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गर्भाशय भ्रंश का अर्थ
गर्भाशय भ्रंश यानि गर्भाशय का अपनी जगह से खिसक कर योनि के बाहरी हिस्से तक पहुंच जाना गर्भाशय भ्रंश या प्रोलैप्स ऑफ़ यूटेरस (#UterineProlapse) कहलाता है। आमतौर पर यह रोग महिलाओं में रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के बाद होता है।
गर्भाशय भ्रंश का कारण
👉योनि में अत्यधिक ढीलापन रहने की वजह से
👉औरतों में बहुत ज्यादा शारीरिक कमज़ोरी बने रहने से
👉प्रसव के बाद (जापा में) अधिक समय तक विश्राम न करना, बहुत साड़ी स्त्रियां ऐसे होती है जो प्रसव के सात आठ दिन बाद ही मजबूरन काम करने लगती है जिसके कारण यह होता है
👉मल मूत्र के वेग को धारण करके रखने से
👉मूत्ररोग रोग होने के वजह से
👉गर्भाशय के भार बढ़ने की वजह से,
👉ज़्यादा भार का उठाने की वजह से
👉जबरदस्ती मल मूत्र आदि का त्याग करने से
गर्भाशय भ्रंश का लक्षण
👉ऐसे में महिला को तेज़ी से खाँसने, हँसने या ताक़त लगाकर काम करने से मूत्र की कुछ बूँदें बाहर निकल आती हैं और यह भ्रंश योनि के छिद्र के बाहर दिखता है जिसे सिस्टोसिल कहते हैं।
👉शारीरिक कमजोरी महसूस करना।
👉योनि में शिथिलता बानी रहना।
👉चक्कर आना एवं खून की कमी हो जाना। ,
👉ऐसे में महिला जब ताक़त लगाकर कोई काम करती है तो ऐसा लगता है कि योनि से कुछ नीचे उतर रहा है। इस स्थिति में रोगी महिला का मूत्र नियंत्रण समाप्त हो जाता है। उसके पेट में तनाव उठता है।
👉कमर व बाजू में खिंचाव व दर्द उठता है यह दर्द चलने फिरने से और बढ़ जाता है और योनि में अत्यधिक स्राव की उपस्थिति प्रारम्भ हो सकती है।
गर्भाशय भ्रंश Rectal prolapse or uterus prolapse आयुर्वेदिक उपचार
1. दो गिलास पानी मे दो चमच्च त्रिफ़ला चूर्ण की डाल के इतना उबालो की आधा गिलास बच जाए। फिर इसको उतार कर छान कर इसमें एक चमच्च शहद मिला लें। इस से योनी का सिंचन करना है। जहां से ग्रभ योनि से बाहर निकला हुआ है उसको अच्छे से इस काढ़े से धोएं।
यह कषाय काढ़ा योनि को की शिथिलता को खत्म करके कठोर बनाता हैं। इसको अंदर बाहर से अच्छे से धोएं हल्के हाथों से। काढ़ा की मात्रा ज्यादा भी कर सकते हैं। Ratio यही रहेगा।
जो महिलाएं अपनी योनि को Tight करना चाहती है उसके लिए भी यही नुस्खा है।
Uterine Prolapse का यह रामबाण है। इसको दिन में तीन बार करें। एक दो महीने तक।
2. पांच क्षीरी वृक्षों की छाल एक साथ लेकर मिला के उसका काढ़ा बनाएं। और इस काढ़े से योनि प्रक्षालन करना चाहिए।
क्षीरी वृक्ष होते हैं :- वट, पीपल, पाकड़, गूलर और शिरीष।
प्रक्षालन का मतलब होता है किसी चीज या यन्त्र में इस काढ़े को भर दिया जाता है। फिर इसको योनि के अंदर प्रवेश कर दिया जाता है। यह योनि के अंदर की शिथिलता को दूर करता है।
इसी प्रकार बवासीर में गुदा प्रक्षालन किया जाता है। जिन छोटे बच्चों की गुदा बहार आ जाती है उसमे भी इस्तेमाल होता है।
3. इसी प्रकार मालती या मालकुंगनी, अश्वगंधा, मोचरस इन सबको बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना लें। इस काढ़े से योनि प्रक्षालन करने से लाभ होता है।
Complete procidentia treatment
1. बीरबहूटी को करेले की जटा के रस के साथ पीसकर घी मिला के घोंट लें। इसका लेप करने से सम्पूर्ण ग्राभश्य जब बाहर निकलता है तो वो भी अपने स्थान पर चला जाता है।
2. चूहे के मांस से निर्मित सरसों के तेल से लेपन करने से भी यह भयानक बीमारी ठीक होती है।
3. मैनसिल के साथ कपूर पीस कर किया गया लेप भी बड़ा गुणकारी है इसमें। दोनों की मात्रा बराबर रखे।
आयुर्वेदिक नुस्खे Uterine prolapse & Complete procidentia के लिए
👉अश्वगंधा आरिष्ट की दो चमच लेके उसमे दो चमच पानी मिला के खाना खाने के आधे घंटे बाद दिन में दो से तीन बार सेवन करें।
👉 अशोकारिष्ट का भी सेवन कर सकते हैं। बिलकुल ठीक इसी तरह से जैसे अश्वगंधारिष्ट बताया है। यह दोनों ही बहुत अच्छे नुस्खे हैं। इसमें से कोई एक कर सकते हैं।
👉 अणु तेल की दो दो बूंदे नाकों में डालनी चाहिए। इस से नाड़ियों और मांसपेशियों की शिथिलता दूर होती है।
इसके और भी अन्य फायदे हैं।
Uterus Prolapse में क्या नहीं खाना चाहिए
👉जिन करने से यह होता है वह सब ना करें।
👉मल मूत्र के वेगो को ना रोकें।
👉भारी सामान या अपनी शक्ति से ज्यादा कार्य ना करें।
👉कब्ज ना रहने दें।
👉बहार का खाना जितना हो सके उतना अवॉयड करें।
👉मिर्च मसालेदार,चाट पकोड़ी, मैदे से बनी हुई चीजों का सेवन ना करें।
👉जबरदस्ती मल त्याग न करें।
👉अच्छा स्वास्थ्यवर्धक और हल्का भोजन करें।