Din or Raat mei kab kab kaunsa dosh badhta hai | वात | पित्त | कफ

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Vaat pitt kaph dosh



दिन रात में तीनों दोषों का प्रवतन


आयुर्वेद में अनेको ग्रंथो में दिन चर्या और ऋतुचर्या को जीकर जरूर मिलता है वह सब बताया भी इसीलिए गया था ताके हर मनुष्य उसी अनुसार खान  पान रख करके अपने आप को स्वस्थ रख सके। 

ऐसे ही दिन में कब कौनसा दोष होता है उसी के बारे में बताया गया है। 


कफ दोष

दिन के पूर्व पहर में और प्रदोष के समय में कुपित होता है ।

पूर्व पहर याने सुबह सूर्य उदय होने से लेकर 8-9 बजे तक।

प्रदोष पहर याने सूर्य अस्त के 45 min पहले से लेकर बाद तक।


अतः इन दोनों ही समय मे कफ वर्धक चीजें नही खानी चाहिए। जैसे कि दूध सुबह पीने को मना किया जाता हैं  अगर फिर भी किसी को पीना ही हो तो वह उसे खूब उबाल के सेवन करें।


कफ दोष बढ़ाने वाले वाले पदार्थ 

👉मीठे पदार्थ या फिर मिठाईयां, खट्टे फल या पदार्थ और चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन

👉मांस-मछली का अधिक सेवन या देर से पचने वाली चीजें

👉तिल से बनी चीजें, गन्ना या गन्ने का रस, दूध, नमक का अधिक सेवन

👉फ्रिज का ठंडा पानी पीना

👉आलसी स्वभाव और रोजाना व्यायाम ना करना, या पूरे दिन ऐसे ही पड़े रहना 

👉दूध-दही, घी, तिल या फिर उड़द की खिचड़ी, सिंघाड़ा, नारियल, कद्दू, खरबूजा, तरबूज आदि का सेवन करने से भी कफ बढ़ता है। 

अतः जिन जिन चीजों के खाने से या करने से कफ बढ़ता है और दिन या रात में जब जब कफ प्रबल रहता है तब यह सब नहीं खावें। 


पित्त दोष 

दिन के मध्य में और रात्रि के मध्य में कुपित होता है। दिन के 12 से 3 और रात जे 12 से 3 में पित की अधिकता रहती है। अतः दिन में पित्त वर्धक खाना खाने से बचें और छाछ का सेवन करें।


पित्त दोष बढ़ाने वाले वाले पदार्थ 

👉चाट पकोड़ी समोसा, चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे पदार्थों का अधिक सेवन करने से 

👉अपने बल से ज्यादा व्याम या मेहनत करने से, हमेशा मानसिक तनाव और क्रोध करने से  

👉शराब के अत्यधिक सेवन से

👉बिना भूख के भोजन करने से, पहले का खाना बिना पचे भोजन करने से   

👉अत्यधिक सम्भोग करने से 

👉तिल का तेल या सरसों का तेल, दही, खट्टी छाछ और सिरका आदि के अत्यधिक सेवन से 

👉गोह, मछली, भेड़ व बकरी के मांस के अत्यधिक सेवन से 

अतः जिन जिन चीजों के खाने से या करने से पित्त बढ़ता है और दिन या रात में जब जब पित्त प्रबल रहता है तब यह सब नहीं खावें। 


वायु दोष 

प्रायः करके अपराह्त ( तीसरे प्रहर ) और अपररात्रि में कुपित होता है।

तीसरा पहर मतलब रात के 12:30 बजे के करीब शुरू होता है और 3 बजे के करीब रहता है। इसमें पित की भी रहती है।

अपररात्रि मतलब होता है लगभग रात के 3 बजे से लेकर सूर्य उदय होने तक।

मतलब 12:30 से लेकर 5 बजे के करीब तक वात प्रबल रहता है और इसी समय हृदयाघात सबसे ज्यादा होता है। अतः रात में ऐसे कोई चीज ना खाएं जिस से वह चीज पचने के बाद आपके शरीर मे वात को बढ़ा दे। इसीलिए हल्का भोजन करें।

इसे ही अंतिम पहर कहा जाता है। ब्रह्म मुहरत भी कहते हैं। 


वात दोष बढ़ाने वाले वाले पदार्थ 

👉मल-मूत्र या छींक जैसी अन्य 13 तरह के वेगों को रोकने से 

👉बहुत अधिक मात्रा में भोजन करने से 

👉पहले का खाना बिना पचे दोबारा भोजन करने से 

👉रात को देर तक जागने से 

👉तेज या चिल्ला के बोलने से 

👉शक्ति से अधिक मेहनत करने से 

👉सफ़र के दौरान गाड़ी, स्कूटर या बाइक आदि में तेज झटके लगना

👉तीखी और कडवी चीजों के अत्यधिक सेवन करने से

👉ड्राई फ्रूट्स के अत्यधिक सेवन से 

👉चिंतित रहने से 

👉अधिक सम्भोग करने से 

👉ज्यादा ठंडी चीजें खाने से

👉उपवास आदि रखने से 

अतः जिन जिन चीजों के खाने से या करने से वात बढ़ता है और दिन या रात में जब जब वात प्रबल रहता है तब यह सब नहीं खावें 




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