Inside this Article:
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- पित्त दोष क्या है?
- पित्त को पांच भागों में बाटा गया है-
- पित्त के गुण :
- पित्त प्रकृति वाले लोगों की विशेषताएं और लक्षण:
- पित्त बढ़ने के कारण:
- पित्त बढ़ जाने के लक्षण :
- पित्त को शांत करने के उपाय :
- पित्त दोष को संतुलित करने के लिए क्या खाना चाहिए | पित्त दोष बढ़ने पर क्या खाएं
- पित्तनाशक फल | पित्त को कम करने वाले फल
- पित्त प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए या पित्त दोष बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए
- साम और निराम पित्त :
पित्त दोष
पित्त दोष क्या है?
पित्त दोष 'अग्नि' और 'जल' तत्वों के मेल से बनता है। यह हमारे शरीर में हार्मोन और एंजाइम के उत्पादन को नियंत्रित करता है। शरीर का तापमान और पाचन अग्नि जैसे कारक पित्त द्वारा नियंत्रित होते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए पित्त की संतुलित स्थिति बनाए रखना महत्वपूर्ण है। शरीर में पित्त मुख्य रूप से पेट और छोटी आंत में पाया जाता है।
असंतुलित पित्त वाले व्यक्ति अक्सर कब्ज, अपच और एसिडिटी जैसी पाचन समस्याओं से पीड़ित होते हैं। जब पित्त दोष असंतुलित होता है, तो पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। पित्त दोष में असंतुलन के कारण उत्साह में भी कमी आती है और हृदय तथा फेफड़ों में बलगम जमा हो जाता है। इस लेख में हम पित्त दोष के लक्षण, प्रकृति, गुण और इसे संतुलित करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
पित्त को पांच भागों में बाटा गया है-
1. पाचक पित्त
2. रज्जक पित्त
3. साधक पित्त
4. आलोचक पित्त
5. भ्राजक पित्त
केवल पित्त दोष के आयुर्वेद में 40 रोग माने गए हैं।
पित्त के गुण :
पित्त के गुणों में तैलीयता, गर्मी, तरलता, खट्टापन और कड़वाहट शामिल हैं। पित्त ही हमारे शरीर में पाचन और गर्मी करता है और इस में कच्चे मांस की तरह दुर्गंध आती है। तटस्थ अवस्था में, पित्त कड़वे स्वाद के साथ पीले रंग का होता है और संतुलित अवस्था में, यह खट्टे स्वाद के साथ नीले रंग का होता है। शरीर पर पित्त के गुणों का प्रभाव असंतुलन के प्रकार के आधार पर भिन्न होता है, जो प्रकृति की विशेषताओं और विशेषताओं को प्रकट करता है।
पित्त प्रकृति वाले लोगों की विशेषताएं और लक्षण:
पित्त प्रकृति वाले मनुष्यों में कुछ ख़ास तरह ले लक्षण पाए जाते हैं जिनके आधार पर आसानी से उन्हें पहचाना जा सकता है। अगर शारीरिक लक्षणों की बात करें तो-
👉मध्यम कद का शरीर मिलेगा
👉मांसपेशियों और हड्डियों में कोमलता मिलेगी
👉गोरा रंग होगा और उस पर तिल होंगे और मस्से होना
👉बालों का सफ़ेद होना
👉नाख़ून, आंखें, पैर के तलवे हथेलियों आदि काले मिलेंगे
👉बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना
👉याददाश्त में कमजोर होना
👉कठिनाइयों से मुकाबला नहीं कर पाएंगे
👉उनके सेक्स की इच्छा में कमी मिलेगी
👉ऐसे मनुष्य बहुत नकारात्मक होते हैं
👉इनमें मानसिक रोग होने की संभावना भी ज्यादा रहती है।
पित्त बढ़ने के कारण:
जाड़ों के शुरूआती मौसम में याने के शरद ऋतू में, दिन के मध्य में और रात्रि के मध्य में कुपित होता है। दिन के 12 से 3 और रात जे 12 से 3 में पित दोष की अधिकता रहती है और युवावस्था में पित्त के बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है।
यदि आप पित्त प्रकृति के मनुष्य हैं तो आपके लिए जानना बेहद ज़रूरी है कि आखिर किन किन वजहों से पित्त दोष बढ़ रहा है-
👉चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से
👉ज्यादा मेहनत करने से
👉मानसिक तनाव, उदास, चिंता और गुस्से में रहने से
👉बहुत अधिक मात्रा में शराब के सेवन से
👉समय पर खाना ना खाने से या बिना भूख के ही खाना खाने करने से
👉ज्यादा सम्भोग करने से
👉तिल का तेल,सरसों, दही, छाछ खट्टा सिरका आदि के अधिक सेवन करने से
👉गाय, मछली, भेड़ व बकरी के मांस के सेवन करने से
पित्त बढ़ जाने के लक्षण :
जब किसी मनुष्य के शरीर में पित्त दोष की अधिकता होती है तो बहुत तरह के शारीरिक और मानसिक लक्षण नजर आते हैं जैसे-
👉बहुत अधिक थकावट होती है
👉नींद में कमी आती है
👉शरीर में तेज जलन होती है
👉गर्मी लगना और पसीने अधिक आना
👉त्वचा का रंग पहले की तुलना में गाढ़ा हो जाता है
👉अंगों से दुर्गंध आने लगती है
👉मुंह, गला आदि का पकना
👉ज्यादा गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन होना
👉बेहोशी होना और चक्कर आना
👉मुंह का कड़वा और खट्टा स्वाद होना
👉ठंडी चीजें ज्यादा खाने का मन करना
👉त्वचा, मल-मूत्र, नाखूनों और आंखों का रंग काला पीला पड़ना
पित्त को शांत करने के उपाय :
उन कारणों से दूर रहें जिनकी वजह से पित्त दोष बढ़ता है।
👉विरेचन : बढे हुए पित्त को शांत करने के लिए विरेचन (पेट साफ़ करने वाली औषधि) सबसे अच्छा नुस्खा है। सबसे पहले पित्त आमाशय और ग्रहणी (Duodenum) में ही जमा हो जाता है।
👉आंवला, हरड़, त्रिफला, कुटकी आदि ये पेट साफ़ करने वाली औषधियां इन अंगों में पहुंचकर वहां जमा पित्त को बहार कर देती हैं।
पित्त दोष को संतुलित करने के लिए क्या खाना चाहिए | पित्त दोष बढ़ने पर क्या खाएं
👉घी सबसे ज्यादा पित्त नाशक होता है घी का सेवन सबसे ज्यादा ज़रुरी है।
👉ठंडी तासीर की चीजें खाएं, जैसे धनिया और देशी मिश्री का रात में भिगोया हुआ पानी।
👉सब्जियों में गोभी, खीरा, गाजर, आलू, कमलगट्टा, शिमला मिर्च, कटहल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
👉सभी तरह की दालों का सेवन करें।
👉एलोवेरा जूस का सेवन सुबह खाली पेट, अंकुरित अनाज का सेवन, मूंगफली, सलाद और दलिया का सेवन करना चाहिए।
पित्तनाशक फल | पित्त को कम करने वाले फल
पपीता, आम, अंगूर, आंवला, अनानास, बेर, चीकू, केला, कच्ची कचरी, कैथ, कुचला, खरबूजा, खीरा, लकुच, लीची, महुआ, नारियल, नाशपाती, सालफल, सिंघाड़ा, शहतूत, सेब, तरबूज, अमरुद, तेन्दु।
पित्त प्रकृति वाले लोगों को क्या नहीं खाना चाहिए या पित्त दोष बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए
👉सब्जियों में मूली, काली मिर्च, सोंठ, लहसुन और कच्चे टमाटर से परहेज करें।
👉तेलों में तिल के तेल, सरसों के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
👉ड्राई फ्रूट्स में काजू, पिस्ता, अखरोट और बिना छिले हुए बादाम से परहेज करें।
👉संतरे के जूस, खट्टे अंगूर, टमाटर के जूस, चाय कॉफ़ी और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
साम और निराम पित्त :
हम जब भोजन करते हैं उसका कुछ भाग ठीक से नहीं पच पाता और वह अधपचा मल के रूप में बहार निकलने की बजाय कोठे में पड़ा रहता है। इसी अधपके अंश को आमदोष या आम रस कहा गया है।
और जब पित्त, इस आम दोष के साथ मिल जाता है तो उसे साम पित्त कहते हैं। साम पित्त दुर्गन्धयुक्त खट्टा, स्थिर, भारी और हरे या काले रंग का सा होता है। साम पित्त होने पर खट्टी खट्टी डकारें आती हैं और इससे छाती व गले में जलन भी होती है। इससे आराम पाने के लिए कड़वे स्वाद वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
जब पित्त, आम दोष से नहीं मिलता है तो वह निराम पित्त कहलाता है। निराम पित्त बहुत ही गर्म होता है, तीखा होता है, कडवे स्वाद वाला होता है, लाल पीले रंग का होता है। निराम पित्त पाचन शक्ति को बढ़ाता है। अगर यह बढ़ जाये तो इस से आराम पाने के लिए मीठे और कसैले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।