Nakseer aane ka karan | Nakseer ka ayurvedik or gharelu ilaj | Raktpit ka ilaj

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  • कैसे पहचाने की पित्त के साथ और कौनसा दोष बढ़ा है 
  • रक्तपित्त के उपद्रव और लक्षण 


  • रक्तपित्त | नकसीर  | Nose Bleeding | Epistaxis


    नकसीर आना या नकसीर फूटना आयुर्वेद में रक्तपित्त का प्रकार बताया गया है। रक्तपित्त रोग होने से मुंह, आँख, गुदा, लिंग, योनि और कई बार संपूर्ण रोमों से रक्त बहने लग जाता है। 

    नकसीर आने के कारण | नकसीर क्यों आती है 

    👉इसका सबसे मुख्या कारण होता है HIGH BP यदि आपके यह समस्या है तो आपके नकसीर फुट सकती है। 
    👉बहुत अधिक धुप में घूमने से 
    👉बहुत अधिक मेहनत करने से 
    👉शोक या रंज करने से 
    👉बहुत अधिक पैदल चलने से 
    👉अत्यंत मैथुन करने से 
    👉दही में बिना कुछ मिलाये केवल दही खाने से
    👉बहुत अधिक तीखे, नामकीन और गरम  तासीर की चीजें खाने से 

    इन कारणों से जला हुआ पित्त खून को जलाता है, तब वह खून निचे की और जाकर गुदा, योनि और लिंग से निकलता है या ऊपर की और आकर आँख, नाक और कान से निकलता है कई बार सब जगह से और शरीर के रोम कूपों से भी निकलता है। 
    यह पित्त दोष की बिमारी होती है अतः जिन कारणों से पित्त दोष बढ़ता है उन सबकी वजह से यह रोग होता है। 

    नकसीर आने से पहले के संकेत 

    👀शरीर में शिथिलता

    👀ठंडी चीजें खाने की इच्छा

    👀कंठ में धुवां सा महसूस होना 

    👀उलटी जैसा मन होना या फिर उलटी होना 

    👀सांस में लोहे जैसी दुर्गन्ध आना 


    कैसे पहचाने की पित्त के साथ और कौनसा दोष बढ़ा है 

    वातज रक्तपित्तज लक्षण

    यदि रक्तपित्त रोग में वात दोष ज्यादा है तो काला या लाल, झागदार, पतला और रुखा सा दीखता है। और रक्त गुदा या लिंग या योनि से निकलता है। 

    कफज रक्तपित्तज लक्षण

    यदि रक्तपित में कफ दोष की अधिकता है तो खून गाढ़ा, पाण्डु वर्ण, कुछ चिकना और पिच्छिल दिखाई देता है।  इस अवस्था में खून आँख, नाक, कान और मुंह निकलता है। 

    पित्तज रक्तपित्तज लक्षण 

    इसमें खून काढ़े की तरह काला, गोमूत्र, मोर की पूँछ, चन्द्रमा, अंगारा, धुवां या अंजन के जैसा काला और नीला दिखाई देता है। इस अवस्था में रक्त कहीं से भी निकल सकता है। 

    रक्तपित्त के उपद्रव और लक्षण 

    👊High BP / बेचैनी 
    👊कमजोरी
    👊शरीर भारी सा रहना जैसे नशा हो रखा हो 
    👊शरीर का पीला पड़ना 
    👊शरीर में जलन
    👊रक्त अधिक निकल जाए तो बेहोशी आना 
    👊भोजन करने के बाद जलन महसूस होना 
    👊हृदय में दर्द
    👊बार बार प्यास लगना 
    👊गला बैठना 
    👊सर में गर्मी 
    👊थूक में बदबू आना 
    👊भोजन करने की इच्छा न होना और सही से ना पचना


    नकसीर या रक्तपित्त में  ध्यान देने वाली बातें 


    अगर रक्तपित्त रोगी अन्न खाता हो और बलवान हो तो शुरु में ही उसके गिरते हुए दूषित रक्त को बंद करना उचित नहीं है। क्युकी रोका हुआ दूषित रक्त विसर्प, विदर्धि, लिवर के रोग, हृदय रोग, पीलिया, संग्रहणी(IBS), TB, गले के रोग, पुतिनस्य, बेहोशी, अरुचि, स्किन के रोग, बवासीर, भगन्दर आदि रोग पैदा करता है। 
    यदि रक्तपित्त रोगी दुर्बल हो और भोजन भी सही से ना करता हो और खून भी बहुत गिरता हो तो उसका उसका दूषित रक्त बंद कर देना चाहिए। 

    नकसीर के दौरान सिर किस स्थिति में होना चाहिए?


     नाक से बहने पर सिर को आगे की ओर झुकाना चाहिए, अगर रोका हुआ खून छोटी छोटी शिराओं द्वारा चमड़े की तरफ जाता है तो पीलिया रोग हो सकता है, अगर ग्रहणी (छोटी आंत) की तरफ जाता है तो संग्रहणी(IBS) रोग हो सकता है, और यदि पेट में कहीं रुकता है तो रक्तगुल्म याने पेट में रक्त का Tumour बन जाता है वैसे मर्दों को रक्तगुल्म नहीं होता लेकिन इस कारण हो सकता है। 

    ❤इस रोग को अंग्रेजी में Scurvy कहते है। इसमें पित्त के कारण से रक्त दूषित हो जाता है। विकृत रक्त शरीर के नौ द्वारों से बहार निकलने लगता है। 
    ❤जब खून की उल्टिया होती हैं तब इसे Haematemesis कहा जाता है। 
    ❤अगर खांसी में खून गिरता है तो Hemopysis   कहते हैं। 
    ❤अगर नाक से खून गिरता है जिसे नकसीर कहते हैं उसे अंग्रेजी में Epistaxis कहते हैं।  
    ❤जब होठों और मसूड़ों से रक्त गिरता है तो उसे Spongygum कहते हैं। 
    ❤जब गुदा से रक्त गिरता है तब उसे Malina कहते हैं।  खुनी बवासीर इस से भिन्न है। 


    नकसीर बंद करने के लिए नस्य प्रयोग | Nose Bleeding Treatment in Hindi



    💁नाक में पीपल के पत्तों का रस डालने से रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

    💁प्याज का रस थोड़ी थोड़ी देर में नाक में डालने से रक्त गिरना बंद होता है। 

    💁मिश्री मिले हुए दूध को नाक में टपकाने से भी रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

    💁हरड़ के चूर्ण को कुछ देर पानी में भिगो दें इसको नाक में टपकाने से भी रक्त गिरना बंद होता है। 


    नकसीर फूटने का इलाज | रक्तपित्त का इलाज | बच्चों की नकसीर का इलाज



    💁सबसे पहले किसी वैध या डॉक्टर को दिखाएँ और अपना BP भी जरूर चेक करवाएं क्युकी BP हाई रहने पर रक्त कुछ कुछ देर बाद गिरेगा। 

    💁BP कम करने के लिए दिन में पांच से 6 बार हलके गुनगुने  एक कप पानी में आधा निम्बू निचोड़ के उसको शहद के साथ पियें। 

    💁अध् बिलोई हुई दही का सेवन करने से शारीरिक गर्मी दूर होती है और रक्त गिरना बंद हो जाता है उसमे देशी धागे वाली मिश्री भी मिलालें। 

    💁गेरू मिटटी का या मुल्तानी मिटटी का निथरा हुआ पानी दिन में तीन से चार बार पियें इस से भी शरीर की गर्मी दूर होकर रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

    नकसीर बंद करने का आयुर्वेदिक इलाज 




    💁हरड़ के आधी चमच्च चूर्ण के साथ दो चमच्च शहद मिला के चाटने से रक्तपित्त, शरीर में दर्द और दस्त नष्ट होते हैं। 

    💁अडूसे के रस तालीसपत्र के चूर्ण को और शहद मिला के सेवन करने से रक्तपित्त के साथ, खांसी जुखाम, गला बैठना और अस्थमा ठीक होता है। 

    💁यदि रक्तपित्त के रोगी को धुवां या लोहे जैसी सांस आ रही हो तो इलाइची और बुरा एक साथ मिला के सेवन करें। 

    💁एक चुटकी फुलाई हुई फिटकरी का चूर्ण दूध में मिला के पीने से रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह सर्दी में नकसीर का अच्छा घरेलू इलाज है।

    💁इस रोग में अडूसा रामबाण औषध है, अडूसे का रस 50 ml सेवन करने से या फिर अडूसा का चूर्ण आधी से एक चमच्च सेवन करने से या फिर काढ़े में शहद मिला करके इस  का सेवन करने से शरीर में सब जगह से रक्त गिरना तत्काल बंद हो जाता है। 

    💁आधा गिलास दूध और उसमे आधा गिलास पानी मिला दें इसमें आधी चमच्च अर्जुन की छाल का चूर्ण मिला दें और स्वादनुसार देशी मिश्री मिला लें और इतना उबालें की पानी सारा उड़ जाए और केवल दूध शेष रह जाए इसका सेवन सुबह दोपहर और रात में करें इस से शरीर से सब जगह से रक्त गिरना बंद होता है और हाई BP भी कम होता है। 

    💁रात को हलके गर्म पानी के साथ आधी से एक चमच्च त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से भी रक्तपित्त रोग नष्ट होता है और पेट की सफाई भी होती है।  

    💁रोजाना सुबह खाली पेट 50ml गौ मूत्र खाली पेट सेवन करने से रक्तपित्त नष्ट होती और high bp भी नार्मल होता है। गौ मूत्र हल्का गर्म होता है लेकिन इसके अंदर क्षारीय गुण की वजह से यह इस बीमारी के लिए रामबाण है।

    नकसीर बंद करने के घरेलु उपाय | Home Remedies For Nose Bleeding 




    💁अगर नाक से या कहीं से भी खून में गांठे गिर रही हों तो कबूतर की बीत को शहद में मिला कर चाटें। 

    💁संतरे का रस पीने से गोली दवाओं आदि से शरीर की गर्मी दूर होती है यदि इस कारण रक्त बाह रहा हो तो संतरा का रस परम औषध है इसमें इलाइची और मिश्री मिला के सेवन करने से शरीर की जलन, बार बार प्यास का लगना, जी मिचलाना, अरुचि आदि दूर होती हैं। 

    💁घी के साथ दही खाने से रक्तपित्त नष्ट होता है। ध्यान अकेला दही खाने से रक्तपित्त रोग होता है अतः एक कटोरी यदि दही खा रहे हैं तो दो चमच घी जरूर मिला लें।  

    💁गन्ने का रस सेवन करने पित्त दोष कम होता है शरीर की गर्मी दूर होकर रक्त गिरना बंद होता है। 

    💁नारियल पानी दिन में दो बार पीने से भी रक्तपित्त में शान्ति मिलती है। 


    नकसीर में माथे पे लेप | नकसीर का घरेलू इलाज

    👍बेर की पत्तियां पानी में पीसकर माथे पे लेप करने से नकसीर गिरना बंद हो जाता है। 

    👍उरद का आटा नरम गूंद कर तालु पर रखने से नकसीर गिरना बंद हो जाती है। 

    👍ठंडा पानी सर पे डालने से और नाक के ऊपर ice massage करने से भी रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

    👍नीम के पत्ते और अजवाइन पीस कर सर पर लेप करने से नाक से रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

    👍आंवला का चूर्ण घी में भुज कर कांजी में मिला कर माथे पे लगाने से नदी के वेग की तरह गिरता रक्त भी बंद हो जाता है अगर कांजी ना मिले तो केवल आंवले के चूर्ण को ही घी में भुजा कर माथे पे लगाएं। 


    रक्तपित्त और नकसीर की ज्योतिष चिकित्सा 



    💪यदि किसी का रक्तपित्त रोग ठीक ही नहीं हो रहा हो या किसी के नाक से रक्त रुक ना रहा हो या कुछ कुछ दिनों या महीनो बाद हो रहा हो तो उसे शहद और घी दान देना चाहिए। वो चाहे तो किसी गरीब को या मंदिर आदि में दे सकता है। 

    💪ऐसे जातक को चांदी धारण करनी चाहिए। चांदी के गिलास में पानी पीना चाहिए और चांदी सिरहाने निचे रख सोना चाहिए। 

    💪ऐसे जातक को महा मृतंज्यू की एक माला नित्य करनी चाहिए।  इस उच्च रक्तचाप भी सही होता है। 

    💪पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने से high bp कण्ट्रोल में रहता है जिस से ब्लीडिंग नहीं होती।  ध्यान देने वाली बात यह है की रुद्राक्ष असली होना चाहिए और हमेशा शरीर के छूता रहना चाहिए। 

    पथ्य | नकसीर/रक्तपित्त  में क्या खाएं 

    💓निचे याने लिंग, योनि और गुदा से यदि रक्त बहता हो वहां वमन किर्या करवानी चाहिए। यदि ऊपरी और से याने आँख, नाक, मुंह, कान आदि से रक्त आ रहा हो तो विरेचन(दस्त) आदि किर्या करवानी चाहिए। 

    💓पुराने चावल, साठी के चावल साठी के चावल, कोदों, जौ, मूंग, मसूर, चना, अरहर, मोठ और खीलों का सत्तू पथ्य है। 

    💓गाय का या बकरी का घी, अगर BP बढ़ा हुआ है तो ताज़ा निकाला हुआ माखन, कटहल, चिरोंजी, परमाल, अदरक, पुराना पेठा, अडूसा, अनार, आंवला, खजूर, नारियल का पानी और गिरी, गुुड़, बेसन के लड्डू, सिंघाड़े, कैथ, तरबूज, मिश्री, शहद और गन्ना ये सब पथ्य है। 

    💓केला, ककड़ी, कच्चा खीरा अत्यंत रक्तपित्त नाशक होता है। 

    💓शीतल जल, झरने का पानी, जल छिड़कना, जल में गौता लगाना, सौ बार धोया हुआ घी लगाना, तेल की मालिश, शीतल चीजों का उभटन करना, ठंडी हवा में रहना गर्मियों में, चन्दन लगाना, चांदनी रात में टहलना, मनोहर किस्से कहानी सुन ना, दोस्तों के साथ मखौल करना, रेशमी कपडे पहनना, स्त्री के साथ प्यारी प्यारी बातें करना और आलिंगन करना, चांदी के बर्तन में पानी पीना, चांदी सिरहाने निचे रख के सोना, चांदी पहनना ये सब पथ्य है। 

    💓जौ, गेहूं और बेसन की बनी रोटी से उच्च रक्तचाप कम होता है, रात में परमल, करेले आदि सब्जी का सेवन पथ्य है। 

    💓पानी को खूब अच्छे से उबाल कर ठंडा करके पीना पथ्य है। गौ मूत्र का सेवन पथ्य है।


    रक्तपित्त में अपथ्य | नकसीर आने पर क्या ना खाएं 

    💀कसरत, कुश्ती मेहनत, पैदल ना चलें। 

    💀धुप में घूमना, आग के सामने बैठना क्रूर कर्म करना अपथ्य है। 

    💀साइकिल मोटरसाइकिल पे घूमना, पसीने निकलना, मल मूत्र आदि वेगों को रोक कर रखना अपथ्य है। 

    💀शराब, धम्रपान, क्रोध करना, चिंता करना और मैथुन करना अपथ्य है। बहुत अधिक पानी मिलाई हुई छाछ अपथ्य है। बाजारू छाछ अपथ्य है।

    💀कुल्थी, गुड़, बैंगन, तिल, उरद, सरसों, दही, भैंस का दूध,  कुएं का पानी, लहसुन, खट्टे अंगूर, बादाम, अखरोट, सेम, विरुद्ध भोजन, तीखा भोजन, खट्टे मीठे जलन करने वाले पदार्थ अपथ्य हैं। 

    💀देर से हजम होने वाले पदार्थ जैसे हलवा, खीर, नॉन वेज आदि, रुखा सूखा भोजन, दही मछली, दस्तावर चीजें, सरसों का तेल का छौंक, लाल मिर्च, समुंद्री नमक, आलू, उड़द की दाल, और पान हानिकारक और अपथ्य है। 

    💀दातुन करना, धुप में बैठना या सोना, औंस में बैठना या सोना, रात को जागना या गाना, जोर से बोलना, और नहाना यह सब अपथ्य है। 

    नोट- ऊपर झरने के निचे नहाना बताया गया है गौते लगा के नहाना बताया गया है और लास्ट में नहाने के लिए मना किया गया है इसका मतलब यह है के जो बलवान पुरुष है वह अगर अंदर बहार कहीं भी नहाएं तो कोई दिकत नहीं है लेकिन जो वृद्ध या कमजोर पुरुष है उसे कहीं भी नहीं नहाना चाहिए।

    अगर वृद्ध या कमजोर को फिर भी नहलाना पड़े तो पहले पानी को खूब अच्छे से उबालो फिर ठंडा होने दो फिर नहलाओ और यदि बुखार है तो मत नहलाओ। 
     




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