Jamun ke Fayde | Benefits of Java plum | Jamun ke Ayurvedik Gun Dharam

Ayurved4LIfe
0


जामुन 

यह फल ग्रीषम ऋतू के अंत और वर्षा ऋतू के प्रारम्भ में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। भारत में जामुन की जितनी जातियां है उसमे श्रेष्ठ राजजम्बू की है। 

जामुन के अन्य नाम

संस्कृत- राजजम्बू, फलेन्द्रा हिंदी- जामुन, फलादा, फरेदा मराठी- रायजामुल, योरजामुल गुजरती- जाबो बंगाली- कालजाम
अरबी- जाम्बुल

जामुन के गुण

जामुन फल- त्रिदोषनाशक, लघु, रुक्ष, कषाय, मधुर, अम्ल, विपाक में मधुर, शीतवीर्य, वातनाशक, पित्तनाशक और कफनाशक है, रक्तस्तंभक, दाहनाशक, दीपन, पाचन, यकृत-प्लीहा नाशक, मलरोधक, श्रमहर, तृषा शामक, अतिसार, श्वास, खांसी, पेट के कीड़ों का नाशक है। इसे मेवा की तरह खाया जाता है यह यकृत, हृदय मस्तिष्क को बल देता है। अधिक खाने से या काली पेट खाने से वात को बढ़ा देता है।
जामुन की गुठली का चूर्ण दस्त रोकने के काम में आता है। इसके अलावा इसके चूर्ण में सोंठ मिश्री मिला कर देने से शुक्रमेह ठीक होता है। जामुन की छाल मधुर, कसेली, उष्ण, रुक्ष, श्वास, तृष्णा और दस्त में लाभदायक है।
जामुन अग्निप्रदीपक(जठराग्नि को बढ़ानेवाला), पाचक, स्तंभक (रोकनेवाला) तथा वर्षा ऋतु में खूब मिलने वाला अनेक रोगों में उपयोगी है। जामुन में आयरन (लौह) तत्त्व पर्याप्त मात्रा में होता है, अतः पीलिया के रोगियों के लिए जामुन का सेवन अत्यंत लाभकारी है।

जामुन लीवर और रक्त की अशुद्धि को दूर करते हैं। जामुन खाने से रक्त शुद्ध होता है। जामुन मधुमेह, पथरी, अतिसार(दस्त), पेचिश, संग्रहणी(IBS), यकृत(लीवर) के रोगों और रक्तजन्य विकारों को दूर करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन के बीज का चूर्ण सर्वोत्तम है।


जामुन के फायदे

मधुमेह में जामुन प्रयोग

1. मधुमेह के रोगी को नित्य जामुन खाने चाहिए। जब जामुन का मौसम चला जाये तो इसकी गुठलियों का चूर्ण का सेवन करें। अच्छे पके जामुन सुखाकर, बारीक कूटकर बनाया गया चूर्ण प्रतिदिन 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
2. गुठली और सोंठ एक एक भाग, गुड़मार बूटी दो भाग इन सभी को कूट कर चूर्ण कर लीजिये, अलोएवेरा के रस में अच्छे से खरल कर लीजिये। घोंट घोंट कर सूखने लग गोलियां तैयार कर लीजिये और छायां में सूखा लीजिए। दिन में तीन बार एक या दो गोली का सेवन शहद का साथ कीजिये मूत्र में आने वाली शक्कर एक या दो महीने में समाप्त हो जाएगी। पथ्य और अपथ्य का ध्यान रखें। 3. जामुन की गुठली का चूर्ण आधी चमच्च गुड़मार बूटी आधी चमच्च 250ml पानी में डाल कर इतना उबालें की 60ml बच जाये इसके काढ़े के साथ दिन में दो बार सेवन करने से कष्टसाध्य मधुमेह भी ठीक होता है। पथ्य और अपथ्य का ध्यान रखें।

प्रदररोग  में जामुन प्रयोग

कुछ दिनों तक जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े में शहद (मधु) मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से स्त्रियों का प्रदर रोग मिटता है।

मुँहासे  में जामुन प्रयोग

जामुन के बीज को पानी में घिसकर मुँह पर लगाने से मुँहासे मिटते हैं।


आवाज बैठना में जामुन प्रयोग

जामुन की गुठलियों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियाँ बना लें। 2-2 गोली नित्य 4 बार चूसें। इससे बैठा गला खुल जाता है। आवाज का भारीपन ठीक हो जाता है। अधिक बोलने वालों के लिए यह विशेष चमत्कारी योग है।

स्वप्नदोष  में जामुन प्रयोग

जामुन की गुठली का 4-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष ठीक होता है।
दस्तः जामुन के पेड़ की पत्तियाँ (न ज्यादा पकी हुईं न ज्यादा मुलायम) लेकर पीस लें। उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोलियाँ बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से कैसे भी तेज दस्त हों, बंद हो जाते हैं।

पेट में बाल या लोह का अंश जाने में जामुन प्रयोग

ऐसे में जामुन का फल का सेवन अत्यंत लाभप्रद है। जामुन के फल के सेवन इन दोनों को गला पचा कर बहार निकालने की क्षमता है।


मोतियाबिंद में जामुन प्रयोग

जामुन की गुठली का चूर्ण शहद के साथ घोंट कर तीन तीन ग्राम की गोलियां बना लें, सुबह शाम एक एक गोली गाय के दूध के साथ सेवन करें, और इन्ही गोलियों को शहद में घिसकर आखों पर अंजन करने से मोतियाबिंद में जरूर लाभ होता है। 

मसूड़ों से रक्त बहने पर और मुंह के छालों पर जामुन प्रयोग

पारद, या अन्य किसी कारन से मुख के छालों पर या मसूड़ों से रक्त बहता हो तो जामुन के पेड़ की छाल का काढ़ा या फिर फांट बना कर गण्डूष (मुख में कुछ देर तरल पदार्थ को रखना दिर थूक देना) धारण करवाएं। मसूड़ों से रक्त में जामुन की दातुन भी बहुत लाभप्रद है।

अधिक पसीना और दुर्गन्ध नाश के लिए जामुन प्रयोग

जामुन के पत्ते और अर्जुन वृक्ष के फूल और कूठ का चूर्ण सभी को पानी में पीस कर उभटन लगाएं कुछ देर बाद स्नान कर लें।

उलटी और पित्त दोष नष्ट करने के लिए जामुन प्रयोग

जामुन के चार से पांच पत्ते लेकर दो गिलास पानी में डालकर इतना उबालें की एक चौथाई गिलास पानी बच जाए इसको उतार छान कर सेवन करने से उलटी आना और पित्त विकार नष्ट होता है।
सावधानीः जामुन को कभी भी खाली पेट नहीं सेवन करना चाहिए। जामुन सदा भोजन के बाद ही खाना चाहिए। जामुन खाने के तुरंत बाद दूध न पियें।
जामुन पर नमक लगाकर ही खायें तो जल्दी पच जाता है । अधिक जामुन का सेवन करने और अजीर्पण होने पर छाछ में सेंधा नमक डाल कर पियें।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)