भस्मक रोग Bulimia Nervosa meaning in hindi
भस्मक रोग के कारण Causes of Bulimia
👉हींग, लाल मिर्च
👉अत्यधिक मसालेदार
👉खड़े मसाले के अधिक सेवन करने से
👉बहार के होटल या ढाबो का खाना खाने से
👉चाट पकोड़ी समोसा के अधिक सेवन करने से
👉तली हुई मुंह जलनि चीजें अधिक खाने से
👉पिज़्ज़ा, बर्गर या मैदे के चीजें अधिक खाने से
👉रुखा सूखा भोजन अधिक करने से जो के ना तो तरीदार हो और ना ही उसके साथ दूध या छाछ का सेवन किया जाये तो इस से मनुष्य का कफ क्षीण हो जाता है।
जिस से फिर वात और पित्त बढ़ जाते हैं। जिस से की बढ़ी हुई वायु बढे हुए पित्त को और बढ़ा देती है जिस से की अग्नि बढ़ जाती है फिर अन्न को तुरंत ही भस्म कर डालती है।
भस्मक रोग क्या होता है- जब अमाशय में कफ क्षीण हो जाता है और पित्त अपने ही स्थान में वायु की मदद से तीव्र हो जाता है और अग्नि को बढ़ा देता है तब उस को भस्मक रोग कहा जाता है।
तब बल पाया हुआ अग्नि वायु के सहित शरीर को रूखा कर देता है और तीव्रता के साथ बार बार शीघ्रता के साथ अन्न को पचा देता है।
भोजन करने पर भी उसकी शान्ति नहीं होती, और पच जाने फिर दुःख पता है फिर भूख लगने लग जाती है।
भस्मक रोग के लक्षण Symptoms of Bulimia Nervosa
👉बार बार प्यास का लगना
👉बार बार भूख का लगना
👉शरीर में जलन सी रहना
👉बेहोशी सी होना
👉शरीर में सूजन का हो जाना
👉खांसी का हो जाना
👉मल का सुख जाना
👉पेट में और पसलियों के निचे बीच में हल्का हल्का दर्द महसूस होना
भस्मक रोग का आयुर्वेदिक इलाज Bulimia Nervosa Medication
(1) इस रोग को देर से पचने वाली चीजें खाने से याने के हैवी डाइट लेने से, घी से बने हुए पदार्थ खाने से, ठन्डे तासीर के पदार्थ खाने से शांत करना चाहिए, पित्तनाशक विरेचन देना चाहिए और कफ को बढ़ने वाली चीजें खानी चाहिए।
(2) भैंस के दूध, भैंस का घी और भैंस के दूध की दही का ही इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। क्युकी यह पचने में भारी होते हैं।
(3) भैंस के दूध की खीर बना के उसमे भैंस का ही घी और घी से आधी मात्रा में शहद मिला के सेवन करने से यह रोग 2-3 दिन में ठीक हो जाता है। यह इसका रामबाण इलाज है।
Dekhen Shahad ke fayde
(4) खाना खाने के बाद आधी चमच भैंस का घी खाएं। या जब दिन में जब हलकी हलकी भूख लगती रहे तो भैंस के घी की आधी चमच्च दिन में कई बार खा सकते हैं।
(5) भैंस के दूध में निशोथ का चूर्ण डाल के पकाएं फिर इसका सेवन करने से भी अतिशीघ्र लाभ होता है।
(6) मिठाइयों का सेवन करें, और भी जो मधुर पदार्थ है उनका सेवन करें।
(7) ब्राह्मी और शंखपुशी जैसे अन्य जो मेधावर्धक चीजें है उनका सेवन करना चाहिए।
Bhasmak rog ka upchar
(8) कफवर्धक चीजों का अत्यधिक सेवन करना चाहिए जैसे की मिठाई, दूध दही, केला, नॉन वेज (अगर कहतें है तो ही) का सेवन करना चाहिए
(9) दिन में भोजन करके सोना जरूर चाहिए इस से कफ बढ़ता है।
(10) इस रोग में अन्न का देना बंद न करें। क्युकी पेट की अग्नि को अगर अन्न रुपी ईंधन नहीं मिलेगा तो वो अंदर घाव करने लगती है। बुखा रहने से इसीलिए ही मृत्यु होती है क्युकी पेट अग्नि ही अंदर से मॉस पेशियों को जलने लगती है।
(11) बेर के फल की गुठली को को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना के सेवन करने से 2-3 दिन में यह रोग ठीक हो जाता है। इसका सेवन दिन में तीन बार करें।
(12) बेर की गुठली का चूर्ण बना कर आधी चमच्च चूर्ण साधारण पानी के साथ सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कुछ ही दिन में भस्मक रोग नष्ट हो जाता है। - बनौषधि
परहेज
इस रोग में जिन जिन करने से यह रोग होता है उनका त्याग कर देना चाहिए। और कफ को बढ़ाने वाली चीजों का अत्यधिक ज़बान करना चाहिए क्युकी इस रोग में कफ क्षीण हो जाता है। अगर को बढ़ा दिया जाये तो वात पित्त भी शांत हो जाता है तीनो दोष सम हो जायेंगे और रोग भी ठीक हो जाता है।
इसके अलावा व्यायाम ना करें क्युकी व्यायाम करने से कफ घटता है।
दिन में खाना खाने के बाद जरूर सोएं। केवल इस रोग में।
हो सके तो नहाएं भी नहीं इस रोग में। क्यों नहाने के बाद जठराग्नि बढ़ती है इसीलिए कहा जाता है खाना खाने से पहले नाहना चाहिए ताकि भोजन अच्छे से पचे।