Fatty liver ke karan, lakshan, parhej aur ilaj

Ayurved4LIfe
0

 

Fatty liver ka ilaj



Fatty liver kaise hota hai or causes of fatty liver:- 

जो मनुष्य शरीर में जलन करने वाले पदार्थ का अधिक सेवन करता हो, कुल्थी, सरसों का साग, उरद, और बिना जमी दही का अधिक सेवन करता हो शराब या देर से पचने वाले पदार्थो का अधिक सेवन करता हो, एलॉपथी की गोलियां जो लिवर को डैमेज करती हैं जिसके कारण शरीर में कफ बढ़ जाता है और रक्त भी दूषित हो जाता है, इन कारणो से यकृत और तिल्ली बढ़ जाती है। 

Nonalcoholic fatty liver disease:-

ऊपर बताये गए कारणो की वजह से भी और मलेरिया आदि बीमारी होने के बाद भी यकृत तिल्ली बढ़ जाती है। यह शराब के कारण नहीं होता इसीलिए इसकी नॉन अल्कोहलिक कहते हैं। 

Alcoholic fatty liver:-

जो व्यक्ति शराब का अत्यधिक सेवन करता है उनका यकृत फूल के कछुए जैसा हो जाता है।  जो शराब के कारण यकृत बढे उसी को हम अल्कोहलिक फैटी लिवर बोलते हैं। 

Fatty liver symptoms or फैटी लिवर के लक्षण:-

दूषित रक्त से बढे हुए के लक्षण :-

ग्लानि होना, कमजोरी आना, चकर आना,  शरीर का रंग बदल जाना, शरीर में भारीपन आदि।   

पित्त की वजह से बढे हुए के लक्षण :-

बुखार आना, प्यास का अधिक लगना, शरीर में जलन और विशेष करके शरीर का पीला हो जाना। 

कफ की वजह से बढे हुए के लक्षण :-

पेट और प्लीहा जकड़ा सा रहता है, गैस बन ना, पाचन क्रिया का सही ना रहना, और पसलियों के निचे सुई चुभने जैसी वेदना होती है। 

Fatty liver treatment:- 

1. पुराना गुड़ और बड़ी हरड़ बराबर मात्रा में लेके चूर्ण करके गरम जल के साथ पीने से यकृत प्लीहा दोनों में आराम होता है। 

2. पीपरी/पीपल का चूर्ण दूध के साथ या फिर गुड के साथ खाने से इस बीमारी में लाभ होता है। 

3. बड़ी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में लेके गरम पानी के साथ पीने से इस बीमारी में लाभ होता है। 

4. शंख नाभि भस्म  एक चुटकी से भी कम मात्रा में लेके निम्बू के रस के साथ लेने से कछुए जैसा भयंकर बढ़ा हुआ लिवर भी ठीक हो जाता है।  शंख नाभि भस्म  का सेवन करते समय शराब का सेवन बिलकुल बंद होना चाहिए नहीं तो नुकसान कर सकती है। 




1. सरफोंका की जड़ को आधी चमच चूर्ण लेके उसको गाये के दूध की छाछ में मिला के पीने से अति भयंकर बढ़ी हुई यकृत पलीहा भी ठीक होती है। 

2. खूब पक्के हुए आम के रस में शहद मिला के पीने से इस बीमारी में लाभ पहुँचता है। 

3. आक के पत्तो को सूखा करके उसका का चूर्ण बना के पुराने गुड़ के साथ खाने से इस बीमारी में फायदा पहुँचता है। 

4. बथुए के लगभग आधा से एक कप ( जैसी जिसकी क्षमता) लेके उसमे एक ग्राम सांभर नमक मिला के अलग रख लो, फिर आपको दस भुने हुए  चने लेके चबाने है ध्यान रखने वाली बात यह है की उनको सिर्फ चबाना है निगलना नहीं है , खूब चबाने के बाद उन चनो को बहार थूक दो और तुरंत वो जो बथुए का रस रखा हुआ था तुरंत ही पीलो।  चने खाने से मुख के अंदर लरक का मुँह खुल जाता है और वो कुछ ही देर के लिए खुलता है अगर आपने रस पीने में देरी की तो वो लरक का मुख बंद हो जायेगा और बथुए का रस पीने का कोई फायदा नहीं रहेगा। 


Fatty liver ka upchar:-

1. लहसुन, पीपरामूल और हरड़ के चूर्ण को सबको घोट के गौ मूत्र के साथ पीने से इस बीमारी में लाभ होता है। 

2. भुनी हुई अजवाइन, चित्रक, जोखार, वच, दंति और पीपल इन सभी को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के पांच ग्राम की मात्रा में लेके गरम जल के साथ सेवन करने से फायदा होता है।  

3. एक हांड़ी में पानी भरकर उसमे खूब गरम किये हुए लोहे को भुजा दो।  उस पानी के सेवन से इस बीमारी में लाभ पहुँचता है।  इसको लोहा भुजाया पानी कहते हैं। 

4. आम का अचार यकृत प्लीहा के काफी अच्छा लिवर के लिए घरेलु इलाज है। 

5. फैटी लिवर वाले रोगी के गले में प्याज लटकाने से काफी जल्दी आराम मिलता है। 

6. ऊंटनी का दूध बहुत फायदेमंद होता है इसमें। 

लिवर की लेप चिकित्सा:- 

1. सरसों के तेल को हल्का नवाया करके प्लीहा यकृत पे  मालिश करने से फायदा होता है। 

2. राइ का लेप करने से फायदा होता है। 

3.तारपीन का तेल की मालिश करके उसके ऊपर गरम जल से सेक करने से भी फायदा होता है। 

4. गौ मूत्र को गरम करके सेक करने से भी फायदा होता है।

 
Fatty liver ka ayurvedic medicine:-

1. बायविडिंग, भुनी हुई अजवाइन, चित्रक मूल यह सब पचास पचास ग्राम, देवदारु, सोंठ और पुनर्नवा यह सब सौ सौ ग्राम और निशोथ दो सौ ग्राम  इन सब को लेकर चूर्ण बना लें।  फिर इन सबके मिक्सचर चूर्ण की पांच ग्राम की मात्रा लेके गरम दूध के साथ या गौ मूत्र के साथ पीने से कछुए जैसे भयंकर लिवर भी नार्मल हो जाता है। इस से बढ़कर कोई नोखा नहीं है। गौ मूत्र के साथ अध्भुत है।  सुबह खाली पेट सेवन करें।  

2. समुन्दर की सीप  की भस्म एक चुटकी से भी काम दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है। 

3. भूमि अमला का चूर्ण, पुनर्नवा का चूर्ण, कुटकी का चूर्ण, शरपुन्खा का चूर्ण रोहित पेड़ की छाल इन सबका मिक्स चूर्ण या फिर इनमे से किसी भी एक का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से इस बीमारी में लाभ होता है। 


पथ्य और अपथ्य:-

जिन जिन कारणो से यह बीमारी होती है वह सब ना करें।  शराब का सेवन, तीखा मसालेदार भोजन का सेवन ना करें, बहार का खाना ना खाएं। 

अजवाइन, आम का अचार, पीपल और सोंठ इनका ज्यादा इस्तेमाल करे।  अकेले गौ मूत्र के सेवन से बाकि कोई औषध ना भी लें तो भी ठीक हो जाओगे। 




Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)