चावल कितने प्रकार के होते हैं?
चावल भी पांच तरह के होते हैं।
शालिधान्य, व्रीहि, शूक, शिम्बी और क्षुद्रधान्य।
इनमे भी जो जो लाल रंग के चावल होते हैं उन्हें शालीधान्य कहा जाता है।
जो भी सांठी इत्यादि होते हैं उन्हें व्रीहि धान्य कहते हैं।
जौ आदि को शोक धान्य कहते हैं।
मूंग इत्यादि को शिम्बी धान्य कहते हैं।
कंगुनी इत्यादि को क्षुद्रधान्य कहते हैं।
शालीधान चावल
जो चावल हेमंत ऋतू में होते हैं याने अक्टूबर से दिसंबर के बीच में होते हैं उन्हें ही शालिधान्य चावल कहा जाता है। यह ज्यादातर लाल रंग के होते हैं और भूसी रहित सफ़ेद भी होते हैं।
शाली धान चावलों के प्रकार
रक्तशाली, कलम, पाण्डुक, शकुनाहत, सुगंधक, कर्दमक, महाशाली, दूषक, पुष्पाण्डक, पुण्डरीक, महिष मस्तक, दीर्घशूक, कांचनक, हायन और लोध्रपुष्प आदि।
सम्पूर्ण शाली धानो में रक्तवाली(लाल रंग वाले चावल श्रेष्ठ है)
रक्तशाली के गुण | लाल चावल के गुण
बलदायक, घावों को भरने वाला, त्रिदोषनाशक, आखों के रोगों के लिए हितकारी, रुके हुए मूत्र को निकालने वाला, स्वर को उत्तम बनाने वाला, वीर्यवर्धक, जठरग्नि को प्रदीप्त करने वाला, पुष्टिकारक, प्यास को मिटाने वाला, बुखार, खांसी, जुखाम, और जलन को नष्ट करने वाला।
बाकी अन्य शालिधान्य चावल के फायदे
मधुर, कसेला, स्निघ्ध, बलदायक, अल्पपरिमाण में बद्धमल को निकालने वाला, हल्का, स्वरशोधक, रुचिकारक, वीर्यवर्धक, शरीरी को हष्ट पुष्ट करने वाला, मूत्रवर्धक, किंचित कफ और वातकारक, पित्तनाशक, शीतल।
जली हुई मिटटी से पैदा होने वाले चावल के गुण
जो किसान धान की फसल काटने के बाद पराली जला देते हैं और उसके बाद वो बाद में जब चावल आदि बोते हैं वो चावल-
रस में कसैले, पाक में हल्के, मलमूत्र को निकालने वाले, रुक्ष होते हैं, कफनाशक होते हैं। थोड़ा वात और पित्त वर्धक होते हैं।
जो चावल खेत में बोने से उत्पन होते हैं
वे वात
पित्त नाशक होते हैं, पचने में भारी होते हैं, कफ दोष और वीर्य को बढ़ाने वाले, कसैले, मेष शक्ति को और बल को बढ़ाने वाले और अलप मल लाने वाले होते हैं।
जो चावल बिना जोति बोई हुई पृथ्वी में अपने आप होते हैं
वे मधुर, पित्त और कफनाशक, हल्का सा वातकारक, चरपरे, कसैले और पाक में भी चरपरे होते हैं।
जो चावल एक बार चावल की फसल काट लेने पर पुनः उसे पौदे पे पैदा होते हैं
वो शीतल, रूखे, बल को बढ़ाने वाले, पित्त और कफ नाशक, मल रोधक, कसैले, पचने पर हल्के और कड़वे होते हैं।
सांठी चावल | Sathi Chawal Benefits in Hindi
सांठी चावल क्या होता है?
जो धान्य अपने वाली के भीतर ही पक जाते हैं और जो चावल 60 दिन के अंदर पक जाते हैं उन्हें सांठी धान्य चावल कहते हैं।
सांठी चावल के फायदे
यह चावल मधुर, शीतल, हल्के, मल को बाँधने वाले, वातनाशक, पित्तनाशक, कुछ कफदोष को बढ़ाने वाले।
नए चावल पचने में भारी होते हैं लेकिन वीर्यवर्धक होते हैं।
पुराने चावल शीघ्र ही पच जाते हैं।
भात के फायदे | भात कैसे बनाये
चावलों को अच्छी तरह बीनकर, साफ़ करके पानी में धो लें। चावलों से पांच गुना ज्यादा पाने लेलें और गर्म करें जब पानी उबलने लग जाये तो चावलों को डालकर उबालें।
पक जाने पर निचे उतार कर उसमे से मांड को निकाल कर हलकी आंच पर रख दें। जब यह पूर्ण रूप से पक जाये तो यह भात कहलाता है।
ताज़ा भात गर्म गर्म सेवन करना अग्निवर्धक है, पथ्य है, तृप्तिदायक है, रुचिकारक है और पचने में हल्का होता है। यह रोगियों के हितकर है।
अगर यही चावल बिना दिए और बिना मांड निकाले सेवन किया जाए तो पचने में भारी और कफवर्धक होता है। यह स्वस्थ मनुष्यों के लिए हितकर है।
खील कैसे बनती है? | खील के फायदे | खील के गुण
चावलों के छिलके सहित कढ़ाई में भून लें इस से खील बन जाती है।
यह धान/लावा/खील मधुर, शीतल, पचने में हलकी, मल-मूत्र को कम करने वाली और रुक्ष होती है। यह पित्त, कफ, उलटी, दस्त, शरीर में जलन, रक्तविकारों, प्रमेह रोग में, और प्यास रोग में लाभदायक है।
इन्ही खीलों को पीस कर सत्तू बना कर शक्कर, शहद या दूध आदि मिला कर या केवल पानी मिला देने से यह लाज तर्पण कहलाता है। यह शरीर की गर्मी को बहार निकालता है। यह दस्त में भी काफी लाभदायक है।
खीलों के चूर्ण में खजूर, अनार, अंगूर आदि का रस मिला कर जो पेय तैयार होता है यह उत्तम तर्पण होता है। यह बुखार, शरीर की गर्मी, शराब का नशा या हैंगओवर में लाभकारी है।
चावलों की खिचड़ी कैसे बनती है | चावलों की खिचड़ी के फायदे
चावल और दाल बराबर मात्रा में लेके उस से पांच या आठ गुना जल में डाल दें। फिर इसको अच्छे से पका लें। इसमें चाहे तो नमक, अदरक, मिर्च, हींग, मसाले, घी आदि डाल सकते हैं।
खिचड़ी सही ढंग से पच गयी हो तो रोगियों को लिए उत्तम होती है। दूध जितनी ही शक्ति देती है। इस से शरीर को धातु, प्रोटीन, फैट, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स और खनिज हैं। यह वीर्यवर्धक है और बलकारक है और देर से पचने वाली होती है।
चावल का धोवन या चावल का पानी क्या होता है
जितने भी चावल हों उस से पांच गुना ज्यादा पानी में चावलों में पांच से छ घंटे या रात भर भिगो दें। चावलों को अलग निकाल लें जो पानी रह जाता है उसे ही चावल का पानी का चावलों का धोवन कहते हैं।
चावलों के फायदे
👉शक्कर के साथ चावल करने से चावल शीघ्र ही पच जाते हैं।
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छाछ (मठ्ठा) के साथ चावल सेवन करने से शरीर की उष्णता, प्यास, जी मिचलाना और पित्त दोष ठीक होता है। और दस्तों और पेचिस में भी लाभकारी है।
👉लाल चावल खाने से सभी प्रकार के मूत्रविकार दूर होते हैं, और शरीर की जलन भी दूर होती है। इनको पकाकर पानी निथार कर सेवन करने से पेशाब साफ़ आता है।
👉चावलों को भूनकर रात भार पानी में डाल दें। सुबह खाली पेट इस पानी को पीने से पेट के कीड़े मरते हैं।
👉एक वर्ष पुराने से चावल त्रिदोषनाशक होते हैं।
👉तीन वर्ष पुराने चावल शरीर के सभी कीड़ों के नाशक होते हैं और औज वर्धक भी होते हैं। प्रसूतिकाल में स्त्रियों के लिए यह चावल लाभकारी होते हैं।
👉
लिवर की सूजन और
बवासीर भगन्दर आदि रोग में लाल चावलों का सेवन लाभप्रद है।
👉चावलों के मांड में
सोंठ मिला कर खाली पेट सेवन करने से बहुत जल्दी
मोटापा कम होता है।
👉चावलों को रात भर पानी में भिगोए दें सुबह उठ कर मिस पानी मुंह धोनी से झाइयां मीट जाती है।
👉चावलों को पीस कर उभटन लगाने से शरीर कांतिमान हो जाता है।
👉चावल के पानी में शक्कर और सोरा मिला कर पीने से रुका हुआ मूत्र खुल जाता है। यही नुस्खा भांग का नशा उतारने के लिए भी लाभकारी है।
👉बार बार प्यास लगती हो तो चावलों के पानी में शहद मिला के सेवन करने से लाभ होता है।
👉चावलों की खीर बना कर ठंडी होने के बाद उसमे घी मिला कर सेवन करने से भस्मक रोग नष्ट होता है।
👉चावलों की खील का चूर्ण एक चमच्च लेके उसमे दो चमच्च शहद मिला के सुबह सूर्यौदय के पहले सेवन करने से
माइग्रेन कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
👉रोजाना एक चुटकी कच्चे चावल पानी के साथ निगलने से
लिवर की सूजन कम होती है।
चावल खाने के नुकसान | चावल किनको नहीं खाने चाहिए
जिनको पेट से सम्बंधित रोग है उनको साधारण चावल नहीं खाने चाहिए।
जिनको
पथरी की शिकायत है उनको किसी भी तरह के चावल नहीं खाने चाहिए।
मधुमेह रोगियों को साधारण चावल नहीं खाने चाहिए।