गोखरू
यह दो प्रकार का होता है एक छोटा गोखरू और एक बड़ा गोखरू। इस पोस्ट में हम दोनों तरह के गोखरू के बारे में बात करेंगे। आप असमंजस में न पड़ें इसी लिए पहले छोटे गोखरू के फायदे के बारे में बताऊंगा उसके बाद बड़े गोखरू के फायदे के बारे में।
गोखरू या गोक्षुर रेतीले भागों में होता है इसके फल के काटें लगे होते हैं और यह गाय के खुर के जैसा दीखता है इसीलिए इसको गोक्षुर या गोखरू कहा जाता है।
छोटा गोखरू के अन्य नाम
हिंदी- गोखरू, गुलखुर, बाख़री(बाखड़ी), मखड़ा।
मराठी- काटे गोखरू, सराटे।
बंगाली- गोक्षुर, गोखरी।
गुजराती- बैठा गोखरू, न्हाना गोखरू।
अंग्रेजी- Small Caltrap
संस्कृत- गोक्षुर
लेटिन- T Zeylanicus
गोखरू के आयुर्वेदिक गुण धर्म
गुरु(देर से पचने वाला), स्निघ्द(oily), शीतवीर्य(ठंडा), मधुर विपाक( पचने के बाद मधुर), वात और पित्त रोग नाशक, अनुलोमन(पेट के मल को बहार निकालने वाला), ग्राही, अमाशय को बल देने वाला, क्षुधावर्धक( भूख बढ़ाने वाला), रसायन(निरोगी रहते हुए आयु वर्धक), बस्तिशोधन, हृदय के लिए हितकर, कफ निसारक(कफ को निकालना), वृष्य (वीर्य और बल वर्धक), गर्भस्थापन( गर्भ को गिरने न देना), मूत्रल(रुके हुए मूत्र को निकालने वाला), वेदनास्थापन (दर्द कम करने वाला), रक्तपित नाशक ( इंटरनल ब्लीडिंग को रोकने वाला), मूत्रकृच्छ्र नाशक(रुक रुक मूत्र जलन के साथ होना), अश्मरी (पथरी) नाशक, नाड़ी दौर्बल्य को ठीक करने वाला, प्रमेह( मूत्र के रोग, मधुमेह) रोग नाशक, अग्निमांध (जठराग्नि को बढ़ाने वाला), अर्श(बवासीर) रोग नाशक, कृमि(कीड़े) नाशक, खांसी, जुखाम, स्वास सम्बंधित रोगो को ठीक करने वाला, गर्भपात से बचाने वाला, योनि रोगो का नाशक, नपुंसकता नाशक, मूत्र में दुर्गन्ध या धातु का आना रोगों का नाशक।
गोखरू के फायदे | Benefits of Gokhru in Hindi
👉किडनी में सूजन हो, या पेशाब की थैली में सूजन हो, मूत्र दुर्गन्ध युक्त आता हो और धातु निकलती हो तब इसकी दो चमच्च चूर्ण 2 गिलास पानी में डाल के इतना उबालें की आधा गिलास शेष बच जाए उतार छान कर रख लें यह गोखरू का काढ़ा बन जाता है आगे जब भी काढ़े की बात की जाएगी इसी तरह से बनाना है। इस काढ़े में एक चुटकी शिलाजीत डाल कर पीने से एक महीने में ही यह रोग खत्म हो जाते हैं।
पीड़ा युक्त मूत्र आना, सुजाक- एक संक्रामक यौन रोग (यौन संचारित बीमारी (STD, Sexual Transmitted Diseases)) है।
👉इसमें उबलते हुए पानी को निचे उतार के इसमें इसके पंचांग के चूर्ण को मिला लें, एक दो घंटे बाद इसको अच्छी तरह मल कर छान कर शहद और देशी खांड मिला कर पीने से यह बीमारी कुछ ही दिन में नष्ट हो जाती है।
या फिर
👉इसके पंचांग का चूर्ण, हरड़ चूर्ण और चागेरी (तिनपतिया) सबको आपस में मिला के रख लें। इसकी आधी चमच्च चूर्ण साधरण पानी के साथ या फिर छाछ के साथ दिन में दो बार सेवन करने से भी कुछ दिन में ही यह बीमारी नष्ट हो जाती है।
या फिर
👉गोखरू के चूर्ण की दो चमच्च चूर्ण को एक गिलास पानी और एक गिलास दूध में मिला दें, इसको इतना उबालें की पानी सारा उड़ जाए और केवल दूध शेष रह जाए इसका सेवन दिन में दो बार करने से भी यह रोग कुछ ही दिन में नष्ट हो जाता है।
Gokhru Powder for Kidney Diseases | Gokhru Churna to Reduce Creatinine Levels | क्रिएटिनिन कम करने के घरेलू उपाय
👉इसके फल और मूल के चूर्ण को चावलों के साथ पानी में उबालकर रोजाना एक बार लेने से मूत्र की रुकावट एक महीने में दूर हो जाती है।
👉गोखरू पंचांग, धमासा, पाषाणभेद, अमलतास का गुदा, हरड़ और बबूल की छाल सबकी बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के काढ़ा बना लें, इसे दिन में दो बार सेवन करने करने से तीन से चार दिन में ही मूत्र की जलन ख़त्म हो जाती है।
👉गोखरू चूर्ण के साथ एरंड की जड़ और शॉवर या फिर गोखरू के चूर्ण के साथ तृणपंचमूल लेकर के दूध में इसका काढ़ा बनाये, याने के चूर्ण दो चमच्च दूध एक गिलास और पानी दो गिलास, जब पानी सारा उड़ जाये दूध मात्र बच जाये तब उतार छान सेवन करने से एक महीने में समस्त मूत्र सम्बन्ध्ति, किडनी के रोग, creatinine का बढ़ना, पेशाब में प्रोटीन का आना बंद हो जाता है। - चक्रदत्त
👉गोखरू, सोंठ, कटेली और खरेटी सबका बराबर चूर्ण बना के ऊपर वाले नुस्खे की तरह ही दूध में काढ़ा बना के सेवन करने से मूत्र रुक रुक कर आना, मूत्र करते समय दर्द का होना, कब्ज, कफ ज्वर (बुखार), creatinine, protienurea आदि किडनी के समस्त रोग ठीक होते हैं। इसके सेवन से
मात्र 7 दिन में किडनी का बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन हो जायेगा सही। - वगसेन
👉त्रिकंटकादि घृत या फिर त्रिकंटकादि गुग्गुल यह दोनों बाजार में बने बनाये आते हैं इनके सेवन से मूत्र के समस्त रोग, पथरी, किडनी के रोग, पेशाब में क्रिएटिनिन, पेशाब में जलन, पेशाब में प्रोटीन, पेशाब में झाग आना, पेशाब करते समय दर्द होना आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
👉पेशाब में खून यदि आता हो तो गोखरू चूर्ण को दूध के साथ उबालकर मिश्री मिला के पीने से कुछ दिन मात्रा में ही पेशाब में रक्त आना बंद हो जाता है।
गोखरू चूर्ण के अन्य फायदे
👉इसके तीन ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिला के चाट लें, ऊपर से बकरी का दूध पियें अगर बकरी का ना मिल पाए तो गाय का पी सकते हैं। इस से २१ दिन में सब तरह की पथरी बहार निकल जाती है।
👉गोखरू और शतावरी के बराबर मात्रा में चूर्ण लेके दूध के साथ नित्य सेवन करने से रसायन होता है, निरोगी जीवन होता है, नपुंसकता दूर होती है और शरीर का कायाकल्प होता है।
👉गोक्षुरसाव की दो चमच्च लेके उसमे दो ही चमच्च पानी मिला के खाना खाने के आधे घंटे बाद सेवन करने से सभी प्रकार के मूत्र रोग और शरीर की सूजन दूर होती है।
बड़ा गोखरू
बड़ा गोखरू के अन्य नाम
हिंदी- बड़ा गोखरू, दक्खिनी गोखरू, हाथी चिघाड़
मराठी- सोटे गोखरू, सराटे।
बंगाली- वडगोखटी
गुजराती- उभा गोखरू, मोटा गोखरू
संस्कृत- तिक्त गोक्षुर
लेटिन- Pedalium Murex
बड़ा गोखरू के फायदे || Benefits of Gokhru Powder
👉 सफ़ेद प्रदर रोग में या रक्त प्रदर रोग में लगभग 200 ग्राम इसका चूर्ण लेके एक लीटर पानी में रात भर डाल कर छोड़ दीजिये। सुबह इसको उबालिये और आधा शेष बच जाये तो इसे उतार कर छान लीजिये। तब इसमें 250 ग्राम देशी खांड मिला के शरबत की चाशनी बना के स्टोर करके रख लीजिये। इसकी दो दो चमच्च खाना खाने के बाद सेवन करने से बहुत अच्छा लाभ होता है। गर्भवती महिला के अगर प्रदर की समस्या होती है तब भी यही उपाय करें।
👉 गर्भाशय जिनका कमजोर हो गया है और वो मजबूत करना चाहती हैं तो इसकी आधी चमच्च चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला कर तीन चमच्च घी मिला कर सेवन करने से गर्भशय बलवान हो जाता है।
👉 इसके चूर्ण को सोंठ के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिला के काढ़ा बनाया जाता है इस काढ़े से Arthritis का इलाज होता है। इस से कमर दर्द भी सही होता है।
👉 बाल उड़ गए हों, गंज स्थान पर बड़ा गोखरू का चूर्ण, तिलपुष्प, शहद और घी बराबर मात्रा में लेके लेप लगाने से कुछ ही दिन में बाल उगने शुरू हो जाते हैं।
👉 मसूढ़ों में घाव होना, या बदबू होने में इसके काढ़े से कुल्ला करवाया जाता है और गण्डूष धारण करवाया जाता है। मतलब ज्यादा से ज्यादा देर मुंह में रखवाया जाता है।
गोखरू के फायदे पुरुषों के लिए
👉 बड़े गोखरू का चूर्ण बना के आधी चमच्च की मात्रा में घी और देशी खांड मिला के सेवन करने से स्वपन दोष और नपुंसकता की बीमारी ठीक होती है।
👉 चार चमच्च बड़े गोखरू का चूर्ण 250ml उबलते हुए पानी में दाल दें। एक घंटे पड़े रहने के बाद इसको छान कर पूरे दिन थोड़ा थोड़ा करके पियें। इस से स्वपन दोष, नपुंसकता, अनैच्छिक मूत्र का स्त्राव आना, कामशक्ति की कमी को दूर करता है।
👉 अश्वगंधा और गोखरू के फायदे- बड़ा गोखरू और अश्वगंधा चूर्ण की बराबर मात्रा लेके एक चमच्च दूध के साथ पीते रहने से, TB रोग, शारीरिक कमजोरी, चक्कर आना, नपुंसकता आदि रोग दूर होते हैं।
👉 अश्वगंधा, शत्वरी, गोखरू, कोंच के बीज और सफ़ेद मूसली इन सबका बराबर मात्रा में चूर्ण बना के मिश्र मिले हुए दूध के साथ सेवन करने से शारीरिक कमजोरी, नपुंसकता, वीर्य की कमी, शीघ्रपतन आदि की समस्या ख़त्म होक इंसान बलवान बन जाता है। जो युवा व्यायाम करते हैं उनको किसी बाजारू प्रोटीन के डिब्बों को छोड़कर इसका सेवन करना चाहिए।
गोखरू के नुकसान
गोखरू के अधिक मात्रा में सेवन करने से, सिर के रोग हो सकते हैं, लिवर के रोग भी हो सकते हैं और किडनी के भी हो सकते हैं।
जब के लिवर और किडनी में यह रामबाण है लेकिन किसी भी चीज का अति सेवन नहीं करना चाहिए।
गोखरू कितनी मात्रा में लेना या खाना चाहिए ?
इसकी चूर्ण मात्रा आधी चमच्च है। काढ़ा मात्रा 50ml है।
गोखरू कितने दिनों तक खाना चाहिए?