Urticaria | Hives | शीतपित्त | पित्ती उछलना
शीतल हवा के लग जाने से कुपित हुए कफ और वायु पित्त के साथ मिलकर के त्वचा में और रक्तादि धातुओं में फ़ैल जाते हैं, इस से शित्त पित्त रोग होता है।
इसको अंग्रेजी में Urticaria या Hives कहते हैं। आयुर्वेद में इसे शीतपित्त कहते है और आम भाषा में इसे पित्ती उछलना बोलते हैं।
पित्ती उछलना, छपाकि, जुरपित्ती, शीतपित्त, ददोरे, एलर्जी यह सब इसके अन्य नाम है। इस रोग में शरीर के किसी भी भाग में त्वचा पर अकस्मात् लाल लाल चकते पड़ जाते हैं। जिनमे मीठी मीठी खुजली होती है। यह सारे शरीर में फ़ैल जाती है और चकतों की जगह खाल लाल हो जाती है वहां सूजन आ जाती है वहां उभार भी देखने को मिलता है।
शीतपित्त के पूर्वरूप
जब यह रोग होने वाला होता है तब उस से पहले प्यास का लगना, अरुचि, ऊबकाई आना, शरीर में जलन, अंगो की अवसन्नता(उत्साह न होना), शरीर में भारीपन रहना।
Types and Causes Of Urticaria | Pitti Uchalna Reason in Hindi
Acute Urticaria
पित्ती का सबसे आम प्रकार, तीव्र पित्ती के लक्षण छह सप्ताह से कम समय तक रहते हैं और यह कीड़े के काटने, दवाओं, संक्रमण, कुछ आंतरिक बीमारी या नट्स, चॉकलेट, मछली, टमाटर, अंडे, जामुन या दूध जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण हो सकते हैं। और इसके अलावा एस्पिरिन, इबुप्रोफेन या कुछ दर्द निवारक दवाएं भी तीव्र पित्ती का कारण बन जाती हैं। ये आमतौर पर चेहरे, पैर की उंगलियों, उंगलियों, गर्दन और कभी-कभी पुरुषों के जननांगों को भी प्रभावित करते हैं।
Chronic Urticaria
क्रोनिक अर्टिकेरिया छह सप्ताह से अधिक समय तक रह सकता है। क्रॉनिक अर्टिकेरिया के कारण की पहचान करना मुश्किल है और कई बार तो असंभव भी होता है।
हालाँकि, कुछ मामलों में, क्रोनिक अर्टिकेरिया के कारणों को प्रतिरक्षा प्रणाली या थायरॉयड, हेपेटाइटिस या यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों से जोड़ा जा सकता है।
क्रोनिक पित्ती किसी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है क्योंकि वे असुविधाजनक और शर्मनाक हो सकते हैं और व्यक्ति की नींद और दिन-प्रतिदिन के जीवन में भी बाधा डाल सकते हैं।
PAPULAR URTICARIA
पैपुलर अर्टिकेरिया मच्छरों, पिस्सू, घुन, कालीन बीटल या खटमल जैसे कीड़ों के काटने पर होने वाली एक एलर्जी प्रतिक्रिया है। 2-10 वर्ष की आयु के बच्चों में पपुलर अर्टिकेरिया काफी आम है।
COLD URTICARIA
शीत पित्ती तब हो सकती है जब आपका शरीर ठंड के संपर्क में आता है। यह ठंडे तापमान के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों के भीतर प्रकट हो सकता है और इस प्रकार के पित्ती के लक्षण हर व्यक्ति में हल्के से लेकर गंभीर और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा तक भिन्न हो सकते हैं।
CHOLINERGIC URTICARIA
इस प्रकार की पित्ती एक एलर्जी प्रतिक्रिया है जो शरीर के तापमान में वृद्धि के कारण होती है जो कई कारणों से होती है जैसे चिंता, गर्म पानी से नहाना, पसीना आना आदि।
SOLAR URTICARIA
सूर्य के संपर्क में आने से कुछ लोगों में सौर पित्ती हो सकती है। सौर उर्टिकेरिया के लक्षण सूर्य के संपर्क में आने के कुछ ही मिनटों के अंदर दिख जाते हैं।
DERMATOGRAPHIC URTICARIA
डर्मेटोग्राफिज्म शारीरिक पित्ती का एक सामान्य रूप है जो त्वचा को रगड़ने या खरोंचने से हो जाता है। इस प्रकार के पित्ती के लक्षण आमतौर पर कुछ ही देर में दिखने लगते हैं और आम तौर पर एक घंटे से भी कम समय तक रहते हैं।
Symptoms of Urticaria in Hindi | Pitti Uchalna Symptoms in Hindi
👉मधुमखी काटने जैसी पीड़ा होना
👉खुजली होना
👉शरीर में पीड़ा रहना
👉उल्टी आना
👉बुखार आना
👉शरीर में जलन
👉शरीर में चकते पड़ जाना
उदर्द के लक्षण
जिसमे बर्रे के काटने के कारण होने वाले ददोरा होता है ठीक वैसा ही इसमें दिखाई देता है। इसमें खुजली चलती है, सुई चुभने जैसे पीड़ा होती है, उलटी आना, बुखार और शरीर में जलन होती है।
कोई आचार्य इसे ही शीतपित्त रोग कहते हैं परन्तु वात की अधिकता हो तो शीतपित्त और कफ की अधिकता हो तो उदर्द जानना चाहिए। इसे शिशिर ऋतू में कफ से होने वाला रोग कहा गया है। इसे Cold Urticaria भी कह सकते हैं क्युकी इसके कारण लक्षण एक जैसे से ही हैं।
कोठ रोग
अच्छी तरह से उल्टियां नहीं होने से बढे हुए पित्त और कफ के अवरोध हो जाने से और अन्न के ही वमन के अवरोध से, कांजी के अधिक सेवन करने से, राय या नमक के अधिक सेवन करने से, अन्य दूषित कारणों से वर्षाकाल में यह कुपित होता है और जो मंडल होते हैं उसमे खुजली होती है और लालिमा सहित बहुत मंडल हो जाते हैं।
उत्कोठ के लक्षण
जिस कोठ रोग का अनुबंध होता है उसे ही उत्कोठ रोग कहते हैं। जिस कोठ में अनुबंध नहीं होता है वह क्षण में उत्पन और नष्ट होता रहता है।
Urticaria Treatment in Hindi | Hives Treatment in Hindi
👉परमल के पत्तों, नीम की छाल और अरूसा सभी को बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना के सेवन करके vomit (उल्टी) करने से शीतपित्त में लाभ मिलता है।
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हरड़, बहेड़ा,
आंवला, शुद्ध गुग्गुल और पीपरी सब बराबर मात्रा में लेके काढ़ा बना के सेवन करने से विरेचन होता है जिस से इस बीमारी में लाभ होता है।
👉गंभारी के फलों को पानी में उबाल कर दूध के साथ खाने से कुछ ही दिन में पित्ती उछलना बंद हो जाता है।
👉रसना,
त्रिफला, देवदारु, अश्वगंधा, शतावरी, भुनी हुई अजवाइन और भुनी हुई हींग सब बराबर मात्रा में लेके खाली पेट आधी चमच्च पानी के साथ सेवन करने से यह बीमारी नष्ट हो जाती है।
Urticaria ka ayurvedic ilaj
👉गिलोय या फिर हल्दी या फिर नीम की छाल या फिर धमासा इनमे से किसी भी एक का काढ़ा बना के सेवन से कुछ ही दिन में यह बीमारी ठीक होती है।
👉भुनी हुई अजवाइन,
सोंठ,
काली मिर्च और पीपरी सभी बराबर मात्रा में लेके चूर्ण बना के दूध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिन में यह बीमारी ठीक हो जाती है।
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Trifala for Urticaria-
त्रिफला चूर्ण तीन भाग, शुद्ध गुग्गुल पांच भाग और पीपरी का चूर्ण एक भाग सभी को लेके गोलियां बना लें। इसका नाम नवकापिक गुग्गुल है। यह शीतपित्त, भगंदर और बवासीर का इलाज करता है।
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त्रिफला चूर्ण की आधी चमच्च लेके उसमे दो चमच्च
शहद मिला के सेवन करने से कुछ ही दिन में यह रोग नष्ट हो जाता है।
Trifala for Urticaria Treatment
How to Cure Urticaria Permanently | Permanent Cure for Urticaria
👉गनियार की जड़ को आधी चमच्च पीस कर घी में मिला के चाटने से सात दिन में Urticaria रोग नष्ट हो जाता है।
👉भुनी हुई अजवाइन एक चौथाई चमच्च लेके इसको गुड़ में मिला के सेवन करने से और पथ्य सेवन करने से सात दिन में शीतपित्त नष्ट हो जाता है।
👉नीम की पत्तियों का चूर्ण आंवले के चूर्ण में मिला के घी के साथ चाटने से पित्ती उछलना बंद हो जाता है। दोनों चूर्ण बराबर मात्रा में होने चाहिए। इस से रक्त विकार दूर होते हैं और स्किन के सभी रोग सही हो जाते हैं।
Shitpitta Treatment in Ayurveda
👉नीम की पत्तियों के चूर्ण को सदा घी के साथ सेवन करने से hives (शीतपित्त) की यह बीमारी कुछ ही दिन में नष्ट होती है।
👉पीपरी के चूर्ण का रोज सुबह खाली पेट सेवन दूध या घी के साथ करने से यह बीमारी ठीक होती है।
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Black pepper and ghee for Urticaria- सोंठ,
काली मिर्च, पीपरी, धागे वाली मिश्री सभी बराबर मात्रा में मिला के सुबह खाली पेट साधारण पानी के साथ खाने से ये बीमारी सही होती है।
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सोंठ,
काली मिर्च, पीपरी, जोखार और अजवाइन सबको बराबर मात्रा में लेके साधारण पानी के साथ आधी चमच्च की मात्रा में लेके खाली पेट सेवन करने से कुछ ही दिन में आराम हो जाता है।
👉आंवलो के चूर्ण के साथ गुड़ का सेवन करना भी इस बीमारी में लाभप्रद है।
Urticaria Self-Care
👉गर्म जल से स्नान करके सरसों का तेल लगाना चाहिए। गर्म जल सर पर ना डालें, सर धोने के लिए हल्का गर्म पानी से धोएं।
👉रोजाना एक लहसुन पानी के साथ निगलने से भी यह बीमारी ठीक होती है।
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kali mirch and ghee for urticaria in hindi- एक चमच्च गाय के घी में
काली मिर्च का एक चौथाई चूर्ण मिला के चाटने से
Urticaria में आराम मिलता है।
Urticaria Home Remedies | शीतपित्त की लेप चिकित्सा | Urticaria Home Made Ayurvedic Cream
👉पुराने गुड़ में अदरक का रस मिला के पीने से यह बीमारी नष्ट होती है।
👉चिरोंजी और गेरू के चूर्ण को सरसों या फिर नारियल के तेल में मिला के पेस्ट बना के लगाने से यह बीमारी नष्ट होती है।
👉अजवाइन और गेरू के चूर्ण को सिरके में मिला के पेस्ट बना के लगाने से पित्ती की समस्या दूर हो जाती है
👉दूध और
हल्दी का उभटन बना के लगाने से यह बीमारी सही होती है।
Sheetpitta home remedies | शीतपित्त के घरेलु उपाय
👉घी में सेंधा नमक मिला के पेस्ट बना के लगाने से पित्ती में आराम हो जाता है।
👉सेंधा नमक और कूठ मात्रा में लेके घी में मिलाकर लेप करने से यह बीमारी नष्ट होती है।
👉सरसों के तेल में सेंधा नमक मिला के शरीर पे लगाने से भी यह बीमारी नष्ट होती है।
👉तुलसी के रस को शरीर पे लगाने से भी शीतपित्त के दाने नष्ट हो जाते हैं यह उत्तम भी है।
👉सफ़ेद सरसों, हल्दी, कूठ, चकवड़ के बीज और तिल सभी को बराबर मात्रा में लेके सरसों के तेल में मिला के लगाने से यह बीमारी नष्ट हो जाती है।
👉खाने वाला जो सोडा होता है जो सोडा बाई कार्ब होता है। इसको एक चमच्च लेके आधे लिटर पानी में घोलकर त्वचा पे लगाने से तत्काल आराम मिलता है।
👉तिल्ली के तेल का फाहा गुदा में दबाने से तत्काल पित्ती ठीक होती है।
👉अलसी का तेल कांच की शीशी में भरकर उसमे थोड़ा सा कपूर मिला कर रख दें। इस तेल की मालिश करने से पित्ती उछलना रोग में शीघ्र ही आराम होता है।
Urticaria in Children Treatment in Hindi
👉पुदीना पांच ग्राम पीस कर जल में होकर एक चमच्च देशी मिश्री मिला कर पियें। यह उपयोग गर्मियों में करें। सर्दियों में करना हो तो पुदीना को पानी नमी उबाल कर मिश्री मिला कर छान कर सेवन करें।
👉हरी निम्बोली मिल सके तो सात निम्बोली चबानी चाहिए। छोटे बच्चों को दो निम्बोली बारह ग्राम पानी में घीस कर देने से पित्ती तुरंत दूर होती है।
👉ऊपर बताये गए नुस्खे बच्चों को भी दे सकते हैं बस उम्र के हिसाब से मात्रा कम कर देनी चाहिए।
Urticaria Diet | शीतपित्त में क्या खाएं
शाली धान के चावल, मूंग, कुल्थी, करेला, पोइ शाक, गर्म जल, पित्त और कफ नाशक सभी चीजे शीतपित्त के नाश के लिए खानी चाहिए।
शीतपित्त में क्या नहीं करना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए
इस रोग में नहाना नहीं चाहिए, धुप में नहीं घूमना चाहिए, खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए (
आंवला छोड़कर), देर से पचने वाली चीजें नहीं खानी चाहिए।
General Questions
is banana good for urticaria
पित्ती रोग में कफ वर्धक नहीं चीजें नहीं खानी चाहिए और केला कफ को बढ़ाता है और ठंडा भी है। अतः इस रोग में केला ना खाएं।
is ginger good for urticaria
जैसा की ऊपर बताया भी गया है, अदरक कफ नाशक है और तासीर में गर्म भी है। पुराने गुड़ के साथ अदरक के रस का सेवन इस रोग में लाभदायक है। इस रोग में अदरक खा सकते हैं।
is aloe vera good for urticaria
अलोएवेरा रक्त शोधक है, यह रक्त को शुद्ध करता है। अलोएवेरा का सेवन इस रोग में कर सकते हैं।
is apple good for urticaria
इस रोग में खट्टे फल का निषेध बताया गया है। केवल खट्टे फलों में
आंवला का ही सेवन करें। अतः सेब का सेवन इस रोग में ना करें।