H3N2 influenzas flu virus causes, symptoms and treatment

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H3N2 Flu


What is H3N2 virus flu


एच3एन2 वायरस जो कि एक प्रकार का फ्लू वायरस है, फिर से भारत में सक्रिय हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वायरस वर्तमान में दुनिया भर में फैला हुआ है और भारत भी इससे प्रभावित हो रहा है। यह फ्लू के सामान्य लक्षणों में शामिल होता है जैसे बुखार, सूखी खांसी, थकान और शरीर में दर्द। 

 भारत सरकार ने लोगों को सतर्क रहने की अपील की है और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं: अपने हाथ धोना और साबुन से धोना न भूलें। अपने नाक और मुंह को ढकने के लिए एक मास्क पहनें। अगर आपको फ्लू जैसे लक्षण होते हैं तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और बार-बार हाथों को साबुन से धोएं। यह वायरस नाक, मुंह और आंतों द्वारा फैलता है और जब इसे संक्रमित व्यक्ति खांसता है या बात करता है तो छोटे बूंदों के रूप में हवा में फैलता है।

H3N2 vaccine:- इसकी वैक्सीन, जिसे फ्लू शॉट भी कहा जाता है, इन्फ्लुएंजा वायरस के इस वायरस के स्ट्रेन के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने वाली वैक्सीन है। यह आमतौर पर हाथ या जांघ में एक इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। वैक्सीन में वायरस का मृत या कमजोर रूप होता है, जो शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है और यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, तो वास्तविक वायरस से लड़ने के लिए विशेषकर एंटीबॉडी उत्पन्न कर सकते हैं।

हेल्थकेयर पेशेवरों द्वारा अनुशंसित होने वाली इसकी वैक्सीन उन व्यक्तियों के लिए सुझाव दी जाती है जो फ्लू से संबंधित जटिलताओं के जोखिम में होते हैं, जिसमें वृद्ध, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और कुछ चिकित्सा स्थितियों वाले व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। यह आमतौर पर वार्षिक रूप से दी जाती है, क्योंकि इन्फ्लुएंजा वायरस समय-समय पर म्यूटेट और बदल सकता है। 


H3N2 Common Name:- The common name for H3N2 is "Influenza A virus subtype H3N2".

H3N2 deaths:-

हलाकि इसमें मरने वाले लोगों की परसेंटेज ज्यादा नहीं है इसीलिए यह जानलेवा नहीं है। हाँ इसका यह मतलब भी नहीं होता की हम इसको बिलकुल ही नजरअंदाज करदें। 

Causes of H3N2 Influenzas virus


बदलते मौसम में देखा जाता है भारत देश में इस तरीके की दिकत बढ़ जाती है और इस तरीके के virus ऐसे ही मौसम में फैलते हैं। भारत देश में बहुत तरीके खांसी जुखाम होते है जो के वो भी एक प्रकार के वायरस ही है।  लेकिन हमारे देश क लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग है क्यों हमे लगभग साल में दो से तीन बार सर्दी खांसी जुखाम तो हो ही जाता है। यह वायरस न्यूमोनिया और ब्रोंशाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है जो फ्लू के कारण होती हैं।

यह का भी मुख्यतः कारन यही है जो और वायरस का होता है, छींकते समय रुमाल का उपयोग न करना, या हाथ का इस्तेमाल करने पे वही हाथ इधर उधर लगाना, दो गज की दूरी न रखना, खणसी जुखाम एक से दुसरे के बहुत जल्दी फ़ैल जाते हैं। अपने हाथों को अच्छे से या समय पे ना धोना। सरद गरम हो जाना, क्युकी ऐसे मौसम में शरीर को कभी गर्मी लगती है कभी ठंडी लगती है कभी ठंडा पानी पीने का मन करता है कभी हल्का गरम, कभी पंखा चलाने का मन करता है कभी पंखा बंद करके सोने का मन। चाहे कोरोना वायरस हो या फिर यह खांसी जुखाम में सब में एक जैसी ही सावधानी बरतनी चाहिए। 

यह वायरस एक प्रकार का इंफ्लुएंजा वायरस है जो श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियों जैसे फ्लू या सर्दी जुकाम (cold) का कारण बनता है। इस वायरस के लक्षण शामिल होते हैं जैसे बुखार, थकान, सिरदर्द, गला खराब होना, नाक बहना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ आना, और शरीर दर्द। वायरस के कारण की बीमारियां आमतौर पर मौसम के बदलने के समय अधिक देखी जाती हैं। यह सब H3N2 के कारण हैं।


H3N2 symptoms


यह वायरस से संक्रमित होने के लक्षणों में बुखार, थकान, सिरदर्द, गले में खराश, नाक बहना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और शरीर में दर्द शामिल होते हैं। ये लक्षण अक्सर मौसम के बदलाव के समय ज्यादा देखे जाते हैं।

इन लक्षणों के साथ-साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे कि उल्टी, पेट दर्द, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, सिरदर्द और आंखों में लाली होना। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद आपको अपनी रक्तचाप, नाक की थूक और बॉडी तापमान की जांच करवाना चाहिए।

अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी नजर आता है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने इस वायरस के लक्षणों को इस प्रकार बताया है: श्वसन में तकलीफ नाक से पानी बहना थकान और कमजोरी का अनुभव सिरदर्द गले में खराश या दर्द खांसी या गले से खांसी का विकार शरीर का दर्द ये लक्षण मौसम के बदलने के समय ज्यादा देखे जाते हैं। अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी नजर आता है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी होता है।

यह WHO ने बताई है लेकिन हमारे भारत देश में एक चीज और देखने को मिल रही है वो हैं इसके साथ आँखों का चिपकना, और बुखार तो दो तीन दिन में उतर जाता है लेकिन खणसी का दो सप्ताह तक ना जाना। इस वायरस संक्रमण से प्रभावित होने वाले लोगों में बुखार, सूखी खांसी, थकान, गले में खराश, सिरदर्द और शरीर में दर्द शामिल होते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों में दस्त, उल्टी, नीले या शामिल गले में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और आंखों में लाली जैसे अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। यह H3N2 influenzas के लक्षण हैं

H3N2 Influenzas ayurvedic treatment

इसका का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा किया जाना चाहिए। हालांकि, यह वायरस अधिकांश लोगों में स्वयं ही ठीक हो जाता है, लेकिन अगर संक्रमण गंभीर होता है तो डॉक्टरों द्वारा दवाओं का उपयोग किया जाता है। इस संक्रमण का इलाज आमतौर पर अवधि से छोटे समय के लिए आराम करने और उपयुक्त दवाओं का सेवन करने के माध्यम से किया जाता है। एक डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक्स नहीं लिखता है क्योंकि यह वायरल संक्रमण होता है और एंटीबायोटिक्स केवल बैक्टीरियल संक्रमण के लिए काम करते हैं। इसके अलावा, यह उपचार बताया जाता है कि संक्रमण से बचने के लिए समय-समय पर हाथों को धोना, संक्रमण से बचने के लिए बहुत सारा पानी पीना और संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क से बचना शामिल होता है। संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, जो संक्रमण के वायरस से लड़ने के लिए बनाया गया है।


1. भारंगी, पीत पापड़ा, सोंठ, अरूसा, पीपरी, चिरैता, नीम की छाल, गिलोय, नागरमोथा, धमासा इन सभी दसो औषधियों को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना के सेवन करने से सभी तरह के ज्वर ठीक होते है। काढ़ा बनाने की विधि इस प्रकार है 400ml पानी में ऊपर बताये गए सभी के मिक्सचर चूर्ण की दो चमच लेके उस पानी में डाल दो जब वह पानी 50ml बच जाये तब उसको उतार के छान लो। इसका सुबह खाली पेट सेवन करो आवशकता हो तो शाम को भी खाली पेट सेवन करें। काढ़ा हमेशा खाली पेट ही सेवन किया जाता है। H3N2 , chronic fever, viral fever हडियों में दर्द करने वाला बुखार, typhoid, चाहे किस भी तरह का नया पुराना या फिर corona fever ही क्यों न हो और इस संसार में चाहे जीतने तरह के बुखार बने हैं, जिनका पुराना बुखार हो चाहे टाइफाइड या कोई भी क्यों न हो सब ठीक होते हैं। यह सब पंसारी के यहाँ मिल जायेगा, यह इतना अधभूत नुस्खा है की इसका बखान करना मुश्किल है, यह अमृत है, हर किसी के घर में यह होना चाहिए पंसारी के यहाँ यह सब मिल जायेगा। इसका काढ़ा मृत्यु में पड़े हुए इंसान को 2 दिन काढ़ा पिलाने से भी जीवित हो जाता है।

2. काली मिर्च और मिश्री के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर के इसमें इतना देसी घी मिलाये की गोलियां बन जाये। छोटे बेर के बराबर गोली बना के एक दिन में 4 बार चूसे ने से खांसी दूर होती है। इसके अलावा Bronchitis और गले की खराश और गाला बैठना इत्यादि जितने रोग होते हैं उनमे बहुत लाभकारी है।

3. दिन में तीन से चार बार सरसों का तेल गुदा पर लगाने से भी खांसी में आराम मिलता है और bachcho ki khansi में भी आराम मिलता है।

4. बहेड़े का एक छिलका लेके या फिर अदरक छीली हुई लेके रात को सोते समय मुख में धारण करके सोन जाइये यह आपकी बलगम निकलने में मदद करेगा और खांसी में भी आराम पहुचायेगा इसके अलावा गले में जो खांसी वाली गुदगुदी होती है उसमे भी यह आराम पहुँचता है।

5. एक पतीले उबलते पानी में अजवाइन की बांफ लेनी चाहिए।

6. 375 मिलीग्राम लगभग एक चुटकी फुलाया हुआ सुहागा शहद के साथ रात को लेने से खांसी में आराम होता है।
7. मुनक्के और मिश्री को को मुँह में रख कर चूसने से लाभ होता है। 8. सितोपलादि चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 बार चाटें। 9. पीपरामूल, सोंठ और बहेड़ादल का चूर्ण बनाकर शहद के साथ प्रतिदिन चाटने से सर्दी और कफ वाली खांसी में आराम होता है।

10. अनार के छिलके का चूर्ण बना के फिर उसको दो गिलास पानी में इसकी एक चमच डाल के इतना उबालो की आधा गिलास पानी बच जाये फिर इसको उतार कर छान कर इसमें थोड़ा सा भीम सैनी कपूर मिला के दिन में दो बार सेवन करें। मात्र दो या तीन दिन में ही भंयकर कष्टदायक खांसी से आराम मिलता है।

संक्रमण से बचने के लिए कुछ डूज एंड डोंट्स हैं।

Do's:

हाथों को नियमित रूप से धोना। हाथों को साबुन और गर्म पानी से धोना संक्रमण से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण है। संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें। एक संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क से बचें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो जाए। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना, एक स्वस्थ शरीर बनाए रखने में मदद कर सकता है। स्वस्थ खानपान का ध्यान रखें। स्वस्थ खानपान करना आपके शरीर को अधिक शक्ति देता है जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

Dont do's:

अनावश्यक जगहों पर जाने से बचें। संक्रमण बढ़ने की आशंका से अनावश्यक जगहों पर जाने से बचें। अन्य लोगों के साथ संपर्क से बचें। संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क से बचें और दूसरों के साथ ज्यादा नजदीक न जाएं। अनावश्यक दवाओं का सेवन न करें। एंटीबायोटिक्स या अन्य अनावश्यक दवाइयों का भी सेवन ना करें और डॉक्टरों को भी पैसों के लालच में नहीं करना चाहिए।

क्या करें

विरेचन कर्म,स्वेदन कर्म, वमन कर्म, कुल्थी, गेहूं, जों के आटे बानी रोटियां, पुराना घी, बकरी का दूध या घी, मदिरा,परमल, बैंगन, लहसुन, जमीरी निम्बू, बथुआ, छोटी इलाइची, सब्जी में सोंठ काली मिर्च और पीपल मिला करके खाना।

क्या न करें

अधिक मैथुन, घी वाले पदार्थ,मधुर पदार्थ, दूध दही ,खीर, धूम्रपान, सरसों,दूषित जल, शीतल जल, शीतल तासीर वाले पदार्थ, तेल से बने पदार्थ, चावल, केला आदि।









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