Harad benefits || Harad ke gun || हरड़ के फायदे और नुकसान

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Harad ke fayede

 
    


 Harad

त्रिफला में बड़ी हरर को मिलाते हैं और जहाँ जहाँ इसका  नाम आएगा वहां बड़ी का ही जीकर होगा।  जहाँ छोटी या अन्य लेने को कहा जायेगा वहां अलग से बता दिया जायेगा। इसमें नमक को छोड़कर मधुरादि पांचों रस वर्तमान होते हैं। किन्तु उनमें कषाय रस की प्रधानता होती है। 

इसलिए सर्वप्रथम इसे कषाय बताया गया है हरीतकि प्रायः सभी रोगों में प्रयुक्त होती है। यह कषाय होते हुए भी जिन रोगों में कषाय चीजें खाने को मना करते हैं वहां इसे खा सकते हैं।  स्वाद् अम्ल रस होने से वात को, कटु और तिक्त रस होने से कफ को कषाय और

मधुर होने से यह पित्त को दूर करती है बताया भी हैं-


स्वादम्ल भावात् पवनं कटुतिक्ततयाकफम् ।

कषाय मधुरत्वाच्च पित्तंहन्ति हरितकि।।


अर्थ : यह choti hharad और badi haradd के नाम से दो प्रकार की पाई जाती है छोटी हर्रे में भी उपरोक्त सभी गुण पाया जाता है। क्योंकि यह हर्रे के कच्चे गुठली रहित फल जो स्वतः पेड़ से गिर जाते है और सूख जाते हैं उन्हे लेकर काम में लाया जाता है। इस अवस्था में टिकोरे में पूर्ण रस वीर्य विपाक के न होने से हरें के अल्प गुण इसमें पाये जाते है। छोटी हरे वीर्य में उष्ण नहीं होती अतः कोमल प्रकृति के व्यक्तियों मे इसका प्रयोग किया जाता है।


यस्य माता गृहेनास्ति तस्य माता हरीतकि।

कदाचित्कुप्यते माता न चोदरस्था हरीतकि।।


'जिसकी माता नहीं होती उसकी माता हरीतकि होती है। माता कभी गुस्सा भी हो सकती है लेकिन पेट में गई हुई हरीतकि कभी कुपित नहीं करती।

यह छोटे शिशु को घुटी के रूप में भी देते हैं। कुछ लोग 6 महीने के बच्चे को या एक साल के बच्चे या 3 साल तक के बच्चे को भी खिलाते हैं। इसके साथ पुराने वक़्त में इसके साथ जायफल की भी घुटी दी जाती थी, लेकिन वह दूसरी वाली होती है आपको पंसारी को बताना होगा की बच्चों को घुटनी देने वाली चाहिए। 


 हरड़ के गुण (benefits of harad)

यह त्रिदोष नाशक है। यह रस में कषाय विपाक में मधुर, रूक्ष, लवण, रसरहित, लघु अग्निदीपक, अन्नपाचक(अन्न को पचाने वाली), मेधावर्धक(दिमागी शक्ति को बढ़ने वाली), शरीर को उतम रूप से स्थिर रखने वाली (रसायन), वीर्य में उष्ण, मल सारक, आयु वर्धक, बुद्धि इन्द्रिय को बल देने वाली है। कुष्ठ विवर्णता(स्किन की बीमारियां), स्वर भेद(गला बैठना), जीर्ण विषमज्वर(टाइफाइड), शिरोरोग(सर के रोग), नेत्ररोग, खून की कमी(Anemia), हृदयरोग, कामला(पीलिया), ग्रहणी(IBS), शोष(सूजन), अतिसार(दस्त), मेदा(मोटापा) रोग, मोह, वमन(उलटी आना) रोग, कृमि(कीड़े) रोग, श्वास, कास, प्रसेक (मुँह से पानी गिरना), अर्श(बवासीर), प्लीहा वृद्धि(फैटी लिवर), आनाह, गर (कृत्रिम विष विकार) उदररोग स्रोतों का विबन्ध, गुल्म(पेट में गांठ, stomach  tumor), उरूस्तम्भ(जांघो में जकड़न) और अरोचक, रोगों को नष्ट करती है तथा कफ एवं वात जन्य सभी रोगों को दूर करती है।

इसमें जहाँ जहाँ यह लेने को बोला जायेगा वहां Harad powder का इस्तेमाल होगा। 


अन्य नाम 

Sanskrit – अभया, अव्यथा, पथ्या, कायस्था, पूतना, हरितकि, हैमवती, चेतकी, श्रेयसी, शिवा;

Hindi – हरड़, हर्रे, हड़, हरर;

Urdu – हेजरड़ (Haejarad);

Oriya – करंथा (Karedha), हरेधा (Harida);

Assamese – हिलिखा (Hilikha);

Konkani – ओरडो (Ordo);

Kannada – अनिलेकई (Anilaykayi), करक्काई (Karakkai);

Gujrati – हरितकि (Haritaki), हिमजा (Himaja);

Tamil – कडुक्कै (Kadukkay);

Telugu – करक्काय (Karakkaya), हरितकि (Haritaki);

Bengali – होरीतकी (Horitaki), नर्रा (Narra);

Nepali – हर्रो (Harra), बर्रो (Barro);

Panjabi – हर (Har), हरितकि (Haritaki);

Marathi – हिरड (Hirad), हरितकि (Haritaki);  

Malayalam – दिव्या (Divya), पुटानम (Putanam)

English – ब्लैक मॉयरोबालान (Black myrobalan);

Arbi – हलीलजा (Halilaja), अस्फर (Asfar);

Persian – हलील (Halil), हलील अह जर्दा (Halil ahe zarda)


Harad patanjali:- पतंजलि में यह हरीतकी नाम से मिलती है।  इसकी 100 ग्राम की डिबिया की कीमत लगभग 35-40 रूपये होती है।  


Harad ke fayde (पीली हरड़ के फायदे) 

1) Harad For Digestion

तिक्त रस व उष्णवीर्य होने से यह यकृत को उत्तेजित करती है। पाचक स्व्राव बढ़ाती है। आमाशयस्थ विकृत कफ का नाश करती है। अग्जनिमांय, ग्रहणी (अतिसार), उदरशूल(पेटदर्द), अफरा आदि रोगों में विशेषतः छोटी हर्रा चबाकर खाने से लाभ होता है।
यह जठराग्नि के साथ-साथ रस रक्तादि ससधातुओं की धात्वाग्निओं की भी वृद्धि करती है, जिससे शरीरस्थ आम का पाचन होकर रसरक्तादि सप्तधातु प्राकृतरूप से बनने लगते हैं।

2) Harad for Constipation Treatment

3 से 5 ग्राम इसके चूर्ण को पानी के साथ लेने से मल का पाचन होकर वह शिथिल व द्रवरूप में बाहर निकलता है, जिससे कब्ज का इलाज होता है।


3) Harad for ग्रहणी (अतिसार, IBS)

इसको पानी में उबालकर लेने से मल में से द्रवभाग का शोषण करके बँधे हुए मल को बाहर निकालती है, जिससे दस्त में राहत मिलती है। हरर को पानी में उबालकर पीस लें। इसकी 2 ग्राम मात्रा शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से अथवा काढ़ा पीने से भी लाभ होता है। इससे ऑतों को बल मिलता है, दोषों का पाचन होता है, जठराग्नि बढ़ती है। 

4) Harad For Piles Treatment

2 ग्राम इसके चूर्ण को गुड़ में मिलाकर छाछ के साथ देने से  शोथ(सूजन) आदि लक्ष्णों में आराम मिलता है और बवासीर का इलाज होता है। 


5) Harad For Acidity

हरर चुर्ण, पीपर व गुड़ समान मात्रा में लेकर मिला लें। इसकी 2-2 ग्राम की गोलियाँ बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से अथवा 2 ग्राम हर्रा चूर्ण मुनक्का व मिश्री के साथ लेने से कण्ठदाह(गले की जलन), तृष्णा(प्यास का बारबार लगना), कब्ज  आदि अम्लपित्तजन्य लक्षणों से छटकारा मिलता है।


6) Harad For Fatty Liver Treatment 

haritki व रोहितक के 50 ग्राम काढ़े में एक चुटकी यवक्षार व 1 ग्राम पीपर चूर्ण मिलाकर लेने से यकृत व प्लीहा सामान्य लगती है। हो जाती है।  यह लिवर के सभी प्रकार का दोषो का भी नाश करता है। 


7) खाँसी, जुकाम, श्वास व स्वरभेद

हर्रे कफनाशक है और पीपर स्निग्ध, उष्ण-तीक्ष्ण है। अतः 2 भाग हरीतकी चूर्ण में 1 भाग पीपर का चुर्ण मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ 2-3 बार चाटने से कफजन्य खॉसी, जुकाम, स्वरभेद(गला बैठना) आदि में राहत मिलती है।


8) Harad For Jaundice Treatment

हरतकी अथवा त्रिफला के काढ़े में शहद मिलाकर देने से पित्त का नाश होता है, यकृत की सूजन दूर होती है। जठराग्नि प्रज्वलित होती है।


9) बार बार पेशाब आना

अधिक मात्रा में बार-बार पेशाब आता हो तो हरतकी के काढ़े में हल्दी (हल्दी के फायदे) तथा शहद मिलाकर देने से लाभ होता है।


10) Harad For UTI Treatment

हरतकी, गोक्षुर व पाषाणभेद के काढ़े में मधु मिलाकर देने से दाह व शूलयुक्त मूत्र- प्रवृति, मूत्र में जलन और मूत्र का रुक जाना में आराम मिलता है।


11) Harad To Reduce Swellilng

इस के काढे में गोमूत्र मिलाकर लेने से वृषण शोथ नष्ट् होता है।


12) Harad For Tonsils Treatment

इसका काढ़ा बना के उसको उतार कर छान कर ठंडा होने के बाद उसमे शहद मिला के सुबह शाम खली पेट सेवन करने से गले के सभी प्रकार के रोग जैसे गले का छीलना, tonsils, गले में सूजन, रोहिणी रोग, और गले के शुरुवाती स्टेज वाले कैंसर में भी लाभकारी है।


13) Harad For Typhoid Treatment  

हरर, बहेड़ा आंवला याने के त्रिफला को गुड़ के साथ सेवन करने से जीर्ण ज्वर और विषमज्वर याने के टाइफाइड में लाभ होता है। (Typhoid treatment)


14) शरीर में कीड़े 

हर्रा, हल्दी(turmeric benefits), सोचरनमक, तीनो बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के इन्द्रायण( गडुम्बा, महरी) के रस के पेस्ट बना के सेवन करने से पूरे शरीर के कीड़े मरते हैं।   


 15) थूक में खून आना

TB, की वजह से या फिर छाती में दर्द की वजह से या फिर सीने में घाव की वजह से मुँह से खून निकलता है।  ऐसे में त्रिफला( हरतकी, बहेड़ा, आंवला), महुआ, और अर्जुन की छाल सबको बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के पानी के साथ पेस्ट बना लें, फिर इसको raat   भर लोहे की कढ़ाई या बर्तन में रख दे, सुबह खाली पेट इसको घी के साथ खाएं और ऊपर से बकरी का दूध गरम करके ठंडा होया हुआ पीना चाहिए, इस से मुँह से खून निकलना बंद होता है, TB में कुछ दिन सेवन करने से यह बीमारी नष्ट होती है।   


16) Harad For Asthama Treatment 

सोंठ और हर्रा के को चूसने से खांसी में तुरंत आराम मिलता है। या इनका चूर्ण बना के शहद के साथ खाने से asthama भी खत्म होता है। 


17) उलटी आना और ऊभकाई

इसके चूर्ण को शहद के साथ चाटने उबकाई और उलटी आनी बंद होती हैं।  क्युकी जो दोष ऊपर की और उछल रहे होते हैं यह उनको निचे की और दबा देता है और मल के द्वारा बहार निकाल देता है। 


18) Harad For Arthritis Treatment

कचूर, हरीतकी, सोंठ, वच, देवदारु, अतीस, गिलोय इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर के काढ़ा बना के सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से आर्थराइटिस नष्ट होता है। 


19) Harad For Heart disease

शुद्ध हींग भुनी हुई, अजवाइन, विड़नमक, सोंठ, पीपरी, कूठ, हर्रे, चित्रकमूल, जोखार, सोंचर नमक और पोहकरमूल सबको बराबर मात्रा में लेके जौ के काढ़े के साथ आधी चमच की मात्रा के साथ पियें तो हृदय के समस्त रोग ठीक होते है और छाती का, हृदय का दुखना भी सही होता है। 


20) Harad For  Kidney and Gall Bladder Stone Treatment

सोंठ, जोखार, हर्रा और फाली इन सभी बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के बकरी के दूध की दही के साथ अगर सेवन किया जाये तो अत्यंत बढ़ी हुई stone को भी चकना चूर करके बहार निकाल के  पथरी का इलाज कर देता है। 


21) Harad For Dark Circle

इस को पानी के साथ घीस के काले घेरों पे लगाने से डार्क सर्किल सही होते हैं। 


हरड़ के नुकसान 

बहुत ज्यादा मेहनत करने वाले, शारीरिक रूप से अति कमजोर वाले को, उष्ण प्रकर्ति वालो को, प्रेग्नेंट(गर्भवती) स्त्री को, ग्रीष्म ऋतू में, रक्त दोष में और पित्तदोष में सेवन नहीं करना चाहिए या बहुत सावधानी से सेवन करना चाहिए। 

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