Pathri ke karan, lakshan aur kidney and gall bladder stone ka ilaj

Ayurved4LIfe
0




Pathri:-

पथरी को आयुर्वेद में अश्मरी कहा गया है। यह रोग चार प्रकार का होता है वात, पीत, कफ और शुक्र।  शुरुवात में सभी प्रकार के पथरी रोग श्लेष्मा(यह एक प्रकार की ग्रंथि होती है) को ही आश्रय करके रहते हैं। 

इन्ही कारणों से kidney stone (gurde ki pathri) और gall bladder(pitt ki thaili mein pathri) में पथरी होती है। 

सभी प्रकार की पथरी यम के सामान मानी गयी है। 


Pathri kaise hoti hai:-

बहुत अधिक calcium खाने से, मल मूत्र के वेग को रोक के रखने से।  जब शरीर की वायु बस्ती(gall bladder) स्थान को कुपित करती है तब बस्ती((pittashay) में स्थित हुए शुक्र, कफ, पीत,  सहित मूत्र को सूखा देती है।  जिस से की वो बाद में पथरी बन जाती है। जैसे गाय के पीत सूखने के बाद गोरोचन बन जाता है वैसे ही मनुष्य का मूत्र सूखने के बाद अश्मरी बन जाती है। 


Pathri ka dard:-

सभी प्रकार की पथरी एक दोष के आश्रय नहीं रहती मतलब के अनेक दोषों से युक्त होती है। जब यह पथरी बनती है तब बस्ती(urinary bladder Pitt ki thaili mein pathri ) में वात बढ़ जाता है  और मूत्राशय के आसपास के स्थानों जैसे मूत्राशय के ऊपर निचे, लिंग में, अंडकोषों में अति पीड़ा होती है। 

इसमें बकरे के मूत्र जैसी गंध हमारे मूत्र में आती है। 


Pathri ke lakshan, kidney stone symptoms, gallbladder stone symptoms:-

मूत्र रोग, बुखार होना, खाने में अरुचि, पेट में, कमर में, मूत्राशय में या उसके अगल बगल में, सर में पीड़ा होना। पथरी के मूत्र मार्ग अवरोध होने के कारन मूत्र कई धार से होता है जब वह अवरोध नहीं करती तब सुख पूर्वक मूत्र होता है। 

कई बार इसको क्षति पहुंचने पर रक्त के साथ मूत्र होता है। और मूत्र करते समय बल लगाने से भी पीड़ा होती है। 

Pathri hone ke lakshan:- शरीर में दुर्बलता आना, अंगो में ग्लानि महसूस होना, शरीर में बल ख़त्म हो जाना, खाने में अरुचि होना, खून की कमी हो जाना जिसे एनीमिया कहते हैं, शरीर गरम रहना, बार बार प्यास लगना, हृदय में भी पीड़ा होना, उलटी होना या उलटी जैसा मन होना। 


वातज अश्मरी:-

जिस अश्मरी रोग में बहुत ज्यादा पीड़ा होती है, जिस से मनुष्य दांत कटकटाता रहता है, काँपता है, लिंग को मर्दन करता है निरंतर नाभि को पीड़ित करता है, पाद सहित मल निकलता है और बार बार बूँद बूँद मूत्र त्याग करता रहता है।  


पितज अश्मरी:-

जिसके मूत्राशय में जलन महसूस होती हो, चोट पकने के सामान ही पीड़ा होती हो, शरीर गरम रहता हो, शरीर में पीत दोष के लक्षण दिखाई देते हो उसे पित्तज अश्मरी समझना चाहिए। 


कफ अश्मरी :-

जिसमे मूत्राशय में सुई चुभने से पीड़ा होती हो, शरीर में शीतलता हो लेकिन शरीर भरी हो, आलश्य भरा हो कफज अश्मरी जाननी चाहिए। 


शुक्राशमरी testicle stone:- 

जो मनुष्य सम्भोग के समय या फिर हस्तमैथुन के समय, जब वीर्य आने को होता है उसे हठ पूर्वक या जान बुझ के रोक लेते हैं या बहार नहीं निकलने देते।  तब वह वीर्य कुपित होक लिंग में जो वायु होती है वह उसे मूत्राशय और अंडकोष के बीच या फिर अंडकोषों में सूखा देती है जिसे अंडकोष की पथरी बनती है। 



Pathri ki dawai:-

👉 वरुणा की छाल, सोंठ और गोखरू सम भाग लेके काढ़ा बना के उसमे थोड़ी सी जोखार डाल के पुराने गुड़ के साथ सेवन करने से वात अश्मरी ठीक होती है। 


👉 पत्थर चट्टा का काढ़ा बना के उसमे शुद्ध शिलाजीत मिला के थोड़ी सी मिश्री मिला के पान करने से पीत की अश्मरी ठीक होती है। 


👉 सहजन और वरुण की छाल को सामान भाग लेके काढ़ा बना के उसमे जोखार मिला के पीने से कफ अश्मरी ठीक होती है। 


👉 पेठे का रस लगभग 100 ml  लेके उसमे २ चुटकी जोखार मिला के पुराने गुड़ के साथ सेवन करने से शुक्र अश्मरी,  अंडकोष की पथरी ठीक होती है। 


👉टिंडों की सब्जी चाहे आपको किसी भी लगती हो लेकिन कच्चे टिंडों का रस निकाल कर 50ml की मात्रा में 1 ग्राम जौखार मिला के हल्का गरम गरम सुबह शाम खाली पेट पीने से 7 से 10 दिन में मामूली पत्थरी खत्म कर देता है। 


ज्यादा हो तो एक महीने तक सेवन करें। 

यह तासीर में ठंडा होता है। अतः गर्मियों में जरूर सेवन करें।

कफ पित्त नाशक है।

वात रोगी टिंडे का सेवन ना करें या कम करें।

जिनको मूत्र रुक रुक कर कम आता है उनके लिए भी टिंडे की सब्जी फायदेमंद है।


kidney stone treatment:-

👉 कोरया की छाल का चूर्ण खाकर के ऊपर से  दही पीएं।  इस से लिंग में या लिंग वाहिनी में फसे हुए पथरी के कण निकलते हैं। और kidney stone के साथ साथ सब जगह की पथरी भी ठीक होती है। 


 👉 एरंड, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, गोखरू और ताल मखाना सभी बराबर मात्रा में लेके सबका मिक्सचर का पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ पीस के दही या शहद के साथ चाटने से kidney stone के साथ साथ सभी तरह की पथरी नष्ट होती है। 


Pathri ka ilaaj:-

👉सहिजन की जड़ का काढ़ा बना करके गर्म गर्म पीने से कुछ ही दिन में अश्मरी नष्ट होती है। 

👉शुद्ध शिलाजीत को मधु के साथ चाटने से सभी तरह की पथरी, सभी तरह के मूत्र विकार नष्ट होते है। 

👉कचरी की जड़ को बासी पानी के साथ पीस कर पीने से मात्रा तीन दिन में सभी तरह की पथरी नष्ट होती है। यह बहुत अध्भुत नुस्खा है। 

👉अर्कपुष्पी को गाय के दूध के साथ पीसकर रोज सुबह खली पेट पीने से सभी तरह की अश्मरी नष्ट करता है। 

👉 5 ग्राम शतावरी के चूर्ण को रात को मिश्री मिले हुए दूध के साथ सेवन करने से पथरी तो ख़तम होती है उसके साथ साथ नपुंसकता भी ख़त्म होती है, माताओं में दूध बढ़ने में भी सहायक है। 


 Gall bladder stone treatment:-


👉गोखरू के बीजों का चूर्ण शहद के साथ चाट के भेड़ का दूध पीटा है उसकी 7 दिन में पथरी नष्ट हो जाती है।  अगर बहुत ज्यादा मोटी है तो बहुत कम हो जाती है। 

👉तिलनाल के क्षार को मधु और दूध के साथ सेवन करने से 3 दिन में सामान्य पथरी नष्ट होती है। बड़ी है तो कम हो जाती है।    

👉पत्थर चट्टा, वरुण की छाल, गोखरू, एरंड, छोटी कटेरी और ताल मखाना इन सभी को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना के उसमे दही मिला के पीने से सब तरह की पथरी pittashay ki pathri, pit ki pathri, gurde ki pathri नष्ट करता है यह  सर्वोत्तम है। 



आयुर्वेदिक दोहे पथरी के लिए Pathri ka desi ilaaj

👉 मुली की शाखों का, रस निकाल 100 ग्राम।

3  बार दिन में पीजिये, होये पथरी में आराम।।


👉 2  चम्मच रस प्याज की लीजिये, मिश्री संग पी जाय।

पथरी केवल 20 दिन, में गल के बाहर आय।।


👉 आधा कप अंगूर का रस, केसर थोड़ा मिलाय ।

पथरी में हो आराम, जो रोगी प्रतिदिन खाय।।


👉 सदा करेला रस पीजिये, सुबहा हो या शाम।

2  चम्मच की मात्रा, पथरी में आराम।।


👉 एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलइ।

मिश्री सँग लें 20  दिन, पथरी दे न दिखाई।।


👉 खीरे का रस पीजिये, कुछ दिन 30  ग्राम।

लगातार सेवन करें, हो पथरी में आराम।।


👉 बैंगन भुर्ता बीज बिन,15  दिन जो खाय।

गल-गल करके सारी, पथरी बाहर आय।।


👉 ले कर कूलथी दाल की, पतली मगर बनाय।

इसको रोजाना खाय तो,पथरी बाहर जाय।।


Pathri ki dawa homeopathic:-

Berberis vulgaris:- 6-7 बूँद आधे कप पानी में रोज सुबह खाली पेट पियें। 


Pathri ke gharelu upay:-

1. बथुए के साग को धोकर पानी में खूब उबालें, फिर इसको छान ले, फिर इसमें काली मिर्च का चूर्ण, भुना हुआ जीरा, और थोड़ा सा सेंधा नमक मिला कर दिन में कई बार पीएं फायदा होगा। 

2. भोजन के साथ खीरा, गाजर, मूली और चकुंदर का सेवन करे। 

3. प्याज का रस सुबह खली पेट पियें लाभ होगा। 

4. भुना हुआ जीरे के चूर्ण शहद के साथ चाटने से पथरी पेशाब के साथ घुलकर बहार आजाती है। 

5. आंवले का चूर्ण सुबह खली पेट मूली पे लगा के खाने से भी पथरी बहार आती है। 

6. गाजर, चकुंदर, ककड़ी, और खीरा इन सबका जूस लगभग 1  कप निकाल लें उसमे थोड़ा सा सेंधा नमक डाल के पियें। 

7. दो चमच करेले के रस थोड़ा सा सेंधा नमक और ज़रा सा शहद मिला कर चाटें। 


पथ्य Pathri me kya khana chahiye:-

 कुल्थी, मूंग, गेहूं, शालिधान्य के चावल, जौ, चौरई का साग, अदरक, पेठा, जोखार, खीरा, मूली, चकुंदर, गाजर, आंवला, ककड़ी, कचरी। 


अपथ्य:-

 calcium युक्त चीजें न खाएं, मल मूत्र के वेगो को ना रोके, वीर्य को न रोके, दूध या दूध से बने पदार्थ न खाएं, चुना ना खाएं। 








 

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)