Benefits and Side Effects of Kalmegh in Hindi | कालमेघ के फायदेऔर नुकसान
Author -
Ayurved4LIfe
September 23, 2023
0
कालमेघ
यह एक प्रकार की लता होती है जो वृक्ष आदि के भी लिपट जाती है। यह चिरायता की ही एक प्रकार की जाती है। यह एक हलके दर्जे का चिरायता है। इसे कई जगह ग्रीन चिरायता कहते हैं। भगवान् और प्रकर्ति कभी हमारे साथ अन्याय नहीं करती है। यह पैदा ज्यादा तर जल भूमि स्थानों पे अधिक होता है जहाँ मलेरिया सबसे अधिक होता है वहीँ सबसे ज्यादा होता है। और यह मलेरिया के लिए अत्ति उत्तम औसधि है। यह बंगाल और आसाम साइड भी खूब होता है।
इसके अंदर कालेमेघिन नामक तिक्त (कड़वा) रालदार सत्व और अधिक परिणाम में मरना हरित(chlorophyll), पत्तों में किंचित सुगन्धित तेल और दो कड़वे पदार्थ पाए जाते हैं।
इसके पंचांग की भस्म में Sodium Chloride और Pottassium लवण होता है।
कालमेघ के आयुर्वेदिक गुण धर्म और परवर्ती (तासीर)
लघु(पचने में हलकी), रुक्ष (रूखी), तिक्त(कड़वी), और कटुविपाक (पचने के बाद तीखी), और तासीर में उष्ण वीर्य है याने गर्म है।
कफ और पित्त दोष नाशक है, दीपन है (अग्नि को दीप्त करने वाला), पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला, आमदोष को हरने वाला, पित्तसारक याने पित्त को निकालने वाला, यकृदुतेजक (लिवर को उत्तेजित करने वाला), रेचक (दस्तावर), कृमिघ्न(कीड़ों को मारने वाला), ज्वरघ्न(बुखार नाशक), रक्तशोधक(खून साफ़ करनेवाला), शोथहर(सूजन को नष्ट करने वाला), स्वेदजनक(पसीना लानेवाली, diaphoretic), कुष्ठघ्न (त्वचा के रोगों का नाशक), नियतकालीक ज्वर प्रतिबन्धक नाशक (Periodic Fever को खत्म करने वाला), कटुपौष्टिक (Malnourished ,कुपोषण को खत्म करने वाला), बालकों के लिए विशेष लाभकारी होता है।
विशेष- रक्तशोधन गुण होने के कारण उपदेशज रक्तविकार आदि अन्य रक्तशोधक द्रव्यों के साथ भी इसे मिलाकर देते हैं। बुखार पर इसका प्रभाव Quinine जैसा या थोड़ा सा कम ही होता है। और जो दुष्परिणाम Quinine से होते हैं वह इस से नहीं होते।
Quinine के प्रचार से पहले ब्रिटिश औसधी संग्रह में इसका एक विशेष स्थान भी था। इसका प्रवाही घनसत्व (Liquid Extract Kalmegh) एक Official योग था। एक्सट्रेक्ट की मात्रा 8 से 14 बूँद दी जाती थी। इसे मल्लभस्म के साथ देने से तो quinine से भी बढ़कर परिणाम देती थी।
Benefits of Kalmegh in Hindi | कालमेघ के फायदे | Kalmegh Bitters Benefits
Kalmegh For Malaria Treatment
इसके घनसत्व में बराबर मात्रा में काली मिर्च का बारीक चूर्ण मिलकर अच्छी तरह घोंट के दो-दो रत्ती की गोलिया बना के लेने से मलेरिया बुखार नष्ट हो जाता है। दिन में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं लेकिन किसी वैध की देख रेख में।
Kalmegh For Chronic Fever Treatment
जीर्ण ज्वर में इसके 10 पत्ते पीस लें और 5 दाने काली मिर्च के लेके एक गिलास पानी में दाल दें उसको चमच्च से घुमाएं और कुछ देर रखा रहने दें। कुछ देर बाद इसको छान कर के पीलें।
Kalmegh For Chronic Fever with Jaundice
कामला रोग(पीलिया) इसकी 7 पत्ती लेकर बिना छिलका वाले भुने हुए 11 चने लेकर आपस में कूट पीस कर घोंट कर गुड़ के साथ गोलिया बना लें के दिन में दो बार सेवन करने से लाभ होता है।
विषम ज्वर में इसके पंचांग के चूर्ण की दो चमच्च चूर्ण को 400 ml पानी में रात को दाल दें। सुबह उठ करके इसको इतना उबालें की यह थोड़ा गाढ़ा हो जाये फिर इसमें इतना काली मिर्च का चूर्ण मिलाएं की इसका पेस्ट बना के गोलियां बन सके। इन गोलियों का सेवन दिन में दो बार करने से टाइफाइड बुखार उतरता है।
कालमेघ के चूर्ण को एक चौथाई चमच्च चूर्ण को साधारण पानी के साथ खाना खाने के एक घंटे बाद सेवन करने से बढ़ा हुआ लिवर सही हो जाता है।
इसके अलावा रात को एक गिलास पानी में इसकी आधी चमच्च चूर्ण पानी में डाल दें सुबह इस पानी को खाली पेट छान कर पी लें। बालकों की इसकी मात्रा थोड़ी कम दी जाती है।
Uses of Kalmegh in Hindi
👉इसके पत्तों के रस में लोंग इलाइची मिला के पानी के साथ लेने से आंतो के पीड़ा, दस्त ठीक होते हैं और भूख की समस्या भी खत्म हो जाती है।
👉रक्त विकार अगर हो गया है तो इसके दो चमच्च रस में दो चमच्च शहद मिला कर दिन में दो बार सेवन करने से कुछ ही दिन में रक्त विकार सही हो जाता है। नमक का परहेज करें।
कालमेघ वटी | Kalmegh Tablets Benefits in Hindi
दो दो गोलियों का सेवन खाना खाने के एक घंटे बाद साधारण पानी के साथ सेवन करने से पाचन किर्या अच्छी होती है, पेट के मरोड़े, दुर्बलता आदि नष्ट करता है। यह वटी बच्चों के लिए भी फायदेमंद है लेकिन इसकी मात्रा कम रखें और किसी वैध की सलाह से दें।
कालमेघासव
यह बाजार में विभिन्न कम्पनिया बनाती है। इसकी दो चमच्च आसव को तीन से चार चमच्च खाना खाने के एक घंटे बाद दिन में दो बार सेवन करने से सभी तरह के बुखार ठीक होते हैं, बलवर्धक है, बुखार के साथ दस्तों में लाभदायक हैं, बालकों के लिए सदिआव कल्याणकारी है। लिवर के सभी रोगो में, पीलिया में, खून की कमी में, उसमे भी विशेष कर बालको में खून की कमी को दूर करता है।
Kalmegh Syrup Benefits
यह सिरप पेट के रोगों के लिए उत्तम है, इसके अलावा लिवर की सभी बिमारियों के लिए भी अच्छा है। यह सिरप पाचन तंत्र को मजबूत बनता है। यह बाजार में बना बनाया भी आता है किसी वैध के परामर्श से ही इसका सेवन करें।
People also ask
आयुर्वेद में कालमेघ क्या है?
यह लगभग सभी तरह के बुखार को ठीक करता है इसके अलावा इम्युनिटी को बढ़ाने से लेकर पेट की समस्या जैसे गैस, पेट के कीड़े, कब्ज, लिवर की सभी प्रकार की समस्याओं इत्यादि में लाभदायक है। कालमेघ के अंदर Antibacterial, Anti-inflammatory, Antioxidant के अलावा जलन कम करता है।
कालमेघ गर्म है या ठंडा?
जैसा की ऊपर हम बता चुके हैं, स्वाद में यह कड़वा है लेकिन पचने के बाद पेट में तीखा होता है और इसकी तासीर गर्म होती है।
कालमेघ का उपयोग कैसे करें
इसके पत्ते, जड़ और पंचांग आदि अलग अलग बिमारियों में इस्तेमाल होते है। ऊपर जो कालमेघ के फायदे बताये गए हैं उनमे आप विभिन्न रोग कैसे ठीक कर सकते हैं वो देख सकते हैं।
Is Kalmegh and Chirata Same?
चिरायता जैसे स्वरुप लेकिन इस से अलग होती है। बाजारों में चिरयैतों में मिलावट करने के लिए कालमेघ को मिलाया जाता है। उस जैसे कुछ गुण और दिखने की वजह से इसको चिरायता समझ लिया जाता है इसीलिए इसको हल्का चिरायता भी बोल देते हैं।
Is Kalmegh Good for Diabetes
क्यों यह गुण धर्म में कड़वी है और कफनाशक भी है तो इसका सेवन मधुमेह जरूर कर सकते हैं।
Is Kalmegh Good For Arthritis Treatment
इसके गुण धर्म जैसा की हमने बताया है यह आम दोष को खत्म करता है और यह आम दोष ही आमवात याने की आर्थराइटिस का कारण होता है अतः इसका सेवन आर्थराइटिस का इलाज करने के लिए अच्छा है।
Can Kalmegh be taken daily?
वैसे तो इसका इस्तेमाल रोजाना कर सकते हैं लेकिन किसी भी औसधी का सेवन तीन महीने लगातार करने के बाद उसमे कुछ दिनों का गैप जरूर देना चाहिए।
Side Effects of Kalmegh | कालमेघ के नुकसान
वैसे तो इसके कोई खास नुकसान नहीं देखे गए हैं लेकिन इसका एक गुण रुक्ष भी है अतः वात जिनका शरीर में बढ़ा हुआ है उनको इसका सेवन नहीं करना चाहिए। या फिर काफी लिमिटेड मात्रा में ही करना चाहिए। और क्युकी इसकी तासीर गर्म है तो इसका सेवन गर्मियों में थोड़ी मात्रा में करनी चाहिए।