Inside this Article:
- गरम जल पीने के फायदे | Benefit of Drinking Hot water
- औटा कर ठंडा किये हुए जल के गुण | गरम करके ठंडा किये हुए पानी के फायदे
- आयुर्वेद के अनुसार पानी को उबालने की भी पांच पद्धति है
- अर्धावशेष या उष्णोदक या अर्धांश
- उष्णोदक के गुण व् फायदे
- उष्णोदक निषेद
- हंसोदक या अंशुदक जल
- ईंट या ढेले पे भुजाय हुआ जल के गुण
- अधिक जल पीने के नुकसान
- गर्म जल के नुकसान
- कम जल कीन्हे पीना चाहिए
- गर्म पानी में दालचीनी पीने के फायदे
- डिलीवरी के बाद कितने दिन तक गर्म पानी पीना चाहिए
- थायराइड में गर्म पानी पीना चाहिए या नहीं
- गर्म पानी में नींबू डालकर पीने के फायदे और नुकसान
- गर्म पानी और शहद के फायदे और नुकसान
- रात को गर्म पानी पीने के फायदे
- गर्म पानी नींबू और शहद के नुकसान
- सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने के फायदे व नुकसान
- प्रेगनेंसी में गर्म पानी पीना चाहिए या नहीं
- बवासीर में गर्म पानी पीने के फायदे
- शुगर में गर्म पानी पीना चाहिए कि नहीं
- टाइफाइड में गर्म पानी पीना चाहिए
- शक्कर मिला हुआ पानी के गुण
- देशी मिश्री मिला हुआ पानी के गुण
- गुड़ मिला हुआ पानी के गुण
गरम पानी पीने के फायदे | Benefits of Drinking Hot Water
आयुर्वेद में गरम जल पीने के बहुत फायदे बताये गए हैं। लेकिन हर किसी को गरम जल पीना भी नहीं चाहिए। आयुर्वेद में गरम जल के पीने की अलग अलग परिभाषा जो दी गयी है।
पानी कितनी देर में पचता है
👉अत्यंत ठंडा जल पांच से छह घंटे में पचता है।
👉कच्चा साधारण जल तीन घंटे में पच जाता है।
👉शृतशील(गरम करके ठंडा किया हुआ) जल डेड घंटे में पचता है।
👉अच्छे से औटाया हुआ थोड़ा गर्म जल 45 मिनट में पच जाता है।
👉इसके अलावा जितना जल को औटाते जाएंगे उतना ही जल्दी जल पच जाता है।
गरम जल पीने के फायदे | Benefit of Drinking Hot water
👉उष्ण जल जठराग्नि को बढ़ाता है।
👉आमरस को पचता है। आमरस याने जो हम खाते हैं उसका जो कच्चा निचोड़ होता है उसे कहते हैं।
👉गले के लिए और गले के रोगो के लिए हितकर है।
👉शीघ्रता से पचता है।
👉बस्ती का शोधक है।
👉हिचकी आने पर लाभदायक है।
👉पेट में अफारा याने के गैस को खत्म करता है।
👉वात के रोगो के लिए हितकर है।
👉कफ के सभी प्रकार के रोगो में हितकर है।
👉तत्काल किये हुए वमन(उलटी करवाना), विरेचन(दस्त लगवाना) में लाभदायक है।
👉बुखार में पीना लाभदायक है।
👉खांसी में भी उष्ण जल पीना लाभदायक है।
👉खाना सही से नहीं पचता हो तो उष्ण जल का ही सेवन करना चाहिए।
👉नजला जुखाम आदि में भी बहुत गुणकारी है।
👉सांस के सभी रोग जैसे अस्थमा और TB आदि में भी हितकर है।
👉पसलियों के दर्द में भी उष्ण जल अत्यंत लाभकारी है।
औटा कर ठंडा किये हुए जल के गुण | गरम करके ठंडा किये हुए पानी के फायदे
👉भूख की कमी को दूर करता है।
👉जुखाम में लाभकारी है।
👉जिन्हे पेट का कैंसर है उनके लिए लाभकारी है।
👉बवासीर वालो के लिए लाभकारी है।
👉ग्रहणी रोग याने के IBS में हितकर है।
👉TB रोग में हितकर है।
👉जठराग्नि को बढ़ाता है।
👉मंदाग्नि में हितकर है।
👉गैस अफारा आदि में लाभदायक है।
👉शरीर में सूजन हुई है तो उसमे भी यह अच्छा है।
👉पीलिया और खून की कमी में भी यही जल उत्तम है।
👉गले के रोगों में यही जल पीना अच्छा है।
👉शरीर में कहीं भी घाव आदि हो गया है तो भी यही पानी पियें।
👉प्रमेह और मधुमेह आदि में यह जल लाभकारी है।
👉आखों के समस्त रोगो में गुणकारी है।
👉वात के सभी रोगो में गुणकारी है।
👉दस्तों में इसी जल का सेवन करें।
👉कफ के सभी रोगो में यही उत्तम है।
👉पेट के सभी रोगो में रामबाण है।
और यह जल ज्यादा नहीं देना चाहिए थोड़ा ही देना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार पानी को उबालने की भी पांच पद्धति है
अष्टमांश शेष जल
यदि हम 8 कटोरी जल लेते हैं और उसे इतना गरम करते हैं की वो सिर्फ एक कटोरी ही जल शेष रह जाए तो इसे हम अष्टमांश शेष जल कहते हैं। यह अत्यंत लाभकारी और गुणकारी है और सदा पथ्य है। यह ज्वर आदि में भी लाभदायक है और तीनो दोषो को नष्ट करने वाला है याने के त्रिदोष नाशक है।
चतुर्थांश शेष
इसी प्रकार यदि हम 4 कप या कटोरी जल लेते है और उसे उबालते हैं तो तीन भाग जल जाए और केवल एक भाग बच जाए याने के एक कटोरी या फिर एक कप पानी बच जाए तब वह चतुर्थांश शेष जल कहलाता है। यह भी त्रिदोष नाशक है और सदा पथ्य है और सभी रोगो में देने योग्य है और शीघ्र ही पच जाता है।
अर्धांश शेष
जिस जल को उबाल रहे हैं और उबलते उबलते वह जल लिए हुए जल का आधा रह जाये याने के आधा उड़ जाए वह जल अर्धांश शेष कहलाता है। यह जल वात और पित्त दोष नाशक है।
तृतीयांश शेष
जिस जल को उबाल लें और एक भाग ही जले तीन भाग शेष रह जाए याने के अगर हम 4 कटोरी जल को उबालें और उसमे से सिर्फ एक कटोरी जल ही जले तीन कटोरी पानी बच जाए तो यह तृतीयांश शेष जल कहलाता है। यह वात नाशक होता है।
केवल उबला हुआ जल
जिस जल को उबाल लिया जाता है और एक उबाल आने पर उतार लिया जाता है वही उबला हुआ जल होता है जिसके गुण और फायदे हम ऊपर बता ही चुके हैं।
अर्धावशेष या उष्णोदक या अर्धांश
जो औटाया हुआ जल आग या गैस पर वैगरहित, निष्फेन(बिना झाग वाला) और निर्मल हो जाये उसे अर्धावशेष या उष्णोदक कहते हैं।
उष्णोदक के गुण व् फायदे
👉यह जल पीने से कफ के सभी रोग नष्ट होते हैं।
👉यह जल पीने से मोटापा घटता है।
👉वात के सभी रोग नष्ट होते हैं।
👉आर्थराइटिस रोग भी नष्ट होता है।
👉जठराग्नि को बढ़ाता है।
👉किडनी की सफाई करता है।
👉खांसी, जुखाम और अस्थमा आदि स्वास के रोगो में अत्यंत लाभकारी है।
👉बुखार में उत्तम है और सदा पथ्य कहा गया है।
👉उष्णोदक के लगभग आधे गिलास जल में यदि एक ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर कर सीभा शाम सेवन किया जाए तो कफ के सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं।
👉उष्णोदक के आधे गिलास जल में यदि भुनी अजवाइन एक ग्राम मिला कर सुबह शाम सेवन किया जाए तो वात के सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं।
👉रात में उष्णोदक जल का सेवन करने से कफ के सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं। और वात के रोगो का अपकर्षण (कम करना, निचे खींचना) करता है। इसके अलावा अजीर्ण(अपच) अगर है तो शीघ्र नष्ट होता है।
उष्णोदक निषेद
दिन का औटाया हुआ पानी रात को भारी हो जाता है और रात में औटाया हुआ पानी अगले दिन सुबह भारी हो जाता है अतः इन दोनों ही पानी को नहीं पीना चाहिए। रात का औटाया हुआ रात में ही और दिन में औटाया हुआ दिन में ही पीना चाहिए।
हंसोदक या अंशुदक जल
जो जल दिन में धुप में रखा हुआ हो और रात में चाँद की चांदनी में रखा हुआ हो ऐसे जल को हंसोदक या अंशुदक जल कहते हैं। यह जल विकारों को नष्ट करने वाला होता है, निर्मल होता है, ना ही रुक्ष होता है, ना ही अभिष्यष्यंदी होता है, पाचन शक्ति को बढ़ाता है और अमृत के सामान होता है।
ईंट या ढेले पे भुजाय हुआ जल के गुण
जिस जल को गर्म करके ईंट पे या ईंट के टुकड़े पे भुजाया गया हो वह जल सब दोषो को हरने वाला होता है, सभी के लिए पथ्य है और आरोग्य प्रदान करता है।
अधिक जल पीने के नुकसान
मनुष्यों को अधिक मात्रा में जल पीने से आम दोष की वृद्धि हो जाती है, आम दोष की वृद्धि होने से शरीर की जठराग्नि मंद हो जाती है, अग्नि मंद हो जाने से अजीर्ण हो जाता है, अजीर्ण से बुखार होता है, बुखार से धातुएं नष्ट हो जाती है और धातु के नष्ट हो जाने से सभी रोग होते हैं।
अतः कभी अधिक जल भी नहीं पीना चाहिए। जब प्यास लगे तभी पानी पीना चाहिए।
गर्म जल के नुकसान
जिन लोगो के पित्त दोष अधिक बढ़ा हुआ है, जिनके शरीर में जलन रहती है, या जो लोग दुबले पतले हैं, या जिनके लिवर या शरीर में गर्मी बानी हुई है, जिस बहुत ज्यादा थकावट हो रखी हो उन लोगो को गर्म जल का सेवन नहीं करना चाहिए।
कम जल कीन्हे पीना चाहिए
👉भूख की कमी में
👉जुखाम में
👉बार बार मुंह से थूक गिरने वाले रोग में
👉शरीर में कहीं भी सूजन है उसमे
👉TB में
👉मंदाग्नि में
👉पेट के रोगों में
👉कोष्ठ (गतरोग) याने आंत, पक्काशय, मूत्राशय, पित्ताशय आदि का कोई रोग हो रखा हो व हाल ही में ठीक हुआ हो उस में
👉बुखार में
👉आखों के रोगो में
👉शरीर में घाव हो जाने में और
👉मधुमेह को रोग में पानी कम मात्रा में ही पीना चाहिए।