धनिया Coriander Seeds
धनिया सर्वत्र प्रसिद्ध है। भारत में भोजन बनाने में इसका नित्य प्रयोग होता है। हरे धनिये के विकसित हो जाने पर उस पर हरे रंग के बीज की फलियाँ लगती हैं। वे सुख जाती हैं तो उनहें सूखा धनिया कहते हैं।
सब्जी, दाल जैसे खाय्य पदार्थों काटकर डाला हुआ हरा धनिया उसे सुगंधित एवं गुणवान बनाता है। हरा धनिया गुण में ठंडा, रूचिकारक व पाचक है। इससे भोज्य पदार्थ अधिक स्वादिष्ट व रोचक बनते हैं।
धनिया के अन्य नाम
Sanskrit – धान्यक, धाना, कुस्तुम्बुरु, वितुन्नक, छत्रा, धान्यक, धान्या, धानी, धानेयक, छत्रधन्य, धन्याक, धनिक, धनेयक, धनक, धान्यबीज, धेन्निका, जनप्रिय, शाकयोग्य, सुगन्धि, सूक्ष्मपत्र, वेधक, वेषण, बीजधान्य
English (dhaniya in english) – चाइनीज पार्सले (Chinese parsley), कोरिएन्डर (Coriander)
कोंकणी – कोटबोर (Kotbor)
कनड़ – कोथांबरी (Kothambari), हविज (Havija)
गुजराती– धाना (Dhana), कोथमीरी (Kothmiri)
तमिल– कोटमल्लि (Kotamalli), कोतमल्ली (Kothmalli)
तेलगु – कोत्तिमिरि(Kotimiri), धनियलु (Daniyalu)
बंगाली– धाने (Dhane)
मराठी – धानया (Dhanya), कोथिमीर (Kothimir)
धनिया के आयुर्वेद गुणधर्म
कटु, कषाय, स्निग्ध, पचने में हलका, मुत्रल, दस्त बंद करने वाला, जठराग्नवर्द्धक, पितप्रकोप का नाश करने वाला एवं गर्मी से उत्पन्न तमाम रोगों में भी अत्यंत लाभप्रद है।
धनिया के फायदे | Benefits of Coriander Seeds
बुखार में धनिया
अधिक गर्मी से उत्पन्न बुखार या टायफाइड के कारण यदि रक्ततिसार (दस्त में खून आता हो) तो हरे धनिये के 25 मि.ली. रस में मिश्री डालकर रोगी को पिलाने से लाभ होता है। ज्वर से शरीर में होती जलन पर इसका रस लगाने से लाभ होता है।
आंतरदाह में धनिया
देशी सहज वाली मिश्री का चूर्ण और सूखा धनिया चूर्ण दोनों बराबर आपस में मिला लें। इसके मिक्सचर की एक चमच्च रात को आधे गिलास पानी में डाल दें अगली सुबह छान कर इसका सेवन करने से शरीर की सारी गर्मी दूर होती है।
अरुचि में धनिया
सुखा धनिया, इलायची व काली मिर्च का चूर्ण घी और मिश्री के साथ लें।
हरा धनिया, पुदीना, काली मिर्च, सेंधा नमक, अदरक व मिश्री पीसकर उसमें जरा सा गुड़ व नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करें। भोजन के समय उसे खाने से अरुचि व मंदाग्नि मिटती है।
तृषा रोग में धनिया
तृष्णा रोग याने की बार बार प्यास लगने को कहते हैं, इसमें हरे धनिये के 50 मि.ली. रस में मिश्री या हरे अंगूर का रस मिलाकर पिलायें।
सगर्भा की उलटी रोकने में धनिया
हरे धनिये के रस में हलका-सा नींबू निचोड लें। यह रस एक-एक चम्मच थोड़े-थोड़े समय पर पिलाने से लाभ होता है।
रक्तपित्त में धनिया
इस रोग में नकसीर आना, लिंग, गुदा, योनि, कान आखों से रक्त गिरता है। सूखा धनिया, अंगुर व बेदाना का काढ़ा बनाकर पिलायें।
हरे धनिये के रस में मिश्री या अंगुर का रस मिलाकर पिलायें। साथ नमकीन, तीखे व खट्टे पदार्थ खाना बंद करें और सादा, सत्विकआहार लें।
अजीर्ण में धनिया
सूखा धनिया और सोंठ दोनों का चूर्ण मिक्स करके दो चमच लेकर दो गिलास पानी में डालकर इतना उबालें की आधा गिलास बच जाए फिर यह काढ़ा पिलायें।
बच्चों की आँखेँ आने में धनिया
सूखे पिसे हुए धनिये की पोटली बॉँधकर उसे पानी में भिगोकर बार-बार ऑखों पर घुमाएं।