जिसकी जठरग्नि प्रदीप्त हो, जो कमजोर या दुबला पतला हो, बच्चों और वृद्धों को, नित्य सम्भोग करने वालों को नित्य दूध का सेवन करना अत्यंत हितकर है। दूध के अंदर कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे की प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन (बी2), नियासिन (बी3), पैंटोथेनिक एसिड (बी5) और कोबालामिन (बी12) के अलावा, चार नए अतिरिक्त आवश्यक पोषक तत्व जो आप दूध में पा सकते हैं उनमें शामिल हैं: आयोडीन , पोटेशियम, सेलेनियम और जिंक।
दूध के भेद
दूध गाय, भैंस, बकरी, गधी, स्त्री, उटनी, घोड़ी और भेड़ी का दूध मुख्या रूप से काम में लिया जाता है।
गाय के दूध के गुण
सभी गायों का दूध मधुर, तासीर में शीतल, पचने में भारी, स्निघ्ध(चिकनाहट भरा), रसायन, बृंहण(पुष्टिकारक), दूध को बढ़ाने वाला, बलकारक, जीवन शक्ति प्रदान करने वाला, वात दोष और पित्त दोष नाशक होता है।
जीर्णज्वर में, मूत्र में जलन आदि रोग में, रक्तपित्त रोग में, मदात्यय रोग में, खांसी में, श्वास के रोगो में गाय का दूध पीना ही हितकर होता है।
काली रंग की गाय के दूध के गुण
काली रंग की गाय का दूध सबसे श्रेष्ठ होता है। यह वात पित्त और कफ त्रिदोष नाशक होता है।
इसका दूध हल्का भी होता है और सभी रोगों में हितकर कहा गया है।
पीले रंग की गाय के दूध के गुण
पीले रंग की गाय का दूध वातनाशक और पित्तनाशक है। वात के सभी प्रकार के रोग जैसे जोड़ों के दर्द आदि और पित्त के रोग जैसे शरीर में जलन आदि वाले रोगो में इस गाय का दूध उत्तम होता है।
लाल रंग की गाय का दूध
लाल रंग की जो गाय होती है उसका दूध परम वातनाशक होता है। वात के 80 प्रकार के रोग जो के बहुत भयानक होते हैं उन सब में लाल रंग की गाय का दूध परम उत्तम कहा गया है।
विदेशी या अमेरिकन या दौगली या अनेक रंगो वाली गाय के दूध के गुण
इनका दूध भी ज्यादातर वातनाशक ही होता है।
सफ़ेद रंग वाली देशी गाय के दूध के गुण
सफ़ेद रंग वाली देशी गाय का दूध कफ को बढ़ाता है और पचने में भारी भी होता है। अधिकाँश लोग गाय के दूध के पीछे पागल हुए रहते हैं। लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए हर किसी का दूध अलग चीजों में फायदा करता है। जैसे की सफ़ेद गाय दूध अब कोई दृदय रोगीपीये तो उसकी पाचन शक्ति अच्छी नहीं मिलेगी, उसका कफ भी बढ़ेगा और पचने में भी भारी है ही। अतः ऐसे लोग जिसका दूध पचने में हल्का हो उसी गाय के दूध का सेवन करना हितकर होता है।
बकेनी गाय का दूध के गुण
इसका अत्यंत बलकारक, तृप्तिदायक, और वातनाशक, पित्तनाशक और कफनाशक त्रिदोषनाशक है।
जिस गाय का बहुत छोटा बछड़ा हो या जिसका बछड़ा ना हो उसका दूध त्रिदोषकारक याने वातकारक पित्तकारक कफकारक तीनो दोषों को बढ़ाने वाला होता है।
खरी आदि खाने वाली गाय का दूध पचने में भारी, कफकारक, अनिंद्रा नाशक, वीर्यवर्धक, बलवर्धक, स्थूल (मोटापा) वर्धक, जठरग्नि को मंद करने वाला और तासीर में ठंडा है।
भैंस के दूध के गुण
भैंस का दूध मधुर, स्निघ्ध, पचने में भारी, बलदायक, अनिंद्रा अनिंद्रा नाशक, शुक्रकारक, तासीर में ठंडा, अभिष्यन्दी, अग्निमान्द्य (भूख की कमी) करता है।
जिन भी लोगों को अपना बल और शुक्र बढ़ाना है या जिन को रातों को नींद नहीं आती है उन्हें भैंस के दूध का सेवन जरूर करना चाहिए। छोटे बच्चों को या फिर जिनकी पाचन शक्ति कमजोर है उन्हें भैंस के दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
बकरी के दूध के गुण
बकरी का दूध गाय के दूध के सामान ही है। इसके अलावा है जठरग्नि को प्रदीप्त करता है, पचने में हल्का है, TB (क्षय), बवासीर, दस्त, रक्त विकार, चक्कर आना और ज्वर रोग नाशक। यह वातनाशक पित्तनाशक कफनाशक याने त्रिदोषनाशक है तीनो दोषों को शांत करता है।
बकरियों के छोटे शरीर होने से और उनके कटु सिक्त रसों के खान पान से, जल कम पीने से और उछल कूद, अधिक चलने फिरने से बकरी का दूध त्रिदोषनाशक है।
भेड़ी के दूध के गुण
भेड़ी का दूध मधुर, बालों के लिए अत्यंत हितकर, स्निघ्ध, वातनाशक और कफनाशक है। वात दोष से उत्पन खांसी या वात के सभी प्रकार के रोगी वाले व्यक्ति को भेड़ी का दोष अत्यंत हितकर है।
ऊँटनी के दूध के गुण
ऊँटनी का दूध मधुर, रुक्ष, लवण रस युक्त, पचने में हल्का, जठरग्नि को प्रदीप्त करने वाला, शरीर के कीड़ों को नष्ट करने वाला, सभी तरह के स्किन के रोगों में हितकर, कफनाशक, आनाह, शरीर की सूजन और पेट के रोगों का नाशक है।
हथिनी के दूध के गुण
हथिनी का दूध, दुर्जर, वातकारक, कफकारक, पचने में भारी, मधुर, पित्तनाशक, बलवर्धक, किसान-मजदूर मेहनती लोगो के लिए अत्यंत हितकर और तासीर में ठंडा होता है।
घोड़ी के दूध के गुण
घोड़ी का दूध तासीर में गर्म, रुक्षम बलकारक, श्वास रोग और वातनाशक है, अम्लीय, लवण रस युक्त, पचने में हल्का, मधुर और स्वादिष्ट है।
गदही के दूध के गुण
गधी का दूध जिनके हाथ पैरों में वात बढ़ा हुआ है उनके लिए हितकर, अम्ल और लवण रस युक्त, रुचिकारक, जठरग्नि को बढ़ाने वाला, कफनाशक, खांसी और बालकों के रोग का नाशक है ।
स्त्री के दूध के गुण
स्त्री का दूध, पचने में हल्का, तासीर में ठंडा, जठरग्नि को बढ़ाने वाला, वातनाशक, पित्तनाशक, नेत्रों के रोगो में हितकर, अभिघात का नाशक, नस्य कर्म करने में हितकर, प्रलाप, मूर्छा, जलन, भ्रम, हृदय रोग, बार बार प्यास का लगना, और जिस मनुष्य के सभी दोष बढ़ गए हों जो रोगो की मूर्ति बन गया हो उसको स्त्री का दूध अत्यंत हितकर है और बुखार को भी शांत करता है।
धारोष्ण दूध के गुण
जब दूध निकालते हैं तो हल्का गर्म रहता है लगभग 10 से 15 मिनट तक, इसी को धारोष्ण दूध कहते हैं।
धारोष्ण दूध गाय का उत्तम है, भैंस का धाराशीत याने कुछ देर पहले निकाला हुआ याने धारोष्ण से थोड़ी देर और बाद तक का दूध भैंस का अच्छा होता है भेड़ का दूध कच्चा नहीं पीना चाहिए उबाल कर पीना चाहिए, बकरी का दूध भी कच्चा नहीं पीना चाहिए बल्कि उबाल कर ठंडा करके पीना चाहिए।
गाय के धारोष्ण दूध पीने के लाभ
यह वात को शांत करने वाला, पुष्टिकारक, पीलिया लीवर आदि रोगो को शीघ्र हरने वाला, कमजोर लोगों की ओज शक्ति बढाने वाला, शारीर की शोभा बढाने वाला, शारीर की जलन और पित्त को हरने वाला, दूषित रक्त को स्वच्छ करने वाला, दुबले पतले लोगो को हितकर, जठराग्नि सम्बंधित रोगों में हितकर।
कच्चे दूध के गुण
कच्चा दूध अभिष्यंदी होता है, पचने में भारी होता है, कफ और आम को बढाता है और अपथ्य है लेकिन गाय, स्त्री और भैंस का कच्चा दूध हितकर है अन्य किसी भी जिव जंतु का नहीं।
औटाये हुए दूध के गुण
साधारणतःऔटाया हुआ दूध वात और कफ नाशक होता है, औटा कर ठंडा किया दूध पित्तनाशक होता है और दूध में आधा जल देकर गर्म करके ठंडा किया हुआ दूध पचने में हल्का हो जाता है।
दूध में एक चौथाई भाग जल मिला कर उबला जाए और पानी उड़ने तक उबला जाए तो वह बल और पुष्टि अकरक हो जाता है, सब रोगों का नाशक हो जाता है और ऊतम होता है ।
बिना गर्म किया हुआ दूध दो से चार घंटे सही रहता है और गर्म करने के बाद सात से आठ घंटे सही रहता है, और समय ऋतू और देशकाल के हिसाब से जब तक दूध ख़राब ना हुआ हो उसमे बदबू ना हुई हो या फटा न हुआ हो तब तन सेवानिय है।
जिस बुखार में कफ ना हो उसमे दूध पी सकते हैं लेकिन नए बुखार में दूध का सेवन जहर के सामान है।
समय विशेष दूध पीने के गुण
दिन में पूर्व में दूध पीने से जथार्ग्नी और बल दोनों बढ़ते हैं, दोपहर में दूध पीना रूचिकारक, बलदायक होता है, मूत्र में जलन या किडनी की पथरी वालों के लिए हितकर होता है, रात को दूध बूढों को और क्षय याने TB वाले रोगियों का पीना उत्तम है इस से उनका बल बढ़ता है, रात को दूध पीने से शुक्र की वृद्धि होती है और सब दोष शांत होते हैं
दूध किसे नहीं पीना चाहिए ?
नए बुखार वाले को, जिसका पाचन ख़राब हो, आम दोष के रोगी को, चर्मरोगियों को, जिनके शारीर में दर्द हो, कफ दोष वालों को, खांसी में, दस्त में, और जिनके शारीर में कीड़े हों उनको दूध का सेवन नहीं करना चाहिए
दूध में शक्कर, चीनी, गुड, मिश्री आदि मिलाने के गुण
शक्कर मिला हुआ दूध
कफकारक और वातनाशक होता है।
चीनी या मिश्री मिला हुआ दूध
शुक्रवर्धक और दोषनाशक होता है।
गुड़ मिला हुआ दूध
मूत्र की जलन नष्ट करता है लेकिन पित्त और कफ को बढाता है।
दूध के मित्र
आम, मुन्नका, शहद, घी, माखन, पीपरी, काली मिर्च, सोंठ, अदरक, चीनी, सेंधानमक से बना चिवडा, हरड़, और मधुर वर्ग वाली चीजों के साथ दूध पीना उत्तम है।
अमल पदार्थों में आंवला, मधुर में शकर, शाक वर्गों में परोरा, कटु वर्गों में अदरक, कषाय वर्गों में जौ या शहद और लवण में सेंधानमक हितकर है।
दूध के साथ विपरीत चीजें | दूध के दुश्मन | दूध के साथ क्या नहीं खाना चाहिए
दूध के साथ खाने के अयोग्य पदार्थ जैसे मछली, मांस, मूंग, मूली आदि खाने से चर्म रोग होते हैं
शाक, जामुन, शराब आदि पीने से जहर के सामान है।
उष्ण पदार्थ वाले द्रव या अद्रव, तेल, खरी, हरे पत्तीदार सब्जी, सरसों, कैथ, जामुन, निम्बू, कटहल, करीर का फल, केला, खट्टा अनार, बेल का फल दूध के साथ सेवन नहीं करना चाहिए।
विरुद्ध फलों को दूध के साथ सेवन करने से बहरापन, अंधापन, और अन्य रोग होते हैं।
दूध की मलाई के गुण
यह भारी, ठंडी, वीर्यवर्धक, रक्तपित्त नाशक और वातनाशक होती है और कफकारक होती है