Chaach ke gun (तक्र के गुण)

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chaach ke gun



छाछ (तक्र, मठा, लस्सी) के गुण:-

How to make chaach?

जिस दही में एक चौथाई या आधा जल देके उसको मथ के मखन निकाल लिया जाए उसको तक्र कहते हैं। This is how to make chaach

 कैलासे यदि तक्रमस्ति गिरिशः किं नीलकण्ठोभवे- 
 द्वैकुण्ठे यदि कृष्णतामनुभवेदद्यापि किं केशवः । 
 इन्दो दुर्भगतां क्षयं द्विजपतिलम्बोदरत्वं गण 
 कुष्ित्व च कुबेरको दहनतामग्रिश्च किं विन्दति॥ 

अर्थात् कैलास पर यदि तक्र रहता तो क्या भगवान् शिव नीलकण्ठ ही रहते ? वैकुण्ठमें यदि तक्र होता तो क्या केशव (भगवान् विष्णु) साँवले ही रहते ? देवलोक के राजा इन्द्र क्या दुर्भग (सौन्दर्यहीन) ही रहते ? चन्द्रमा जैसे द्विजपति को क्षयरोग होता? श्रीगणेश जी का उदर इतना बढ़ा होता ? कुबेर को कुष्ट रहता? और अग्रदेव के अंदर दाह रहता? कभी नहीं, अर्थात् तक्र के सेवनसे विष, विवर्णता, असौन्दर्य, क्षय, उदररोग, कुष्ट और दाह आदि विविध रोग दूर होते हैं । 

 इसी प्रकार आगे वे कहते हैं - तक्र का सेवन करने वाला कभी पीडित नहीं होता है अर्थात् रोगी नहीं होता है। तक्र से दग्ध रोग फिर कभी नहीं होते हैं । जिस प्रकार देवताओं के लिये अमृत प्रधान है, उसी प्रकार पृथ्वी पर मनुष्योंके लिये तक्र प्रधान कहा गया है। 

 तक्र के विविध भेद और गुण- आयुर्वेद विशारदों की दृष्टि में भिन्न-भिन्न लक्षणों के आधार पर मट्टे का वर्गीकरण- उदश्चितृ, मथित, घोल और तक्र के रूप में चार प्रकार से किया गया है- 

योगरत्नाकर के मत से -जिस दही में आधा जल देकर मथा जाय उसे 'उदश्चित्' कहते हैं। दिवोदास-प्रभृति आचार्यों के मत से ऐसे दही को 'तक्र' कहा जाता है। इसमें थोड़ी आचार्यों में असहमति है। chaach recipe:-

 मथित- ऊपर की मलाई निकालकर जो दही बिना जल मिलाये मथा जाय उसे 'मथित' कहते हैं। 

 घोल- ऊपर की मलाई सहित, बिना जल के मथे हुए दही को व 'घोल' कहते हैं।

 तक्र(छाछ)- जिस दही में चतुर्थाश जल देकर मथा जाय उसे 'तक्र' कहते हैं । दही में आधा जल या चतुर्थांश जल दोनों ही तक्र कहलवाते हैं। लेकिन दोनों में ही मखन निकाला हुआ होना चाहिए। लस्सी छाछ से थोड़ी गाढ़ी होती है। This is the Difference between chaach and lassi

 👉घोल वात और पित्तका नाशक है, 
 👉मथित कफ-पित्तनाशक है, 
 👉गाय का तक्र त्रिदोषनाशक है मेधा शक्ति को बढ़ाने वाला है। जहाँ तक हो सके गाय के दूध का ही तक्र पीना उत्तम है। 
👉भैंस का तक्र कफ को बढ़ाने वाला है। जिनको कफ के रोग हैं वह भैंस के दूध से बने तक्र न पीयें औऱ पचने में भी थोड़ा भारी है।
👉उदश्चित् कफदायक कहा गया है। 
👉इसके अलावा मण्ड होता है जो दही का पानी होता है यह तक्र से भी पचने में हल्का होता है। तक्र के समान गुणकारी और कब्ज के लिए अच्छा है

Fatty liver treatment:- https://ayurved4-life.blogspot.com/2023/01/fatty.html



 1. यह कषाय, अम्ल, पचने में हल्का, कब्ज नाशक, जठराग्नि को बढ़ाने वाला, कफ और वातनाशक। 

 2. जिसके शरीर में सूजन हो, पेट के सभी रोगों में, बवासीर में, संग्रहणी (ibs) मे, मूत्र के रोगों में, अरुचि में, लिवर संभंधित रोगों में, पेट के कैंसर आदि में। yah sab chaach peene ke faayede hain.

 3. कफ के रोगों में अगर तक्र सेवन करें तो उसमें त्रिकटु चूर्ण मिला के सेवन करें। 

 4. सेंधा नमक मिला के सेवन करने से वात रोगों का नाश करता है। 

 5. मिश्री या शहद मिला के सेवन करने से पित्त के रोगों मे हितकर है। 

 6. मूत्र के रोगों में गुड़ के साथ सेवन करना बहुत अच्छा है। 

 7. Anemia रोग में चित्रक का चूर्ण मिला के सेवन करना चाहिए। 

 8. त्रिफला मिला के सेवन करने से अग्नि बढ़ती है, कब्ज और बवासीर रोग खत्म होते हैं। 


 9. हींग जीरा और सेंधानमक को 'घोल' में मिला के पीने से अत्यन्त वात नाशक है। और दस्त और बवासीर का भी नाश करता है। और रुचिकारक, पुष्टिकारक, बलकारक, बस्तिशूल नाशक है। 

 10. सेंधानमक मिला के तक्र सेवन करने से संग्रहणी(ibs) में बहुत लाभकारी है। लेकिन बिना नमक के या बिना कुछ मिलाये सेवन बवासीर वालो को नही करना चाहिए। 

 11. नेत्रो के लिए हितकर, खून बढ़ाने वाला, दुबले पतलो को हष्ट पुष्ट करने वाला और बल देने वाला, मोटे लोगों को पतला करने वाला। 

 12. जिनको स्वास सम्बन्धित, या TB या खांसी या जुखाम है उन्हें तक्र हल्का गर्म करके सेवन करना चाहिए।

13. Is chaach good for weight loss:- जवाब है हाँ।  जैसा की ऊपर भी बताया गया है। माखन निकाली हुई छाछ पचने में भरी नहीं होती। मोटापा एक कफ का रोग है अतः आपको छाछ में त्रिकटु चूर्ण मिला के सेवन करना चाहिए।  या फिर अकेली सोंठ भी मिला सकते हैं या फिर त्रिफला चूर्ण भी मिला सकते है। yah ayurvedic masala chaach hai.   

yah sab kuch hi fayede btaye hai lassi ke fayde aur bhi hain.




तक्र का सेवन कब नही करना चाहिए:- घाव लग जाने पे, ग्रीष्म और शरद ऋतु में, बहुत ज्यादा कमजोरी में, चक्र आते होते हों उनको, जिनके पूरे शरीर मे जलन रहती हो, इंटरनल ब्लीडिंग में तक्र का सेवन नही करना चाहिए।

masala chach, tadka chaach, amul chaach जो बाजार में मिलती है उनके अंदर ऊपर बताये गए इतने सरे फायदे मिलना मुश्किल है। क्युकी उनकी साडी प्रोसेसिंग अलग होती है वो सेहत के लिए नुकसान दायक भी हो सकती है। 






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