीमारी होती थी उनको कुवां खोदने के लिए कहते थे, जब तक कुवा पूरा होता बीमारी भी ठीक हो जाती। 

कहने का मतलब यह है के इस बीमारी में कमजोरी न होने दे और खूब मेहनत करें। 

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