Kaunch Beej Powder Benefits and Side Effects in Hindi | Kaunch Beej ke Fayde or Nuksan

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konch ke beej ke fayde


कौंच 

यह भारत के प्रे समस्त ग्राम प्रदेशो में पाया जाता है।  इसके बीजो में राल, टेनिन, स्नेह द्रव्य और कुछ मेगनीज पाया जाता है। बीजो की मज्जा की अपेक्षा ऊपर के छिलको में मैगनीज़  कुछ अधिक होता है। 


कौंच बीज के अन्य नाम

 

संस्कृत- कपिकच्छु (बंदर के रोयें जैसे रोम होने से और खुजली करने वाले होने से )

हिंदी- केवांच, कौंच, खजोहरा कवाछु। 

बंगाली-आलकुशी, कामचा, विछोटी। 

मराठी- कुहिली।

गुजरती- कौंचा, कवचा। 

अरबी- Cowhage  


आयुर्वेदिक गुण धर्म 


गुरु, स्निघ्ध मधुर, तिक्त, विपाक में मधुर, उष्ण वीर्य, त्रिदोष नाशक, वृष्य, शीतपित्त, व्रण, रक्तपित्त आदि नाशक है। 

औषद्धि के लिए इसके जंगली बीजो का सेवन करना चाहिए यह आपको पंसारी की दुकान पर भी मिल जाते हैं। यह अत्यंत वाजीकारक, नाड़ी संस्थान, वात रोग, मूत्र में जलन, किडनी के रोग, शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता, दुष्टव्रण, रक्तपित्त, त्रिदोषनाशक है। 


कौंच बीज के फायदे


Kaunch Beej to Cure Asthma and other Respiratory Disease



कौंच बीज की एक चमच्च चूर्ण में आधी चमच्च चूर्ण घी और दो चमच्च शहद मिला कर अवलेह बना कर दिन में दो बार चाटने से दमा आदि तमाम श्वास सम्बंधित बीमारी एक दो महीने में ही ठीक हो जाती हैं। 



Kaunch Beej for Facial Paralysis



कौंच बीज के को दलिया की तरह दरदरा पीसकर तीन से चार चमच्च दूध में डालकर खीर बना कर सेवन करने से अर्दित वात (मुंह का लकवा) के लिए लाभकारी है। 



Kaunch Beej for UTI Problems



मूत्र में जलन आदि हो तो इसका एक ग्राम चूर्ण साधारण पानी के साथ दिन में  तीन से चार बार सेवन करने से लाभ होता है। 



Kaunc Beej for Dhat Syndrome (धातु का गिरना)



शुक्रमेह याने पेशाब से धातु का गिरना आदि रोगो में कौंच बीज की एक चमच्च चूर्ण नित्य मिश्री मिलाये हुए दूध के साथ सेवन करने से एक महीने में ही लाभ दिख जाता है।  



Kaunch Beej for White Discharge Problem in Women



सफ़ेद पानी की समस्या अक्सर महिलाओं में हो जाती है ऐसे में कौंच बीज की आधी चमच्च चूर्ण साधारण पानी के साथ सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से एक महीने में लाभ हो जाता है। 



Kaunch Beej for Syphilis



उपदंश या सिफ़िलिस एक यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) है. यह एक गुह्य रोग है जो की मुख्य रूप से लैंगिक संपर्क के ज़रिए फैल जाता है। इसमें कुछ लक्षण भी दिखाई देते है जैसे बिना खुजली वाले चकत्ते जो शरीर के ऊपरी हिस्से से शुरू हो जाते हैं और पूरे शरीर में फैल जाते हैं, जिसमें हथेलियां और तलवे भी शामिल हैं। 

ऐसे में कौंच बीज इसके लिए रामबाण है, एक चमच्च कौंच के बीजों का चूर्ण साधारण पानी के साथं सुबह शाम खाली पेट सेवन करने से दो महीने में ही लाभ हो जाता है। 


Kaunch Beej for Premature Ejaculation and Erectile Dysfunction (Impotency)



👉अश्वगंधा, शतावरी, कौंच के बीज, सफ़ेद मूसली और गोखरू लेने के फायदे

इन सभी के चूर्ण बराबर मात्रा में  लेकर रात को मिश्री और घी युक्त दूध के साथ सेवन करने से बल, वीर्य और जो लोग पतले हैं उनका वजन भी बढ़ता है। सभी प्रकार की यौन दुर्बलता दूर होती है। शीघ्रपतन जैसी समस्या भी दूर होती है।

👉कौंच बीज और गेहूं को दलिये की तरह पीसवा कर तीन से चार चमच्च लेकर दूध के साथ खीर बना कर, घी और शहद  विषम मात्रा में मिला कर नित्य सेवन करने से शुक्राणु खूब बढ़ते हैं, Testosterone बढ़ता है, शीघ्रपतन भी दूर होता है बल और वीर्य की बढ़ोतरी होती है। 

👉कौंच बीज का चूर्ण दो चमच्च और कौंच की जड़ का चूर्ण, दालचीनी, अश्वगंधा, मुलेठी, कायफल. अकरकरा यह सभी एक एक चमच्च लेकर सभी को मिक्स करलें। इसकी एक चमच्च सम्भोग करने  घंटे पहले दूध के साथ सेवन करने से वीर्य देर से निकलता है। 

👉 कौंच के बीज आधी चमच्च और आधी चमच्च तालमखाना आपस में मिला कर दूध के साथ नित्य सेवन करने से नपुंसकता एक से दो महीने में ही मी जाती है।

वानरी गुटिका प्रयोग

कौंच के बीजो को एक कुड़व की मात्रा में लेकर एक प्रस्थ गौ दूध में मिला कर धीरे धीरे जब तक दूध गाढ़ा  ना हो जाये तब तक पकाते रहें। जब दूध खोवा बन जाये तो उतार कर ठंडा कर बीजो को अलग कर छिलके उतार लें और पीस लें। इन पीसे हुए बीजों में वह खोवा भी मिला लें और और बड़े बेर जितनी वटी बना कर गाय के घी में पका लें। 
उसके पश्च्यात उनके ऊपर चाशनी डाल दें। जब वह चाशनी से तृप्त हो जाये तो उन्हें शाहद भरे हुए कांच के बर्तन में रख दें और फिर रोजाना सुबह रात एक एक वटी का सेवन करने से शीघ्रपतन शीघ्र ही नष्ट होता है, सम्भोग में वीर्य देर से निकलता है, जिनका लिंग बिलकुल नहीं उठता हो उनका लिंग झंडे की तरह सीधा खड़ा रहता है, जिनका लिंग सम्भोग में ही बीच बीच में बैठ जाता हो उनके लिंग का तनाव जाता नहीं है और घोड़े के सामान मैथुन करता है। इसका सेवन पूरी सर्दी करने से गौ शाला में जैसे एक सांड गौ के बीच रह कर घमंड करता है उसी प्रकार मनुष्य वीर्यवान वेगवान हो जाता है। - योगरत्नाकर 


Kaunch Beej for External Tumour

External Tumour- कौंच के बीजों को पानी में घीस घीस कर गाढ़ा लेप तैयार कर गाँठ के ऊपर लगाने से कुछ दिनों में गांठ बैठ जाती है। 

योनी शिथिलता- कौंच की जड़ का काढ़ा बना कर योनि को धोते रहने से योनि टाइट हो जाती है। 

शीघ्रपतन - कौंच की जड़ को सम्भोग से पहले मुख में धारण करने और सम्भोग करने से अगर वीर्य हष्ट पुष्ट है तो जबतक जड़ मुख में रहेगी  वीर्य संखलित नहीं होगा। वीर्य हष्ट पुष्ट नहीं है तो वीर्य देर से संखलित होगा। 

Ascites- इसकी जड़ का चूर्ण जलोदर रोग में पेट पे किया जाता है। 

Elephantitis- इसकी जड़ को पानी के साथ मिला कर लेप बना कर हाथी पाँव (Elephantitis) रोग में भी किया जाता है। 

Parkinson- कौंच की जड़ का काढ़ा बना कर सरसो  के तेल में सिद्ध करके इस तेल की मालिश कम्पवात (Parkinson) रोग में अत्यंत लाभ होता है। 

Canker Sores- कौंच के पत्तों को पीसकर टिकिया सी बना कर नाड़ीव्रण पर बाँधने से उसका शोधन होता है। नाड़ीव्रण वह घाव होता है जिसमें भीतर ही भीतर नली की तरह छेद हो जाय और उसमें से बराबर मयाद निकला करे जैसे नासूर।

कृमि रोग- कौंच के पत्तों को काली मिर्च के साथ पीसकर सेवन करने से शारीर के कीड़े नष्ट होते हैं।  


Side Effects of Kaunch Beej

Conclusion- अत्यधिक मात्रा में बीजों के सेवन से घबराहट, बेचैनी, होती है। इसके निवारण के लिए रोगन मस्तंगी और बाबुल गोंद देते हैं। 

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