Inside this Article:
- दीपन
- पाचन ( Digestive substances )
- दीपन-पाचन
- शमन ( Palliative substances )
- अनुलोमन (Carminative substances)
- सन्सन द्रव्य
- भेदन द्रव्य ( Emollient laxative )
- रेचन/विरेचन
- वमन द्रव्य ( Emetic substances )
- संशोधन द्रव्य
- ग्राही द्रव्य ( Solidifying substances )
- छेदन द्रव्य ( Expulsive substances )
- स्तम्भन द्रव्य ( Styptic substances )
- लेखन द्रव्य ( Scraping substances )
- वाजीकारक/वाजीकरण द्रव्य
- रसायन द्रव्य ( Rejuvenating substances )
- व्यवायि द्रव्य
- विकाशी द्रव्य ( Slackening substances )-
- मादक द्रव्य
- अभिष्यंदी द्रव्य ( Obstructing substances )
आयुर्वेदिक परिभाषाएं
दीपन
जो औषध पाचक अग्नि को तो प्रदीप्त कर दे लेकिन आमरस का परिपाक ना कर सके उसे दीपन कहते हैं।
जैसे- सौंफ
कुछ लोगो यह लगता होगा की जब अगर कोई वास्तु अग्नि को प्रदीप्त करती है तो वह पाचक कैसे नहीं है?
तो इसका जवाब है दीपन औसधी इतनी ही अग्नि को प्रदीप्त करती हैं जीस से रूचि बढे लेकिन वह खाये हुए अन्न को नहीं पचा सकती। जैसे दीप जलाते हैं उसकी लो हल्का फुल्का प्रकाश या छोटी मोती चीजों को जला तो देगी लेकिन यदि उसके ऊपर बर्तन रख दाल चावल पकाने हों तो वह नहीं पका सकती। इसी प्रकार दीपन वस्तुओं को समझना चाहिए।
पाचन ( Digestive substances )
जो पदार्थ कच्चे अन्न को तो पचा दें उद्राग्नि को दीपन नहीं करती उन्हें पाचक द्रव्य कहते हैं।
जैसे- नागकेसर
दीपन-पाचन
जो पदार्थ अग्नि को भी प्रदीप्त करता है और कच्चे रस को भी पचाता है उसे दीपन-पाचन कहते हैं।
जैसे- चित्रक
शमन ( Palliative substances )
जो पदार्थ तीनो दोषो को शुद्ध नहीं करता मतलब ऊपर या निचे के मार्गों द्वारा बहार नहीं करता। सामान वात पित्त कफ को तो नहीं बढ़ाता लेकिन बढे हुए वात पित्त कफ को सामान कर देता है।
जैसे- गिलोय
अनुलोमन (Carminative substances)
जो वस्तु बिना पक्के दोषों को पचा कर रुध्द वायु के बंधनो को ढीला करके नीचे ले जाकर गुदा के द्वारा बाहर निकाल देता है उसे अनुलोमन कहते हैं।
जैसे- हरड़
सन्सन द्रव्य
जो वस्तु कोठों में चिपके हुए मल, कफ, पित्त को बिना पकाये ही निचे ले जाये उसे सन्सन कहते हैं।
जैसे- अमलतास
भेदन द्रव्य ( Emollient laxative )
जो पदार्थ वातादि दोषों से बंधे हुए, न बंधे हुए या गांठों गांठों के सामान मलादि को तोड़ कर निचे जाकर गुदा द्वारा उसे निकाल दे उसे भेदन पदार्थ कहते हैं।
जैसे- कुटकी
रेचन/विरेचन
जो पदार्थ अधपके अथवा कच्चे मल को पतला करके निचे गिरा अर्थात दस्त करवा दे उसे रेचन कहा जाता है।
जैसे- निशोथ
वमन द्रव्य ( Emetic substances )
जो पदार्थ कच्चे कफ, पित्त को जबस्दस्ती मुंह से निकाल दे वह पदार्थ वमन द्रव्य कहलाता है। वमन का अर्थ होता है उलटी और वमन द्रव्य होता है जिस पदार्थ के खाने से उलटी आये।
जैसे- मैनफल
संशोधन द्रव्य
जो पदार्थ स्वस्थान में संचित हुए मल को आकर्षित करके ऊपर या निचे के मार्गों से बहार निकल दे उसे संशोधन द्रव्य कहते हैं।
जैसे- देवदाली
ग्राही द्रव्य ( Solidifying substances )
जो पदार्थ दीपन(अग्नि को प्रदीप्त करने वाला) हो, पाचन(कच्चे को पकाने वाला) हो और गर्म होने की वजह से गीले को सूखता हो उसे ग्राही द्रव्य कहते हैं।
जैसे- सोंठ, जीरा और गजपीपल
छेदन द्रव्य ( Expulsive substances )
जो पदार्थ आपस में मिले हुए जो कफादि दोषों को अपनी यथार्त शक्ति से तोड़ फोड़ दे उसे छेदन द्रव्य कहते हैं।
जैसे- जोखार, काली मिर्च और शिलाजीत
स्तम्भन द्रव्य ( Styptic substances )
जो पदार्थ शीतल, रुखा, कसेला और लघुपाकि होने के कारण वायु को उल्टा करने वाला हो याने के जो वायु ऊपर से निचे आती है उसे निचे से ऊपर करता है या यूँ कहे निचे जाने से रोके उसे स्तम्भन द्रव्य कहते हैं।
जैसे- सोनपाठा, कूड़ा
लेखन द्रव्य ( Scraping substances )
जो पदार्थ देह की धातुओं अथवा मल को सुखाकर दुर्बलता पैदा करता है अर्थात मोठे को पतला करता है उसे लेखन द्रव्य कहते हैं।
जैसे- शहद, उष्ण जल, वच और इन्द्रजौ
वाजीकारक/वाजीकरण द्रव्य
जो पदार्थ स्त्री के सम्भोग करने की इच्छा प्रबल करे, जिस से मैथुन शक्ति बढे वह द्रव्य वाजीकरण कहलाते हैं।
जैसे- अश्वगंधा, शतावरी, सफ़ेद मूसली, दूध, मिश्री आदि।
जनक- वीर्य पैदा करने वाला जैसे घृत और मांस
प्रवर्तक- वीर्य को शरीर से बहार निकालने वाले जैसे गूंजा चूर्ण और कटेरी आदि
जनक प्रवर्तक- वीर्य पैदा करने वाला और बहार निकालने वाला जैसे दूध, घी, गेहूं, उड़द और आमला ।
शुक्ल- वीर्य की वृद्धि करने वाले द्रव्य जैसे नागबला और कोंच के बीज ।
वीर्य स्तम्भक- जो वीर्य को गिरने से रोके जैसे जायफल और अफीम।
रसायन द्रव्य ( Rejuvenating substances )
जो पदार्थ बुढ़ापे और रोगों को दूर रखे उसे रसायन द्रव्य कहते हैं। लेकिन इनका सेवन विधि से किया जाये जभी फल देते हैं।
जैसे- हरड़, दंति, गुग्गुल और शिलाजीत।
व्यवायि द्रव्य
जो पदार्थ बिना पचे ही पूरे शरीर में फ़ैल कर शराब की तरह पाक अवस्था को प्राप्त हो उसे व्यवायि कहते हैं।
जैसे- अफीम, भांग।
विकाशी द्रव्य ( Slackening substances )-
जो पदार्थ पूरे शरीर में रहने वाले वीर्य में से "ओज" को सुखाकर शरीर की सदियों को ढीला करते हैं उन्हें विकाशी कहते हैं।
जैसे- कोदों, सुपारी
मादक द्रव्य
जो भी पदार्थ अधिक तमो गन वाला और बुद्धि का नाश करने वाला उसे मादक द्रव्य कहते हैं।
जैसे- शराब
अभिष्यंदी द्रव्य ( Obstructing substances )
जो पदार्थ चिकने व् भारी होने के कारण रसवाही शिराओं में अवरोध करके रोग पैदा करे उसे अभिष्यंदी द्रव्य कहते हैं।
जैसे- दही
विदाही द्रव्य
जो द्रव्य भोजन करने के बाद खट्टी डकार, प्यास और छाती में जलन पैदा करदे उसे विदाही द्रव्य कहते हैं।
योगवाही द्रव्य
जो द्रव्य अन्य वस्तु के साथ पकने पर दुसरे को ग्रहण करके उसे और बढ़ावे उसे योगवाही द्रव्य कहते हैं।