Konse bartan mei khana pakana chahiye | स्टील, मिट्टी, तांबा, कांच, चांदी, पीतल लोहा आदि बर्तनो के गुण

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Kab kis bartan mei khana pakana chahiye


बर्तनो के गुण 

खाना खाने के लिए एक सही बर्तन में रखना बहुत जरुरी है. इससे हमारा खाना स्वस्थ और अच्छी तरह से पच जाता है. यह बर्तन आप को संतुलित और स्वस्थ खाना लेने में मदत करते हैं. आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएँगे की कोन से बर्तन में खाना खाना चाहिए ताकि आप का घर का भोजन स्वस्थ और मज़ेदार हो

हम जानेंगे की हमे किस प्रकार से बर्तन में हमें जो भोजन बनता है उससे अच्छी तरह पचाया जा सके और साथ ही हमें क्या चीज़ों को ध्यान में रखना चाहिए जब हम बर्तनो को चयन करने जा रहे हैं.


Gold ke bartan ke fayde

स्वर्ण के पात्र में भोजन करना सभी दोषों का नाशक, आखों के रोगों के लिए हितकारी और हमेशा पथ्य कहा गया है। 


Chandi ke bartan ke fayde

चांदी के पात्र में भोजन करने से सभी प्रकार के आखों के रोगो के लिए हितकारी है, पित से सम्बंधित जो रोग होते हैं जैसे एसिडिटी,गैस, पाचन क्रिया सही न होना, शरीर में जलन, मासिक धर्म में अधिक रक्त निकलता हो तो उसके लिए हितकर, पेट के अन्य रोग आदि। उन सभी रोगों के लिए हितकर है, लेकिन कफ और वात के रोगों को बढ़ता है अतः वात और कफ से पीड़ित रोगी चांदी के पात्र में भोजन न करें।  


कांसे  ke bartan ke fayde

कांसे के पात्र में बुद्धिदायक याने बुद्धि देने वाला  , छोटे बच्चों को जरूर इसमें डाल के सेवन करना चाहिए, रुचिकारक भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है जिनका खाना खाने का कम मन करता हो उनको कांसे के बर्तन में सेवन करना चाहिए, रक्तपित रोग (internal bleeding) को शांत करता है। 


पीतल  ke bartan ke fayde

पीतल के बर्तन में भोजन करना वात के रोगों को बढ़ता है अतः जिन को जोड़ों में दर्द, घुटनो या कमर में दर्द रहता हो, या जिन्हे नींद ना आने की शिकायत हो, उचाटी शरीर में मचती हो आदि, ये वात रोग 80 होते हैं बाकि आप गूगल कर सकते हैं।  

वात के रोगियों को पीतल के बर्तन में सेवन नहीं करना चाहिए। पीतल के बर्तन में भोजन करना शरीर के लिए रुक्ष और उष्ण होता है, गर्मियों में तो बिलकुल भी सेवन न करें। 

लेकिन जिनके शरीर में कीड़ें हैं या जिनको कफ के रोग है जो 20 हैं, उनमें मुख्यतः खांसी, जुखाम, स्वास सम्बन्धी, मोटापा  बीमारी होती है उनके लिए हितकर है।  


लोहे  ke bartan ke fayde

लोहे के बर्तन में भोजन करना या बनाना सिद्धिकारक याने सिद्धियों को बढ़ाने वाला, शरीर की सूजन को कम करने वाला, पीलिया रोगियों के लिए हितकर, शरीर में बल की वृद्धि करने वाला, liver के रोगियों के लिए हितकर और उत्तम है। 


कांच  ke bartan ke fayde

कांच के बर्तन में भोजन करने से भी वही गुण धर्म मिलते है जो लोहे के बर्तन में खाने से मिलते हैं। 


मिटटी  ke bartan ke fayde

मिटटी के बर्तन में खाना पकाना बहुत ही पवित्र माना गया है।  भारत में बहुत से मंदिर ऐसे हैं जहाँ प्रशाद जब बनता है वह मिटटी के बर्तन में ही बनता है। 

मिटटी के अंदर सभी तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसमें बनाया हुआ खाना बहुत स्वादिष्ट भी बनता है। 

लेकिन मिटटी या पत्थर के बर्तन में कभी भी खाना नहीं परोसना चाहिये और ना ही इनमे डाल के खाना चाहिए।  इनमे खाना खाने से लक्ष्मी का नाश होता है ऐसा आयुर्वेद में लिखा है। 


काठ  ke bartan ke fayde

काठ के बर्तन में खाना खाने से रूचि बढ़ती है।  लेकिन कफ कारक है याने कफ के रोग को बढ़ता है।  जिनके शरीर में मोटापा है वह लकड़ी से बने पात्र में डाल के खाना ना खाएं। 


पत्ते पर खाना खाने का लाभ

पत्तों के बने हुए पात्रो में या पत्तों के ऊपर रखे खाना खाने से रूचि बढ़ती है, पेट की पाचन किर्या को अच्छी करता है, विषनाशक और पापनाशक भी है। 


पानी किस बर्तन में पीना चाहिए

ताम्बे से बना हुआ बर्तन में पानी पीना बहुत हितकर माना गया है। इस इस से रक्त विकार दूर होते हैं, लिवर के रोग भी खत्म होते है। इस से मेधा शक्ति भी बढ़ती है।  

अगर ताम्बे का बर्तन ना हो तो मिटटी के बर्तन मे पानी पीना हितकर माना गया है। 

कांच के बर्तन में पानी पीना भी अच्छा माना गया है और शीतल स्वाभाव का भी माना गया है। 

 




कुछ सामान्य प्रश्न जो लोग अक्सर पूछते हैं। 

किस धातु के बर्तन में भोजन पकाना चाहिए?

वैसे तो हमने सभी बर्तनो के गुण धर्म के बता दिया है तो आप अपने हिसाब से खुद अंदाजा लगा सकते हैं की आपको कोनसे बर्तन में खाना खाना चाहिए।  लेकिन सामान्य देखा जाये तो लोहे के बर्तन में अगर खाना पकाते हैं तो उसमे हमे बल मिलता है।  खून बढ़ाता है क्युकी उस से हमे आयरन मिलता है। 


दूध किस धातु के बर्तन में उबालना चाहिए

हम जानते है की चांदी ठंडी होती है अतः जिसके शरीर में गर्मी बढ़ी हुई हो वह चांदी के बर्तन में दूध उबालें या फिर चांदी के बर्तन में दूध डाल के पियें। 

लेकिन हर कोई चांदी के बर्तन नहीं ला सकते इसीलिए   

दूध उबालने के लिए सबसे अच्छा बर्तन है लोहा।  जी हाँ यह बहुत लाभदायक और गुणकारी है। 


लोहे के बर्तन में दूध गर्म करने के फायदे

लोहे के पात्र में दूध गरम करके पीने से शरीर में बल का विकास होता है।  शरीर में खून की कमी भी दूर होती है।  लिवर पीलिया आदि जैसे रोग ख़त्म होता है अगर रोग ना हो तो यह रोग होते नहीं है। शरीर में आयरन की कमी नहीं होती। 

अगर कोई लोहे का पात्र नहीं खरीद सकता तो फिर वह मिटटी के पात्र में दूध उबाल सकता है।  इस उसमे सारे पोषक तत्व मिल जाते है और दूध का स्वाद भी बढ़ता है। 


लोहे के बर्तन के नुकसान

वैसे तो लोहे के बर्तन के कोई नुकसान देखने को नहीं मिलता लेकिन किस भी चीज की अधिकता रोग उत्पन कर देती है अतः लोहे क पात्र का उपयोग नित्य ना करें। या ज्यादा मात्रा में न करें।  


पीतल के बर्तन में दूध रखना चाहिए या नहीं

पीतल के बर्तन में दूध उबालने या रखने से दूध उसके साथ रियेक्ट करता है जिसके कारण दूध फट जाता है।  


Aluminium ke bartan ke nuksan

अल्लुमिनियम के बर्तनो में खाना नहीं पकाना चाहिए क्यों की यह हमारे बहुत से पोषक तत्वों को जैसे आयरन और कैल्शियम को नष्ट कर देता है।  
इसीलिए इसके बने पात्र में भोजन नहीं पकाना चाहिए।  अल्लुमिनियम फॉयल में ज्यादातर लोग रोटियां डाल के लेके जाते हैं वह भी नुकसानदायक है। 
इसके अलावा यह हड्डियों को नुकसान देता है।  लिवर को भी नुकसान सेठा है।  Heart, kidney से सम्बंधित बीमारियां भी देता है। 

स्टील के बर्तन के फायदे और नुकसान


ऐसा माना जाता है के स्टील से बने पात्र में भोजन से कोई फायदा नहीं मिलता और ना ही नुक्सान  देखने को मिलता है। 

पीतल के बर्तन में पानी पीने के नुकसान


पीतल के पात्र की तासीर गरम और रुख्श होती है।  जिनको भी वाट से सम्बंधित बीमारी है वह पीतल में पानी डाल  के या पका के सेवन ना करें। 
गर्मियों में इसमें पानी डाल के सेवन ना करें। 
सर्दियों में इसमें पानी डाल के सेवन किया जा सकता है।  
जिनके शरीर में कीड़े हैं  या कफ बढ़ा हुआ है या मोटापा बढ़ा हुआ है वह इसमें पानी डाल के या पका के सेवन कर सकते हैं।   





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