Benefits of Sonth Powder | सोंठ के फायदे और नुकसान | Benefits of Dry Ginger

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Benefits of sonth


Sonth | सोंठ | Dry Ginger

अदरक का छिलका हटाकर उसे सूखा लिया जाता है, जिसे सोंठ कहा जाता है।  यह पौधा लगभग चार से पांच फुट ऊँचा होता है। यह लगभग लगभग पूरे भारत में मिल जाती है। 

कई जगहनो पर अदरक का छिलका हटा करके फिर उसको दूध में खूब उबाल लिया जाता है फिर उसको निकल कर के सूखा लिया जाता है जिसे दूधिया सोंठ कहते हैं। 


सोंठ के अन्य नाम-

तमिल- सुक्कू

मलयालम- चुक्कु 

कन्नड़- शुंति 

मराठी- सुंथा 

गुजरती- सूंठ 

संस्कृत- शुण्ठि

English- Dry Ginger


Benefits of Sonth in Hindi

सोंठ का गुण धर्म

रुचिकारक- खाने की रूचि को बढ़ाने वाली, भूख को बढ़ाने वाली। 

आमवात नाशक- याने के जोड़ों के दर्द के लिए और अर्थराइटिस का इलाज करता है। 

पाचक- खाये पिए को अच्छे से पचाने वाला 

चरपरी- स्वाद में चरपरी होती है। 

हल्की स्निग्ध (ऑयली) होती है। 

तासीर में गर्म होती है। 

पाक में मधुर होती है। 

कफ और वात के रोगो का नाश करती है। 

इसके अलावा वीर्यवर्धक है, खांसी जुखाम, फेफड़ों के सभी रोग, उलटी आना, हृदय रोग, शरीर में कहीं भी किसी प्रकार का दर्द, श्लीपद (Elephantitis), शोथ रोग (शरीर में सूजन), बवासीर रोग, अफारा(gas), पेट के सभी प्रकार के रोग जैसे संग्रहणी(IBS), आँतों के रोग, कब्ज आदि और कफ और वात  के सभी रोगो का नाश करती है। 



Benefits of Sonth Powder


Sonth powder in Arthritis Treatment

रात को खाना खाने के लगभग एक दो घंटे बाद सोंठ के चूर्ण की फाण्ट बनाकर सेवन करने से बूढ़े लोगो का ही क्यों न हो वह भी ठीक हो जाता है कुछ ही दिन के सेवन से। इस से कब्ज का इलाज और बवासीर का इलाज भी होता है। 
शुंठी और गिलोय को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बनके सुबह शाम सेवन करने से पुराने से पुराना आमवात , गठिया बाय भी ठीक हो जाता है। 

फाण्ट कैसे बनाये-  एक मिट्टी का पात्र लेलें। फिर उसमे एक गिलास के करीब गरम पानी डालदें। फिर उसमे आधी से एक चमच के करीब औसधि का चूर्ण डाला जाता है याने के सोंठ का चूर्ण डाल दें। फिर इसको अच्छे से मिला लें। फिर इसको छान लें। और हलके गरम रहते ही इसका सेवन करें। 


Sonth Powder in Heart Diseases Treatment

जैसा की अब हम जानते हैं की सोंठ वात नाशक है। और पाचन किर्या भी सही करती है।  अतः हमारे शरीर में जो खाना अच्छे से है पच पाटा था जिसके वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है सोंठ के चूर्ण के सेवन से नहीं बढ़ता।  इसके अलावा यह पेट में गैस नहीं बन ने देता जो के कई बाद अफारा बन के छाती में गैस जाने की वजह से हृदय में दर्द होता है। 

अफारा बन ने पर इसका आधी चमच चूर्ण हलके गर्म पानी के साथ लें।  तुरंत आराम होता है।  

हृदय रोगी भी इसका नित्य इसी प्रकार खाली पेट सेवन करें।


Dry Ginger in Asthma Treatment

कफनाशक होने की वजह से यह इसके बहुत फायदेमंद है।  जिन को भी अस्थमा या फिर खांसी जुखाम हो चाहे वो बलगम वाली हो या फिर सुखी खांसी उसके लिए आप शुंठी(सोंठ) और हरड़ को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना लें।  इसको रोजाना खाली पेट हलके गर्म पानी के साथ सेवन करें। नार्मल खांसी में तो दो से तीन दिन में ही आराम हो जाता है और अस्थमा में कम से  कम तीन महीने सेवन करें। 
इसी नुस्खे से हिचकी भी मीट जाती है। 

Dry Ginger in Tinnitus Treatment | कानों में से आवाज आना 

कानो में से आवाज आना या कानो का बजना शरीर में वात बढ़ जाने की वजह से होता है।  अतः इसके लिए आप सोंठ, घी और गुड़ तीनो बराबर मात्रा में लेके आपस में पेस्ट बना के सुबह शाम खाली पेट सेवन करें।  एक महीने में ही इस समस्या का समाधान हो जाता है। ये गुड़ और सोंठ के फायदे हैं 

आखों के सामने अँधेरा छाना- इस बीमारी में भी ऊपर वाला नुस्खा आजमाए। बहुत कारगर है। 

कभी कबर सर्दियों के मौसम में शरीर में ठण्ड बैठ जाती है और सर दर्द भी हो जाता है उस अवस्था में भी आप इसी नुस्खे को आजमाए।  


Sonth Powder in Migraine Treatment

सोंठ को पानी में पीसकर गाढ़ा लेप बनाये। इस लेप को दर्द वाले स्थान पे लगाएं।  इसमें अलावा हलके गर्म दूध में एक चमच सोंठ मिला के नित्य पीने से भी आधाशीशी कुछ ही महीनो में ठीक हो जाता है। इसी दूध सोंठ से वात के संपूर्ण रोग नष्ट होते हैं। ये दूध और सोंठ के फायदे हैं 
शुंठी के चूर्ण को बकरी के दूध में मिला के नाक में दो दो बूँद नाको में डालने से सभी प्रकार के सर दर्द ठीक होते हैं। 


Dry Ginger in Back Pain and Joints Pain Treatment

शुंठी का काढ़ा बना के उसमे एक चमच एरंड का तेल मिला के सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से कमर, घुटनो का दर्द Sciatica एक महीने में नष्ट हो जाता है इसके अलावा शरीर के अन्य जोड़ो के दर्द भी नष्ट होते हैं। 



सोंठ के अध्भुत प्रयोग | Benefits of Dry Ginger in Hindi


1. सोंठ का काढ़ा नित्य खाली पेट सेवन करते रहने से गैस, कब्ज, बवासीर नहीं होती।  और अगर है तो वह ठीक हो जाती है। सोंठ का चूर्ण छाछ में मिला के पीने से बवासीर का इलाज होता है। 

2. सोंठ के चूर्ण को या फिर काढ़े को सुबह खाली पेट सेवन करने से नजला(sinus), अस्थमा, खांसी, जुखाम, पेट के कीड़े, पेट के सभी रोग और फैटी लिवर का इलाज होता है। 

3. सोंठ, नागरमोथा, गजपीपल, देवदारू, धनिया, कुटकी, इन्द्रजौ, और दशमूल की सभी औसधियों को लेके इन सबको बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बनाएं, और थोड़ा सा पानी मिला के पेस्ट बना लें। इस कल्क को हलके गर्म पानी के साथ सेवन करने से त्रिदोष ज्वर, सांस और फेफड़ों से सम्बंधित सभी रोग, खाने में अरुचि, वात के सभी रोग, और हृदय रोग नष्ट होते हैं। 

4. सोंठ, हरड़, और राइ इन सभी का बराबर मात्रा में चूर्ण बना के थोड़ा सा पानी मिला के पेस्ट बना के हलके गर्म पानी के साथ खाना खाने से आधे घंटे पहले सेवन करने से देश विदेश के पानी या खाने का विकार या रोग नहीं होते। 

5. सोंठ और भुने हुए जीरे को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बनाये और इस चूर्ण को गुड़ के साथ गोलिया बना के छाछ के साथ सेवन करने से तीव्र ज्वर खत्म होता है। 

6. सोंठ, तिल और गुड़ संभाग लेके पानी के साथ कल्क बना लें। इस कल्क को  साथ सेवन करने से शरीर के सभी प्रकार अंदरूनी या जोड़ों के दर्द नष्ट होते हैं। 

 7. सोंठ और बेल को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बनाये। फिर उसे छान के इसमें जाऊ का सत्तू मिलाएं।  इसका सेवन करने से गर्भिणी स्त्री के दस्त और उलटी में लाभ होता है। 

8. सोंठ, जवासा, वासा और नागरमोथा इन सबको संभाग लेके काढ़ा बनाएं इस काढ़े के सेवन से कफज ज्वर अति शीघ्र नष्ट होता है। 

 9. सोंठ, पीपल, खैरसार, लाल, कनेर की छाल, पटोल(तोरी,तोरई), मजीठ, देवदारु, अतीस, बेल की छाल, अजवाइन, वासा और त्रिफला संभाग लेके काढ़ा बना के सुबह खाली पेट सेवन करने से सभी प्रकार के कुष्ठ रोग नष्ट होते है।  याने के सोरायसिस, एक्जिमा आदि जितने भी चरम रोग होते हैं वह सभी इस काढ़े से नष्ट होते हैं। 


10. सोंठ, अरनी, पाषाणभेद(पथरचट्टा), सहजन की छाल, वरने की छाल, गोखरूहरड़ और अमलतास संभाग सबको लेके काढ़ा बना लें। फिर इसके काढ़े में  भुनी हुई हींग, जौ खार और सेंधा नमक तीनो चीजें एक एक चुटकी मिला लें, और सुबह शाम खाली पेट सेवन करें। 
इस से thighs से ऊपर और  कमर से निचे याने के इन दोनों के बीच में जितने भी रोग होते हैं सब सही होंगे जैसे, मूत्र रोग, किडनी की खराबी, पथरी की समस्या, मूत्र रुक रुक कर आना या बार बार आना, या कम मात्रा में आना गुदा लिंग आदि के सभी रोग खत्म होते हैं। 

11. सोंठ, हूल हूल, भुनी हुई हींग, हरड़, और इंदरजौ समभाग लेकर के काढ़ा बनाएं, ठंडा होने के बाद इसमें शहद मिला के पीने से पित्त बढ़ने के कारण जब दस्त लगते हैं उसके लिए यह रामबाण औषधि है। 

12. गिलोय, सोंठ, अतीस, नागरमोथा, सम भाग लेकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े सुबह खाली पेट सेवन करने से कब्ज, बवासीर, IBS रोग नष्ट होते हैं। 

13. सोंठ और भारंगी का काढ़ा स्वास सम्बंधित सभी रोगों का नाशक है।  काढ़ा खाली पेट ही सेवन करें। 

14. सोंठ और लोध्र बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना लें। आधी चमच्च चूर्ण की मात्रा लेके और आधी चमच्च देशी खांड मिला लें फिर इसमें घी मिला के पेस्ट बना के  चाटने से सफ़ेद प्रदर रोग एक सप्ताह में नष्ट होते हैं। 

15. सोंठ, नागरमोथा और बेविडिंग इन सभी के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के छाछ या फिर उष्ण जल के साथ सेवन करने से कफज IBS नष्ट होती है। मात्रा दो ग्राम। 

16. सूंठ, काली मिर्च और देवदारु बराबर मात्रा में चूर्ण बना के काढ़ा बना के सेवन करने से समस्त वात रोग नष्ट होते हैं। मात्रा 20ml 

17. शुंठी, काली मिर्च और भांग (या फिर अतीस भी ले सकते हैं) बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से शरीर में सभी जगह के दर्द दूर होतें हैं और दस्त भी ख़त्म होते हैं। मात्रा दो तीन ग्राम

18. अगर आपको लग रहा है आपका खाना नहीं पच रहा, या फिर अगर कहीं आप बहार गए हुए है और आपको कुछ ऐसा वैसा खाने का मन कर रहा है जो के बाद में पचने में दिक़्क़्क़त करे जैसे पिज़्ज़ा बर्गर आदि, तो आधे घंटे पहले सोंठ और हरड़ का चूर्ण सम भाग लेके चूर्ण बना के अपने पास रख लें इसकी आधी चमच चूर्ण साधरण पानी के साथ लेलें। यह सब कुछ पचा देता है। 

19. शुण्ठ, पीपरी और हरड़ का सम भाग चूर्ण साधारण पानी के साथ आधी चमच की मात्रा से नित्य लेने से कब्ज, बवासीर, आंतो के रोग, उदार के सभी रोग नष्ट होते हैं। 

20. शुण्ठ, सोचल नमक, चितामूल(चित्रकमूल),  हरड़, हींग, अनारदाना और सेंधानमक, सभी सम भाग लेके चूर्ण बनाएं, आधी चमच के करीब साधारण पानी के साथ सेवन करने से अग्निमांध खत्म होकर जठराग्नि को बढ़ा देता है। 

21. सौंठ, ब्राह्मी, भुनी हुई हींग, अनारदाना और अम्लवेत इन सभी का सम भाग चूर्ण बनाये, और आधी से एक चमच के बीच में उष्ण जल के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के स्वास सम्बंधित रोग और सभी प्रकार के हृदय रोग नष्ट होते हैं। 

22. सौंठ, मोचरस, धाय के फूल और अजमोद इन सभी का बराबर मात्रा में चूर्ण बनके आधी चमच्च चूर्ण छाछ के साथ सेवन करने से अति भयंकर दस्त नष्ट होते हैं। 

शुंठी घृतम


एक सेर शुद्ध देशी घी  में डाल दें घी की मात्रा एक सेर याने के 960 ग्राम, फिर गर्म होने के बाद सोंठ के चूर्ण का कल्क बना लें, यह लगभग लेलें 10 तोले लगभग 120 ग्राम इसमें मिला दें, फिर इसमें मिला दें ४ सेर पानी याने के 3840 ग्राम पानी, जब पानी सारा जल जाए और केवल घी मात्र शेष रह जाए  तब इसे उतार छान कर रख लें। 
फायदे- वातरोग, IBS, पीलिया, लिवर, स्वास, खांसी, कफ नाशक, कब्ज, बवासीर और ज्वर नाशक है। 

शुंठी तैलम


सोंठ, कूठ, पीपल, बेल की छाल और मुनक्का प्रत्येक 40 ग्राम लेके आपस में मिला लें। लगभग 7 लीटर पानी में यह औसधी डाल दें। जब दो लीटर बच जाए तब इसके अंदर आधा लीटर या तो तिल का तेल डाल दें या फिर देशी घी डालें।  जफर और पकाएं जब घी या तेल शेष बच जाए तो उतार कर छान रख लें।  इस तेल या घी की दो दो बूँद नित्य नाकों में डालने से पुराने से पुराना नजला ठीक होता है और क्षवयु रोग याने जिनको बार बार छींक आने  की एलर्जी हो वह भी ठीक होती है। 


शुंठी लेपम


👉सोंठ को मकोय के साथ या फिर अगस्ति के साथ या फिर गाय के गोबर के रस के साथ पीस कर लेप लगाने से चर्म रोग नष्ट होते हैं। 

👉सोंठ और ऐरंड की जड़ पानी में पीसकर लेप तैयार करें इस लेप को योनि पे लगाने से योनि का दर्द नष्ट होता है। 

👉सोंठ को स्त्री के दूध के साथ या फिर सोये हुए लिकुच (बड़हल) के रस के साथ पीसकर साइटिका, घुटनो का दर्द, कमर का दर्द, Frozen Shoulder का दर्द, ठीक होता है। 

👉सोंठ, कूठ, पमाड़ और देवदारु बराबर मात्रा में लेके भैंस के मूत्र में मिला लेप तैयार कर लें।  हल्का गर्म करके लगाने से सर दर्द ठीक होता है। 


सौभाग्य शुंठी पाक

घी एक सेर, दूध चार सेर, देशी खांड तीन सेर दस तोला, सोंठ का चूर्ण 40 तोले लेके पहले सोंठ को घी में मंद आंच पर पकाएं, फिर थोड़ी देर बाद इसमें दूध और खांड भी मिला दें। जब अवलेह तैयार होने के निकट आजाये तब इसमें निम्नलिखित चीजें और मिला दें- 15 तोले धनिया, 25 तोले सौंफ, बायविडिंग, सफ़ेद जीरा, काला जीरा, सोंठ, काली मिर्च, पीपरी, नागरमोथा, तेजपत्ता, नाग केसर और छोटी इलाइची यह सब लगभग 500 तोले इन सभी का बारीक चूर्ण बना के उसमे डाल दें जब अवलेह बनकर तैयार हो जाए तो उतार लें और स्टोर करके रख लें। 
फायदे- यह पाक स्त्रियों के लिए अतयनत हितकर है। स्त्रियों के सभी रोग दूर करता है। बच्चे के जन्म देने के बाद जापा में इसका सेवन विशेष लाभप्रद है।  बार प्यास लगना, छाती के रोग, बुखार, शरीर में जलन, सूखा रोग, स्वाश रोग, खांसी, फैटी लिवर और पेट के कीड़े नष्ट होते हैं। 
यह बाजार में बना बनाया भी आता है। 

 सोंठ के नुकसान | Side effects of sonth powder | Dry ginger

सोंठ का अधिक मात्रा में सेवन ना करें नहीं तो पित्त को बढ़ा सकता है। 
गर्मियों में इसका सेवन कम करें। 





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