Safed daag ka ilaaj | vitiligo causes, symptoms and treatment in hindi

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Vitiligo


सफ़ेद दाग कैसे होता है Causes of vitiligo

विरुद्ध भोजन करने से ( दूध-प्याज, दूध-मछली, दूध-नमक, दूध-दही आदि), 

अधिक चिकने प्रदार्थ, 

अधिक देर से पचने वाले प्रदार्थ खा ने से, 

उल्टी-छींक या अन्य मल मूत्र आदि के वेगो को रोकने से, 

अग्नि के अधिक तापने से या धूप में अधिक रहने से, 

धूप परिश्रम व भय में शीतल जल पी लेने से या स्नान कर लेने से, 

पहले का खाना बिना पचे पुन: भोजन कर लेने से, 

पंचकर्म (वमन - विरेचन)सही ढंग से न करने से, दही, दूध, गुड़, मूली, उडद, नमकीन, खट्टे चीजों के अधिक सेवन से, 

बुखे पेट या अधिक खाये हुए या भोजन के बिना पचे मैथून करने से, दिन में सोने से।

पाप कर्मों से :

ब्राह्मण एवं गुरुजनों की अवेहलना करने से, 

गौ, ब्राह्मण, बुजुगों के तिरस्कार करने से, 

पूर्वजन्मों के पापकर्मों से, सज्जन की निंदा करने से, 

उनका वध करने से, दुसरो का धन चुरा लेने से, 

जूठी गवाही देने से, 

किसी की स्त्री के साथ दुव्यव्यहार या मैथून करने से, 

देवी देवताओं की अवेलहना या अपवित्र होकर उनका ध्यान लगाने से।


सफ़ेद दाग के लक्षण Vitiligo symptoms

इन कारणों से दोष कुपित होकर सिराओं में पहुचकर त्वचा, लसिका, रक्त एवं मास धातु की दूषित करके अपने अपने स्थानों से बाहर निकाल कर चर्म रोग कर देता है। जिसे कुष्ठ रोग कहते हैं।


स्पर्श करने से, झूठा खाने से, जिसके कुष्ठ रोग हो उसके बिस्तर पे सोने से, सांस से, एक साथ उठने बैठने या रहने से, एक दूसरे के वस्त्र पहन ने से, शरीर के स्पर्श सेे कुष्ठ (allergy), बुखार, edema, नेत्र रोग और खांसी जुखाम आदि रोग एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को हो जाते हैं।

यदि कुष्ठ रोग की अवस्था में ही म्रत्यु हो जाये तो अगले जन्म में भी उसे कुष्ठ रोग जरूर होता है। इस से बढ़कर निंदा वाला कोई रोग नही


साध्य: जिसके श्वित्रस्थान के बाल सफेद ना हुए हों , 

जिसका विस्तार अधिक ना हुआ हो, 

जो धबे एक टूसरे से मिले हुए ना हों, 

जो नया हो और जो आग से जलने के कारण न हुआ हो।


असाध्य: जिसकी शुरुवात लिंग, योनि, गुदा, आखों, हथेलियों, पैर के तलवों, और होठों के किनारों से हुई तो वो श्वित्र रोग बहुत मुश्किल से ठीक होते हैं।

यह शीघ्र ही असाध्य हो जाता है। अतः इसकी चिकित्सा शीघ्रता से करें, जैसे घर में आग लगते ही शांति की जाती है।


सफ़ेद दाग का आयुर्वेदिक इलाज 

1. भूंगराज की पत्तियों को लोहे की कढ़ाई( steel की नही) में सरसों के तेल में पका कर खाएं। उसके बाद विजयसार के साथ पकाए दूध को पियें। इस से श्वित्र रोग नष्ट होता है।

2. आंवले का चूर्ण और कथा समान भाग लेके उसका काढ़ा बनाएं। इस काढ़े में 2 चुटकी बाकुची का चूर्ण डाल कर सुबह शाम खाली पेट पीने से चंद्रमा समान सफेद कुष्ठ शीघ्र ही नष्ट होता है।

3. खैर और आंवले का बराबर मात्रा में मोटा चूर्ण बना लें और इसका काढ़ा बना लें। 12 ग्राम मोटा पिसा हुआ चूर्ण लेके 400ml पानी में इतना उबालो की 100ml बच जाए।

फिर इसको उतार कर छान लो। इसे काढ़ा कहते हैं। इस काढ़े में बाकुची के बीजों का चूर्ण मिलाकर सुबह शाम खाली पेट पीने से शंख, चंद्रमा और कुंद के फूल के समान सफेद वर्ण नष्ट हो जाता है।

Safed daag treatment in hindi

4. परवल की जड़ या पंचमूल, हरड़, बहेड़ा, आंवला और इन्द्रायण की जड़ इन सबको 20-20 ग्राम लेलें। कुटकी और त्रायमाना 15-15 ग्राम ले। और सोंठ 10 ग्राम लें।

इन सबको अलग अलग मोटा चूर्ण बना लें। और इसका काढ़ा बना लें। इसका सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसको पीने से विरेचन (पतला मल दस्त जैसा) होता है।

इस के 6 दिन के सेवन से ही खून साफ होता है, कुष्ठ(चर्म रोग), सफेद दाग (leucoderma), हिर्दय शूल, ग्रहणी रोग, विषमज्वर, बवासीर रोग नष्ट होते हैं।


5. बायविडंग, आंवला और हरड़ सब 30-30 ग्राम

निशोथ 100 ग्राम

पुराना गुड़ 350 ग्राम

इन सब का अलग अलग चूर्ण बना कर मिक्स करके रख लें।

इसका सुबह शाम खाली पेट एक महीने तक सेवन करने से सभी कुष्ठ रोग, सफेद दाग(Vitiligo), respiratory बीमारी, खांसी, पेट के रोग, बवासीर, प्रमेह(मूत्रविकार), liver spleen के सभी रोग, शरीर में गांठ, शरीर में कीड़े, नष्ट करता है। यह बहुत प्रसिद्ध योग है।


6. औषधि- बावची, आंवला और कत्था इन तीनो को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना लें।

बनाने के विधि- इस मिक्सचर की 2 चमच्च चूर्ण ले लें और 1 अंजीर  लेलें।

इसको आधे लीटर पानी मे रात को डाल दें।

सुबह इस पानी का इतना उबालें की यह 100ml के करीब बच जाए। फिर इसको उतार कर छान कर ठंडा होने के बाद एक चमच्च शहद मिला लें।


कब लेना है- सुबह इसका सेवन खाली पेट करें।

लाभ- सफेद दागों को मिटाने के रामबाण इलाज है। 

कम से कम 3 महीने सेवन करें।

बावची एक औषधि होती है और आंवला और कत्था ये तीनो चीजें पंसारी के मिल जाएंगी।


लेप चिकित्सा Vitiligo treatment ayurvedik cream

1. लोह भस्म, काले तिल, रसवत, बाकुची के बीज और आंवला इन सबको बराबर मात्रा में लेके जलाकर फिर पीसकर फिर भांगरे के रस में मिलाकर लेप करने से श्वित्र रोग नष्ट होता है।

2. बाकुची के 4 भाग चूर्ण में, 1 भाग हरिताल का चूर्ण मिला लें। इसको गाय में मुत्र में पीसकर लेप करने से श्रित्रस्थान का व्रण भी सामान्य त्वचा के सदृश्य हो जाता है।


3. काली मिर्च, निशोथ, कूठ (कूट), देवदारू, हल्दी, दारुहल्दी, लाल चंदन, जटामांसी, इंद्रवारुणी, कनेर, मदार का दूध और गाय के

गोबर का रस सभी 15-15 ग्राम की मात्रा में लेके चूर्ण बना ले।

शुदध हरताल और शुद्ध मैनसिल 5-5 ग्राम भी इसमें मिला ले। (यह विषैली होती है अतः इनका उपयोग ध्यान से करें। इन्हें खाएँ नहीं।)

इन का उपयोग करने के बाद हाथ साबुन से धो लें)

फिर इसमें 10 लीटर गौ मू्र मिला लीजिए और 1 लीटर सरसों का तेल। अब इन सबको मिटटी की कढ़ाई में या किसी लोहे के बर्तन में डाल कर मंद मंद आंच पर रख दें।

जब तेल मात्र शेष रह जाये उतार कर छान लीजिये। इस तेल का शिवेत्र स्थान पर 'लेप करें।

इस के लेप से पुराने कुष्ठ रोग और पुराने श्वित्र रोग नष्ट होते हैं।


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4. काली मिर्च, तमाल के पत्ते, कूठ, मैनसिल और कासिस इन सभी की बराबर मात्रा में लेके बारीक चूर्ण बना लें। इसको तेल युक्त तांबे के बर्तन में 7 दिन के लिए रख दें।

फिर इसका लेप करके धूप में बैठने से 7 दिन के अंदर सिध्म कुष्ठ और नया सफेद कुष्ठ रोग नष्ट होता है। इसे लगाने के बाद स्नान ना करें । अर्थात 7 दिन तक स्नान ना करें। या उस हिस्से पे पानी ना लगने देें।


5. अंजीर पे पत्तों का रस या अंजीर की छाल सफ़ेद दागों पे लगाने से बहुत जल्दी फायदा होता है।


पाप कर्मों की चिकित्सा :

व्रत, बड़े बूढ़ों की सेवा, ब्राह्मणों या गरोबो को दान पुन्य काम, पूज्यो की सेवा, गौ माता की सेवा, पितरों और देवी देवताओं की पूजा पाठ, अपने से नीचे और सरभी पराणियों से मित्रता, शिवजी, गणेश

जी, तारादेवी (उग्र देवता) इन की पूजा पाठ करनी चाहिए। यह रोग सबसे पहले मयूर कवि को हुआ था उनको श्राप मिला था। तब उन्होंने सूर्य की उपासना करी थी।

यह सब करने से कुष्ठ रोग जड़ से खत्म होता है और जिंदगी में पुनः कभी यह रोग नही होता।


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योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप आदि करें। 

आसन: सूक्ष्म व्यायाम, पश्चिमोत्तानासन, हलासन, मर्कटासन, सर्वांगासन आदि करें। 


Safed daag mein kya khana chahie

अनाज: पुराना चावल, गेहूं, जौ खाएं। 

दाल:   अरहर, मूंग की दाल खाएं। 

सफेद दाग में कौन से फल सब्जियां खाने चाहिए : नींबू, हल्दी, सहजन (शिग्रु), टिंडा, अनार, आंवला,  परवल, लौकी, करेला, तोरई, शहद , नीम की पत्तियांआदि।

अन्य: सोंठ, अदरक, सौंफ, हींग, काला नमक, 1 चमच एरंड तेल गुनगुने पानी के साथ, लहसुन, जीरा, जायफल।

सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को करेले की सब्जी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए।


Safed daag mein kya nahin khana chahie

अनाज: नया धान, मैदा ना खाएं। 

दाल:  काबुली चना, देशी चना, मटर, उड़द न खाएं। 

फल एवं सब्जियां: आलू तथा अन्य कन्द मूल  न खाएं। 

अन्य: ऐसे भोजन जो जलन व गैस उत्पन्न करे, तथा पाचन कम करे। दूध, दही, मछली, गुड़, ठंडा भोजन, दूषित पानी, ठंडा पानी, सूखा भोजन, ठंडे भोज्य पदार्थ, तला हुआ एवं कठिनाई से पचने वाला भोजन |

सख्त मना: तैलीय मसालेदार भोजन, मांसहार और मांसाहार सूप, अचार, अधिक तेल, अधिक नमक, कोल्डड्रिंक्स, मैदे वाले पदार्थ, शराब, फास्टफूड, सॉफ्टडिंक्स, जंक फ़ूड, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ।

विरुद्ध आहार: (दूध+मछली) एक साथ नहीं लेना चाहिए।




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