Varicocele causes, Symptoms and Treatment without surgery in hindi

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Varicocele


Varicocele in Hindi

ऊपर की और अवरुद्ध गति वाली और बहुत ही ज्यादा कुपित अपान वायु निचे की ओर चलती हुई अंडकोष और पेट के निचले हिस्से में दर्द और सूजन  को करती हुई अंडकोष में जाकर बस  जाती है। फिर उसके बाद अंडकोष की नाड़ियों में भयंकर सूजन और दर्द कर देती है। 

Epididymitis, Hydrocele, Varicocele, Orchitis, Spermatocele, Hypogonadism, inguinal hernia, Testicular torsion or other scrotal conditions आदि जितने भी अंडकोष की बीमारी होती हैं। ऐसे ही होती हैं। 
 

Differnce between Hydrocele vs varicocele vs Inguinal Hernia in hidni


हाइड्रोसील में अंडकोष में पानी भर के लटक जाते हैं और इसमें बहुत दर्द होता है। 

वैरीकोसेल में अंडकोषों की नसों में सूजन आजाती है और अंडकोष की वृद्धि भी दिखती है इसमें भी बहुत दर्द होता है। 

इनगुइनल हर्निया में आंत अपनी झिली से बहार निकल आती  जांघ या उसके  निचे अंडकोष में जाके गाँठ उत्पन कर देती है।  जिसे आंत का उतरना भी बोलते हैं। 


Types of Varicocele in Hindi


वैरीकोसेल के तीन प्रकार होते हैं:-

Grade 1 Varicocele in Hindi

यह सबसे पहली स्टेज होती है, वैरीकोसेल में नसों का एक गुच्छा बन जाता है, क्युकी यह शुरुवाती स्टेज है तो इसमें दिखाई नहीं देती। valsalva maneuver की मदद से हम देख सकते हैं। इसके शुरुवात में, HIGH BP होना, हृदय की गति तेज होना, गुस्सा आना, हृदय की धड़कन का स्किप होना आदि। 

Grade 2 Varicocele in Hindi

यह वैरीकोसेल की दूसरी स्टेज होती है। इसमें हलकी हलकी नसें देखी जा सकती हैं क्युकी उसमे पहली स्टेज के मुकाबले सूजन बढ़ी हुई दिखाई देती है। इसमें नसों में दर्द का के साथ हलकी हलकी जलन भी महसूस हो सकती है। अगर इसका समय पे इलाज न हो तो आगे चलकर शुक्राणुओं की कमी हो जाती है, शीघ्रपतन होना, नपुंसकता आना जैसे हालत भी हो सकते हैं। 

Grade 3 Varicocele in Hindi

यह वैरीकोसेल की तीसरी स्टेज होती है इसमें साफ़ साफ़ नसें दिखाई देती हैं और उनमे सूजन भी दिखाई देती हैं।  इसमें बहुत दर्द होता है। अंडकोष पे हल्का सा भी दबाव पड़ने पर बहुत दर्द होता है। इसमें नपुंसकता आजाती है, शीघ्रपतन हो जाता है। अंडकोष बहुत बढ़ जाते हैं नसें भी बहुत बढ़ जाती है। 


Types of Testicles Diseases in Ayurved


1. वातज वृद्धि
इसमें जो लक्षण होते हैं हाइड्रोसील जैसे ही होते हैं।  इसमें अंकुश चमड़े की थैली में जैसे पानी भरा हो वैसे हो जाते हैं। 

2. पित्तज वृद्धि (Orchitis Epididymitis)
इसमें अंडकोष पक्के हुए गूलर के फल के जैसे दिखाई देते हैं। जो स्पर्श करने में गर्म हों, इसमें दर्द रहता है और जलन महसूस होती है।  यही लक्षण Orchitis and Epididymitis में दिखाई देते हैं। अतः Orchitis and Epididymitis की चिकित्सा भी इसी के चिकित्सा की तरह होगी।   

3. कफज वृद्धि 
जो अंडकोष स्पर्श करने पर शीतल हो, भारी हो, चिकना सा हो(रुखा न हो), अंडकोषों में खुजली मचती हो, साथ साथ दर्द बना रहे।  

4. रक्तज वृद्धि (कोनियम )
जो अंडकोष काले रंग के पड़ जाएँ, या फिर उन पर काले चकते से पड़  जाएँ, और पित्तज में जो लक्षण बताये हैं उनसे युक्त होता है। इसके कोनियम बीमारी के जैसे ही लक्षण है। 

5. मेदोज वृद्धि 
इसमें अंडकोष ताड़ के फल जैसे हो जाते हैं,  और जो लक्षण कफ वृद्धि के होते हैं वही इसमें होते है। 

6. मूत्रज वृद्धि (Hydrocele)
इसमें अंडकोष चमड़े की थैली में जैसे पानी भरा हो वैसे हो जाते हैं। 

7. अन्त्र वृद्धि (Inguinal Hernia)
इसमें आंत उतर कर अंडकोष में चली जाती है और गाँठ उत्पन कर देती है। इसको आम भाषा में आंत का उतरना भी कहते है। और अंग्रेजी में इनगुइनल हर्निया कहते हैं।  


Symptoms of Varicocele in Hindi || varicocele le lakshan

👉 स्टेज बढ़ने के साथ साथ दर्द का बढ़ना 
👉 अंडकोष पे कुछ भी लगने से तेज दर्द होना 
👉 अंडकोष में या आसपास गाँठ का निकलना 
👉 नसों का सूज जाना 
👉 शरीररिक कमजोरी आना 
👉 बेचैनी होना 


Causes Of Varicocele In Hindi || Varicocele ke karan


👉 क्षमता से भारी वजन उठाने से 
👉 शरीर में वात आदि दोष बढ़ने से
👉 मल मूत्र, वीर्य के वेग को रोकने से 
👉 चोट या दुर्घटना होने से 
👉 व्यायाम करते समय लंगोट न पहन ने से 
👉 मल त्याग करते समय बहुत जोर लगाने से (ऐसा कब्ज के दौरान ज्यादा होता है ) 


Varicocele Treatment in Hindi

वातज वृद्धि चिकित्सा 

अगर आपको पता चल जाये की आपके वातज वृद्धि है तो आप एक गिलास गाय के दूध में एक चमच्च एरंड का तेल मिला के सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से एक महीने में ठीक हो जायेंगे। और इसी नुस्खे से Hydrocele का इलाज भी होगा। 

देखें अन्य Hydrocele का इलाज

पित्तज वृद्धि चिकित्सा 

अगर आपको पता चल जाये की आपके पित्तज वृद्धि है तो  वट, पीपल, पाकड़, गूलर और बेत इन सभी की छाल लेके चूर्ण बना के घी से साथ अच्छे से घोंट के लेप करें।  
और इन्हीं सब पांचो की छाल  का चूर्ण बना के फिर इसका काढ़ा बना के सेवन करने से पित्तज वृद्धि के साथ साथ Orchitis और Epididymitis दोनों का इलाज भी होता है।

लाल चंदन, मुलेठी, कमल, खस, नीलकमल इन सबको बराबर मात्रा में लेके दूध के साथ पीसकर लेप लगाने से लाभ होता है। 
इनमे से कोई एक नुस्खा कर सकते हैं।
और इसी से ही रक्तज वृद्धि भी ठीक होती है


कफज वृद्धि चिकित्सा

अगर आपको पता चल जाए की आपके कफज वृद्धि है तो उष्णवीर्य द्रव्य को ताजे गौ मूत्र के साथ पीस कर लेप करें। 
दारुहल्दी का काढ़ा बना लें 100ml उसमे 50ml तजा गौ मूत्र डाल के सुबह खाली पेट सेवन करें। 
त्रिकटु और त्रिफला के सभी 6 औसधि बराबर में लेके उनका काढ़ा बना लें, उस काढ़े में एक चुटकी सेंधा नमक और एक चुटकी जोखार मिला के सुबह खाली पेट सेवन करें। 
इनमे से कोई एक नुस्खा कर सकते हैं। इन्ही नुस्खे से मेदोज वृद्धि का इलाज भी होता है।   
 

अन्त्र वृद्धि चिकित्सा 

अगर आपको पता चल जाए की आपके इनगुइनल हर्निया है तो आप रास्ना, मुलेठी, गिलोय, एरंड की जड़, बरिआरा और गोखरू इन सभी को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना लें फिर उस काढ़े में एक चमच्च एरंड के तेल की मिला सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से अति शीघ्र लाभ होता है। 

कुरण्ड रोग और बद (बाधि या बध्र्म)


यह दोनों वैसे तो एक ही कारणों से होते हैं अभिषियंदी पदार्थों जैसे दही आदि के अधिक सेवन से, पचने में भारी पदार्थों के सेवन से, वात दोष कुपित होने से जांघ के आस पास गाँठ उत्पन कर देते हैं या अंडकोष में दिकत कर देते हैं।  
इन दोनों में इतना ही भेद है की कुरण्ड  रोग में पीड़ा नहीं होती लेकिन अंडकोष बढ़ जाते हैं, लेकिन बद (बाधि या बध्र्म) में अंडकोष बढ़ने के साथ बहुत ज्यादा पीड़ा भी होती है। 
इनकी चिकित्सा वैरीकोसेल की तरह ही की जायेगी।


Varicocele Treatment without surgery in hindi || Varicocele का परमानेंट इलाज  


1. सरसों के बीज और बालवच(वच) दोनों बराबर मात्रा में लेके पानी के साथ पीसकर लेप करने से बढे हुए अंडकोष की सूजन और दर्द दोनो ठीक होते हैं। वैरीकोसेल का जड़ से इलाज होता है।

2. ब्रह्मडंडी (वबनेठी) की जड़ को पीसकर चावल के पानी में घोंट लें। इसका लेप करने से बढे हुए अंडकोष सही होते हैं। गले में अगर गांठे हो जिसे गण्डमाला कहते हैं अगर वहां लेप किया जाए तो वो भी ठीक होते हैं। 

3.  एक चमच हरड़ का चूर्ण लेले उसको 50ml ताजे गौ मूत्र में डाल दें कुछ देर बाद जब यह सुख जाए तब एक कढ़ाई में थोड़ा सा एरडं का तेल डाल कर गर्म करें जब अच्छे से गरम हो जाए तब गैस को बंद करदें।  फिर इस तेल में यह चूर्ण डाल दें, और दस सेकंड में निकाल लें। फिर इसको ठंडा होने दें। 

उसके बाद डेड गिलास पानी लें उसको इतना उबालिये की वो एक गिलास पानी बच जाए इस जल के साथ इस चूर्ण का उपयोग करने से कितना भी पुराना वैरीकोसेल क्यों ना हो दो सप्ताह में ठीक हो जाता है। इसके अलावा अंडकोष की सभी बीमारियां ठीक होती है। बवासीर का इलाज भी होता है। कब्ज का इलाज भी होता है। हाथी पावं का इलाज भी होता है। इसको हर दिन तजा ही बनाएं। 

4. एरंड के तेल के साथ जो माहिरि की जड़ का चूर्ण आधी चमच सुबह शाम खाली पेट सेवन करता है वह वैरीकोसेल की बीमारी से एक महीने में बहार निकल आता है। 

5. इन्द्रायण याने के गडुम्बा खेतों में मिल जाता है आसानी से।  इसकी जड़ का चूर्ण लगभग एक चमच लेके, एक चमच एरंड का तेल मिलाये हुए एक से दो गिलास दूध के साथ सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से एक महीने पुरानी से पुरानी वैरीकोसेल नष्ट होती है और अंडकोष की सभी प्रकार की बीमारियां भी नष्ट होती है। 

6. जीरा, सूखा गोबर, हाऊबेर, कूठ, बेर की छाल इन सभी को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे कांजी के साथ पीसकर लेप करने से सब प्रकार के अंडकोष के रोग ठीक हो जाते हैं। 

7. रस सिन्दूर दो चुटकी को दो चमच सरसों के तेल और दो चुटकी सेंधा नमक आपस मिला के पेस्ट बना लें। इसका लेप लगाने से ताड़ के फल के सामान हुए अंडकोष भी सही हो जाते हैं। 



 

Home Remedies of varicocele  || Varococele के घरेलु नुस्खे उपाय/उपचार 

1. 100ml ताजा गौ मूत्र में दो ग्राम दारुहल्दी मिला के सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से एक महीने में अंडकोष की सूजन, जलन और दर्द खत्म होता है। 

2. अदरक का रस एक चमच्च शहद के साथ चाटने से ना सिर्फ खांसी जुखाम में ही आराम नही मिलता अपितु अंडकोष की सभी समस्या को ठीक करता है। 

3. त्रिफला के काढ़े में तजा गौ मूत्र के पीने से एक महीने में वैरीकोसेल रोग नष्ट हो जाता है। 

4. गाय के देशी घी को तरल कर के एक चमच के करीब फिर उसमे एक चुटकी सेंधा नमक मिला लें। ऐसी दो खुराक बना लें। एक को चाट लें सुबह खाली पेट एक को लेप लगा लें। एक महीने में बढे हुए अंडकोष सही हो जाते हैं सूजन दर्द सब ख़त्म हो जाता है। 

5. पुराने वक़्त में जब किसी के अंडकोष की वृद्धि हो जाती थी तब कान बिंधवाते थे।  जैसे अगर किसी का दायां  अंडकोष बढ़ गया तो दाएं कान को और बायाँ  अंडकोष बढ़ गया तो बाएं कान को बिंधते थे।  आज भी गाओं देहात में ऐसे ही चिकित्सा करते हैं। और यह बहुत ही कारगर चिकित्सा होती है। 

6. अरहर को पानी में पीसकर गुनगुना करके लेप लगाने से बालकों के बढे हुए अंडकोष ठीक हो जाते हैं। 

7. अगर अंडकोष पे चोट लग जाये तो थोड़ी सी हल्दी में अंडे की जर्दी मिला के लेप बना लें और हल्का सा गर्म करके लेप लगाने से दर्द आदि खत्म हो जाता है। 

8. अगर अंडकोष में चोट लगने की वजह से घाव हो जाए तो कीकर(बबूल) की छाल  के छोटे छोटे टुकड़े करके पानी में खूब उबाल लें। और इस पानी से धोएं तो अच्छा लाभ होता है।   



Varicocele में क्या खाएं

वमन किर्या करना(उलटी करना), विरेचन किर्या करना(दस्त लगवाना), बस्तिकर्म किर्या करना, रक्तमोक्षण किर्या करना(जोंक आदि लगवाके रक्त निकलवाना), स्वदकर्म किर्या करना(सेक आदि किर्या से पसीना निकलवाना), लेप आदि लगाना, लाल शाली धान के चावल खाना, एरंड का तेल, गौ मूत्र, पुनर्नवा, हरड़, गोखरू, अश्वगंधा, त्रिफला, प्रियंगु आदि आयुर्वेद औसधियो का सेवन लाभप्रद है। 

सहजन का फल, परमल, पान, लहसुन, रास्ना, गाजर, शहद, गर्म जल, छाछ आदि। विशेष रूप से लाभप्रद हैं। 


Varicocele में क्या ना खाएं

👉 मल मूत्र आदि अन्य 13 वेग जो शरीर में होते हैं उन्हें कभी धारण ना करें। 
👉 साइकिल, मोटरसाइकिल, ऊबड़खाबड़ रस्ते पे चलना बंद कर दें। 
👉 शारीरिक व्यायाम करना बंद कर दे, और लंगोट बांधे। 
👉 अधिक भोजन ना करें। 
👉 अधिक पैदल ना चलें। 
👉 दही का सेवन ना करें। 
👉 देर से पचने वाले पदार्थो का सेवन ना करें। 
👉 नॉन वेज, तली हुई चीजें, मैदा का सेवन ना करें। 
👉 उपवास, व्रत आदि ना करें। 
👉 सम्भोग ना करें। 
👉 शराब का सेवन ना करें। 



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