Typhoid:-
जिस बुखार का होने वाला समय नीयत ना रहे, जो कभी आज जावे कभी उतर जावे, कभी शरीर गर्म हो जाये कभी ठंडी लगने लगे, सुबह ठीक महसूस करे लेकिन पता चलता है की रात को फिर हो जाये इसी को विषमज्वर याने के Typhoid fever कहा गया है।
अक्सर मनुष्य को विषम ज्वर (typhoid) हो जाता है। और यह बुखार शरीर में किसी भी समय हटता नहीं है बल्कि बना रहता है बस बीच बीच बढ़ जाता है।
क्युकी विषमज्वर में शरीर का भरी बना रहना, दिर्बलता, कमजोरी यह मीटती नहीं है। कभी कबर लगेगा की बुखार अब उतर गया है लेकिन पुनः वापिस आजाता है।
Typhoid causes:-
विपरीत आहार विहार, दूषित भोजन, जल, या जो ज्वर संकर्मित होते हैं, और ख़राब खान पान से कुपित हुए आमाशय में रहने वाले वात, पीत और कफ दोष कोष्ठ की अग्नि को बहार करके शरीर को तपा देते हैं। जिसे साधारण बुखार कहते है।
अहित कारणों उत्पन वात, पीत, कफ अल्प दोष अथवा ज्वर होकर समाप्तः होने पर सेष रहा अल्पदोष या कुछ बचा हुआ दोष रस या रक्त में मिलकर प्रवेश कर जाता है जिस से विषमज्वर उत्पन होता है।
यह विषमज्वर धातुओं के मध्य में लीन होने से या सूक्ष्म रूप की वजह से हमेशा बना ही रहता है। दोष जब क्षीण होते हैं तब यह ज्वर भी क्षीण हो जाता है जब दोष बढ़ते हैं तब यह भी बढ़ता है।
Typhoid test:-
Typhidot (or Widal Test) is a rapid serological test for the diagnosis of typhoid fever.
Typhoid fever symptoms:-
जो ज्वर कभी शरीर गरम करे, कभी ठंडा करे, कभी दिन में हो जाये कभी रात में हो जाये कभी शांत हो जाये कभी बढ़ जाये। कई बार जब शरीर में उषणता आती है तो टाइफाइड के दाने भी निकल आते हैं।
अगर यह सब हो तो टाइफाइड हुआ जान न चाहिए। यह टाइफाइड घरेलु या आयुर्वेदिक टेस्ट है।
Typhoid ke lakshan:-
सर में भारीपन, ग्लानि रहना, भोजन करने का मन न करना, मुख का स्वाद कभी मधुर हो जाये कभी कड़वा हो जाये कभी विरस रहे ये विषमज्वर के विशेष लक्षण रहते हैं।
Typhoid fever treatment:-
👉जीरा को तवे पे भून के गुड़ के साथ गोलियां बना लें इसका सेवन करें, या गुड़ के साथ भुना हुआ जीरा खाना बहुत लाभ कारी है।
👉त्रिफला और गुड़ खाना इस बीमारी के लिए बहुत लाभदायक है।
👉ऎलोवीरा की जड़ बारह ग्राम को पीस कर गर्म जल के साथ पिलाकर उलटी करवाने से लाभ होता है।
👉काकजंघा या फिर बला या फिर अनंतमूल या फिर भारंगी या फिर अपामार्ग ( चिरचिटा, उल्टा कांडा कांटो भर झाड़ियों के पास होता है गांव वालो से पूछे) इनमे से किसी भी एक की जड़ को पुष्य नक्षत्र के दिन विधि से उखाड़ें और रोगी के गले में बाँध देने से विषम ज्वर जड़ से ख़त्म होता है।
👉पटोलपत्र, मुलेठी, कुटकी, नागरमोथा और हरड़ इन सबको बराबर मात्रा में लेके काढ़ा पीने से बीमारी ठीक होती है।
👉हरड़, बहेड़ा और आंवला, गिलोय और अरूसा इसका काढ़ा पीने से टाइफाइड का नाश होता है।
यह सब पंसारी के यहाँ मिल जायेगा, यह इतना अधभूत नुस्खा है की इसका बखान करना मुश्किल है, यह अमृत है, हर किसी के घर में यह होना चाहिए पंसारी के यहाँ यह सब मिल जायेगा।
इसका काढ़ा मृत्यु में पड़े हुए इंसान को 2 दिन काढ़ा पिलाने से भी जीवित हो जाता है।
👉गिलोय, हरीतकी, सोंठ, नागरमोथा, बड़ी कटेरी इन पांचो औषधियों का काढ़ा बना थोड़ा ठंडा हो जाये तब उसमे शहद और पीपरी का एक एक चुटकी चूर्ण मिला के सेवन करने से विषम ज्वर अवश्य नष्ट होता है।
👉लहसुन का कल्क बना के उसमे घी और तेल मिला के घोट ले उसको चाटने से विषम ज्वर नष्ट होता है।
👉लहसुन का कल्क बना के उसमे काले तिल मिला के सेवन करने से भी यह बीमारी ठीक होती है।
👉सरसों के तेल में, हल्दी, पीपरी, काली मिर्च, और सेंधा नमक आपस में मिला करके घोंट लें इसका आखों में अंजन करने से विषम ज्वर नष्ट होता है।
👉घी में थोड़ी सी हरड़ का चूर्ण और वच का चूर्ण मिला के जोत जला के इसका धुवा जो आएगा उसको अपने शरीर पे लगने दे। इस से भी typhoid नष्ट होता है।
👉सांप की केचुली, सरसों, हींग, नीम का पता इनको सामान भाग लेकर जलाएं और और धुवें से अपने शरीर को धूपित करें इस से विषम ज्वर, राक्षश गृह, डाकिनी, इन सबसे रक्षा होती है।
👉त्रिफला और पीपली के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से खांसी, स्वास समबन्धी बीमारियां, और ज्वर का नाश होता है और कब्ज को दूर करता है।
विषम ज्वर में हितकर कार्य करने चाहिए, विष्णु सहत्रनाम का पथ करना चाहिए, पूजन पाठ दान दक्षिणा आदि करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, हवन दान आदि करें।
Typhoid diet and food
हल्का भोजन खाएं, दूध पीना हो तो गाय का पीएं, मैदे से बना हुआ तो बिलकुल न खाये, तला हुआ भोजन न करें ।
जब तक बुखार से पूरणतः ठीक न हों इतने परिश्रमं, मैथुन, भ्रमण ना करें। बुखार में नहाना नहीं चाहिए।