Kaali Mirch ke Fayde | Benefits of Kali Mirch | Benefits of Black Pepper in Hindi

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Kali mirch ke fayde


काली मिर्च 

की जो लता होती है वह मात्र तीन साल में ही फल देने लगती है। एक साल में एक लता के एक बेल पर फलों के लगभग 1000 गुच्छे लगते हैं। बाजारों में  बायविडिंग की मिलावट कर देते हैं। 


काली मिर्च के अन्य नाम 

संस्कृत- मरीच, कृष्णा, ऊष्णा कहते हैं। 

बांग्ला- गोल मोरिच

मराठी- मीरबेल, मिरि

गुजरती- मरी, कालमरी, काठीतीखा

अंग्रेजी- Black Pepper  


काली मिर्च के गुण धर्म 

यह लघु (पचने में हल्की), तीक्ष्ण (स्वाद में तीखी), रुक्ष (रूखी), कटु(कड़वा), विपाक में कटु (पचने के बाद भी कटु), और तासीर में गर्म है। 


काली मिर्च के आयुर्वेदिक फायदे 

यह कफ और वातनाशक है, पित्त को बढ़ाता है, मुँह की लार को बढ़ाने वाला है, जठरग्नि को प्रदीप्त करता है, कृमिघ्न(कीड़ों को मारने वाला), उत्तेजक, हृदयरोग नाशक, जमे हुए  कफ को बहार निकलता है, मूत्रल(रुके हुए मूत्र को बहार निकालने वाला), आर्तवजननं(पीरियड्स लाने वाला), स्वेदल(पसीना लाने वाला), ज्वरघ्न(बुखार को नष्ट करने वाला), परमार्थी द्रव्यों में प्रधान तथा नाड़ी दौर्बल्य, अग्निमांद्य रोग नाशक, अजीर्ण रोग नाशक, प्रमेह नाशक, अफारा(गैस) नाशक, नजला जुखाम नाशक, खांसी नाशक, स्वास सम्बन्धी रोग नाशक, नेत्रों के रोग का नाशक, और पेशाब के रोगों का नाशक। 


काली मिर्च के फायदे 


1. यह घृत युक्त पदार्थ जितने होते हैं उनको शीघ्र ही पचा देता है। आपको ध्यान हो तो पहले लडुओं में काली मिर्च मिलायी जाती थी और लोग बहुत सारे खा भी जाते थे क्यों की शीघ्र ही पच जाता था। 

2. वैसे तो यह पित्त को बढ़ाती है लेकिन कभी पित्त प्रकर्ति वालों को इसका सेवन करना पड़े तो काली मिर्च के बराबर ही देशी खांड को मिला के सेवन करें।  

3. सभी प्रकार के खांसी या फिर स्वास सम्बंधित रोग में इसका एक चौथाई चमच्च चूर्ण शहद के साथ देने से बहुत अच्छा लाभ होता है।

4. सरसों के तेल में या गाय के घी में इसका थोड़ा सा चूर्ण मिला के खूब घोंट लें, यह लेप सफ़ेद दाग, खुजली, दाद, गलशोथ, बवासीर, लकवा में अच्छा  होता है। 

5. दांतो और मुँह के रोगों में इसका कवल धारण करवाते हैं। कवल धारण क्या होता है ? इसके लिए आपको एक गिलास पानी लेना है उसमे आधी चमच्च चूर्ण पानी में डाल दें, उसके बाद एक घूँट भरें और जितनी देर हो सके मुँह में रखें फिर बहार थूक दें। इसको कवल धारण करना कहते हैं। 

6. नेत्र रोगो में इसको शहद में घीस कर अंजन की तरह लगाया जाता है। 

7. पेट या लिवर के रोगों में इसकी एक ग्राम की मात्रा में जल के साथ या फिर शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है। 

8. पेट में दर्द हो रहा हो तो निम्बू के ऊपर काली मिर्च का चूर्ण डाल के चटाया जाता है। 

9. माइग्रेन के दर्द में इसको घी के साथ पीसकर नाको में टपकाने से लाभ होता है।  इसके अलावा इसको भृंगराज के रस में या चावल के पानी के साथ पीस कर लेप करने से लाभ होता है।

10. कहीं पर अगर सूजन हो जाये तो काली मिर्च को थोड़े से पानी में घीस करके लेप बना के गर्म करके के लगाने से सूजन कम हो जाती है। 

11. यदि सर में दाद, खुजली हो रखी हो जिसके कारण बाल झड़ रहे हो तो काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेके प्याज के रस के साथ लेप बनाकर लगाएं। 

12. आखों के रोगों में इसको थूक के साथ घीस कर आखों में अंजन की तरह लगाने से लाभ होता है। 

13. काली मिर्च के 10 दाने तम्बाकू के पत्तों के रस के साथ सेवन करके ऊपर से शीतल जल पिया जाए तो दो महीने में ही शरीर का दुबलापन खत्म हो जाता है।

14. काली मिर्च, पीपरी, सेंधानमक और शुद्ध गोरोचन आपस में मिला के नेत्रों में अंजन की तरह लगाने से भूत बाधा दूर होती है। 

15. काली मिर्च, सौंफ, बाय विडिंग और सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेके गर्म जल के साथ सेवन करने से दो महीने में Arthritis का इलाज होता है। 

16. चित्रक, काला नमक और काली मिर्च तीनो का बराबर मात्रा में चूर्ण बना के छाछ के  साथ सेवन करने से बवासीर, संग्रहणी(IBS), पेट के रोग, कामला रोग, फैटी लिवर, गुल्म रोग और prostate  enlargement रोग ठीक होते हैं। दिन में दो बार सेवन करें। 

17. पित्ती उछलना, शीतपित्त, माता निकलना (urticaria) रोग में काली मिर्च के चूर्ण को घी के साथ खाने से और इसी का मर्दन करने से रह रोग खत्म हो जाता है। 

18. Typhoid का इलाज करने के लिए इसको तुलसी के रस और शहद बराबर मात्रा में मिला के सेवन करवाया जाता है। 

19. गला बैठ जाए तो इसके चूर्ण को खाना खाने के बाद घी के साथ सेवन करवाया जाता है। और Food Poisoning के लिए भी यही नुस्खा इस्तेमाल करें।

20. जुखाम में इसके चूर्ण को गर्म दूध में मिश्री मिला के दिया जाता है।  जुखाम को ठीक करने के लिए उत्तम औसधी है। 

21. मुंह के लकवे में यदि जीब में खिचवाट है तो वहां काली मिर्च को घीसना चाहिए। इस से बहुत अच्छा लाभ होता है। 

22. जोड़ों के दर्द के लिए काली मिर्च को जल के साथ पीसकर मोटा लेप बना लें। इसको दर्द वाले स्थान पर लगा करके ऊपर से केले का पत्ता लगा दें।  बहुत अध्भुत योग है। 

23. रतोंधी में इसको दही में घीस कर आखों में अंजन की तरह लेप करने से कुछ ही दिन में ठीक हो जाती है।  -वाग्भट

24. पलकों के ऊपर कष्टदायक फुंसी हो जाये तो वहां इसका जल के साथ पीसा हुआ लेप लगाया जाता है जिस से वह शीघ्र ही पक कर फुट जाती है। 

25. शरीर में सूजन को दूर करने के लिए इसके चूर्ण को मख्खन के साथ खाने से बहुत लाभ होता है।  बच्चों को भी दे सकते हैं। 

26. सर का गंजापन खत्म करने के लिए इसके चूर्ण को सरसों के तेल में मिला के खूब घोंट करके उस स्थान पर कुछ दिन लगाने से बाल आने लगते हैं। 




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