Kutki Benefits in Hindi | Kutki ke Fayde or Nuksan

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  • कुटकी चूर्ण के फायदे | Benefits of Kutki Powder in Hindi
  • बुखार दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग


  • कुटकी 

    यह हिमालय प्रदेश मे कश्मीर से सिक्कम तक ७ - १५ हजार फीट की ऊचाई पर उत्पन्न होती है। 

    कटुका जायते हेमाधित्यकासु विशेषत - प्रियनिघण्टु  

    यह जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड गढवाल, कुमायू मे विशेषत उपलब्ध होती है। यूरोप मे पायरेलिस, जूटा व ओसजिस मे मिलती है। यह एशियामाइनर में भी पाई जाती है।


    कुटकी के अन्य नाम

    हिन्दी -- कुटकी, कटुकी, कटुका। 

    मराठी - कटुकी, बालकडू, केदार कडू।  

    गुजराती - कडू। 

    बंगला - कट्की। 

    पंजाबी -- कौड, करूं। 

    तेलगु – कुडुग - रोहिणी। 

    तामिल-कुडुग - रोहिणी।

    कन्नड़ - केदार कुटकी, कटुक रोहिणी। 

    राजस्थानी - कुटक।

    फारसी - खरबके हिन्दी, सर्वके सियाह। 

    अरबी - खरबके हिन्दी, सर्वक अस्वद। 

    अग्रेजी - पिक्रोराइजा।

    लैटिन - पिक्रोराइजा, कूरोआ रॉयल ऐक्स बेन्थ। 


    कुटकी के आयुर्वेदिक गुण धर्म 

    रुक्ष, लघु, तिक्त(कड़वी), विपाक में कटु(पचने के बाद तीखी), और शीतवीर्य(तासीर में ठंडी) है।

    यह रेचन, दीपन, यकृत रोग, हृदय रोग, पित्तसारक(पित्त को बहार निकालने वाला , कृमि, रक्त एवं स्तन्य(स्तनों का दूध) शोधक, कफनिस्सारक(कफ को बहार निकालने वाला), शोथहर(सूजन ख़त्म करने वाला), प्रमेह(मधुमेह आदि मूत्र रोग), शीतपित्त(urticaria), कामला(पीलिया), कुष्ठ(चर्म रोग), दाहनाशक(जलन खत्म करने वाला), श्वास(फेफड़ों के दमा आदि रोग), कास(खांसी) आदि रोग नाशक है। 



    कुटकी चूर्ण के फायदे | Benefits of Kutki Powder in Hindi

    High BP में कुटकी के फायदे | Kutki Powder for High BP

    कुटकी चूर्ण और चिरायता के चूर्ण को आपस में मिला कर रख लें, इस मिक्सचर की आधी चमच्च चूर्ण रात को आधे गिलास पानी में डाल कर रख दें, अगले दिन सुबह खाली पेट इसका सेवन करलें। फिर ऐसी ही एक और खुराक सुबह बना लें और उसका सेवन शाम को खाली पेट कर लें। मात्र एक से दो महीने में BP ज्यादा हो रखा हो तो एक नार्मल हो जायेगा। इस से लाखों लोगों की दवाई छुट्टी हैं। तीखी, नमकीन और खट्टी चीजों को परहेज करना चाहिए। 

    शोथ(सूजन) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    (क) कटुका, सहिजन के मूल की छाल और मकोय के पत्ते पीसकर लेप करने से शोथ शान्त होता है। 

    ( ख) कटका १० ग्राम और दमं मूल २० ग्राम का क्वाथ दिन मे ५-६ बार पीवे।


    इन्द्रलुप्त(बाल उड़ना, गंजापन) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    कटुका को कडवे पटोलपत्र(तोरई के पत्ते) स्वरस के साथ पीसकर लेप करने से इन्द्रलुप्त धीरे-धीरे समाप्त होता है।


    शीताङ्ग सन्निपात(जिस बुखार में ठण्ड बहुत लगती है) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    कटुका, कुलथी, फिटकरी और पुराने उपले की राख का वस्त्रपूत चूर्ण कर हाथ-पैरो पर मलने से शीताङ्ग सन्निपात मे उष्णता आने लगती है।


    स्नायुशूल(नसों में दर्द) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    कुटकी चूर्ण को तेल मे पकाकर मालिश करने से स्नायुशूल का शमन होता है।


    उदरशूल(पेट दर्द) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    कटुका और धतूरे के फल को कांजी मे पीस कर उदर(पेट) पर लेप करने से सब प्रकार के उदरशूलो(पेट दर्दों) मे लाभ होता है।


    स्तनशूल(Breast Pain) दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    कटुकी, गिलोय, देवदारु, निम्बू के पत्ते का काढ़ा बनाकर उससे स्तन धोवे। ऐसा करने से स्तनजन्य शूल समाप्त होता है।



    बुखार दूर करने के लिए कुटकी प्रयोग

    सामान्य बुखार में कुटकी प्रयोग

    कटुका, अतीस और गिलोय का काढ़ा भी सामान्य ज्वर मे लाभप्रद है।


    पित्तज्वर  में कुटकी प्रयोग

    कटुका, नागरमोथा, अमलतास, हरड़ और पित्तपापडा का काढ़ा पित्तज्वर नष्ट करता है।


    कफज्वर  में कुटकी प्रयोग

    पटोलपत्र के क्वाथ मे मरिच चूर्ण तथा मधु मिला- कर देने मे कफज्वर मे लाभ होता है।

    कटुका, हरिद्रा, नागरमोथा, सोंठ और त्रिफला का काढ़ा  कफ ज्वर को हरता है।

    कटुका, त्रिकटु, अतीस, नीम तथा इन्द्री का क्वाथ कफज्वर को दूर करता है।


    वातज्वर  में कुटकी प्रयोग

    कटुका, अमलतास और पीपलीमूल का काढ़ा वातिकज्वर को शांत करता है।

     

    जीर्ण ज्वर में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder Benefits in Chronic Fever in Hindi

    कुटकी, चिरायता, सोंठ, देवदारु और पित्तपापडा के काढ़े में मिश्री और पानी चूर्ण मिलाकर सेवन करना जीर्णज्वर मे हितकर है।

    कटुका, चिरायता, नागरमोमा, पित्तपापड़ा और गिलोय के क्वाथ का नियमित सेवन करने से भी जीर्णज्वर नष्ट हो जाता है।


    विषम ज्वर में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder Benefits in Typhoid Malaria Disease

    कुटकी चूर्ण, पटोलपत्र, आम की गुठली, हरड़ और मुलेठी के काढ़े से सन्तत ज्वर(वह ज्वर जो आठों पहर रहे)  दूर होता है ।

    कटुका, पाठा, पटोलपत्र, मारिवा और नागर- मोथा का काढ़ा सन्तत ज्वर मे हितकर है।

    कटुका, धनिया, सोंठ, पित्तपापडा, पिप्पली और लालचन्दन के क्वाथ में मिश्री मिलाकर पीने से तृतीयक ज्वर दूर होता है। तृतीयक ज्वर का मतलब है, बुखार जो हर तीसरे दिन, यानी 48 घंटे के अंतराल पर आए. यह प्लास्मोडियम विवैक्स मलेरिया के साथ विशेष रूप से होता है। 

    कटुका चूर्ण को बारह घन्टे दूध मे खरल कर 240 मि० ग्राम की गोलिया बनालें । ज्वर आने के २-३ घन्टे पूर्व १-२ गोली देने में तृतीयक किंवा चातुर्थक ज्वर नामक विषम ज्वर आने की सभावना कम रहती है। चातुर्थक ज्वर मलेरिया का एक प्रकार है जिसमें बुखार हर चौथे दिन आता है।

    कटुका, मोठ, रक्तचन्दन, गिलोय, नागरमोथा और आमलक क्वाथ चातुर्थक ज्वर मे लाभप्रद कहा गया है। 

    कटुका क्वाथ मे पिप्पली चूर्णं मिलाकर सेवन करने से भी सभी प्रकार के विषम ज्वरो मे लाभप्रद है।

    कटुका चूर्ण 6 ग्राम को उबलते हुये 30 मि० लि० पानी मे डालकर बीस मिनट तक रखने के बाद चूर्ण के बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करना भी विषम ज्वर मे हितकार है।

    कुटकी के मोटे चूर्ण 100 ग्राम को 400 मि० लि० सुरासार मे मिलाकर 7 दिनो तक सुरक्षित रखें। फिर छानकर ३०-६० बूँद दिन मे तीन बार सेवन करने से रोज आने वाला या एक दिन छोडकर आने वाला विवन्धयुक्त विषम ज्वर पलायन कर जाता है।


    पाण्डुरोग एवं कामला में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder for Anemia and Jaundice

    (क) कटुका, त्रिफला , अमृता (गिलोय), अनन्तमूल का काढ़ा बना कर ठंडा होने के बाद शहद मिलाकर सेवन करने से पाण्डु(Anemia) रोग मिटता है।

    (ख) कटुका के यवकुट चूर्ण को जल मे पकाकर छानकर उसमे शहद मिलाकर सेवन करने से पाण्डु कामला मे लाभ होता है।

    (ग) कटुका चूर्ण को मूली स्वरस के साथ सेवन करे । उससे कामला गीघ्र शान्त होता है ।

    (घ) कटुका चूर्ण मे समभाग मिश्री मिलाकर कवोष्ण(गुनगुना) जल से सेवन करना भी कामला(Jaundice) मे हितकारी है।

    (ड) कटुका, त्रिफला , दोनो हरिद्रा और माण्डूर भस्म को समभाग लेकर घृत मधु (घी शहद बराबर मात्रा में ना लें) के साथ सेवन करना भी फलप्रद है।

    (च) कटुका, चिरायता, नीम की छाल, वासा, त्रिफला , गिलोय के क्वाथ मे मिश्री मिलाकर सेवन करने में भी पाण्डु कामलादि रोग दूर होते हैं ।

    (छ) कटुका, चिरायता, निम्बत्वक का शीतकषाय भी हितकर कहा गया है ।

    (ज) कटका. हरीतकी और लोहभस्म को एक माह तक सेवन करे। इसमे पाण्डु कामला रोग मिट जाते है।


    कास - श्वास में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder Benefits in Cough and Respiratory Problems

    ( क) कटुका तथा पीपल की छाल का संभाग चूर्ण हलके गर्म पानी के साथ सेवन करना श्वास- कास मे लाभप्रद है ।

    (ख) कटका काकड़ासिंगी और वासा का चूर्णं मधु के साथ सेवन करना भी हितावह है।

    (ग) कटुका एव भारंगी चूर्ण के प्रयोग से श्वास मे लाभ होता है ।


    हृदय रोग के लिए कुटकी चूर्ण | Kutki Powder for Heart Diseases

     ( क) कटुका, पुनर्नवा, चिरायता और सोंठ का क्वाय समस्त हृदय रोगो को दूर करता है। 

    (ख) मधुयष्टी(मुलेठी) के समभाग चूर्ण को धागे वाली मिश्री के शरबत से सेवन करे।  यह पैत्तिक हृदय रोग नाशक है।

    (ग)  कटुका चूर्ण को मधु मे मिलाकर सेवन करने मे कफपित्तजन्य छर्दि(उल्टी गिरना) का शमन होता है ।


    आमवात के लिए कुटकी चूर्ण के फायदे | Kutki Powder Benefits in Arthritis

    [क] कटुका चूर्ण को गुड की चासनी के साथ सेवन करे।

    [ख] कुटक चूर्ण, अतीस, चित्रक, देवदारु और हरीतकी का चूर्ण बनाकर कुछ समय सेवन करना आमवात लाभप्रद है ।

    [ख] कटका, सौफ और मोठ का चूर्ण भी अग्नि- माद्यहर है।


    आध्मान में कुटकी | Kutki Powder for Bloating/Gas

    कुटकी, हरीतकी , अतीस और चित्रक का चूर्ण उष्ण जल मे सेवन करें।


    उदरशूल में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder for Stomach Pain

    [क] कटुका, चित्रक, हरड़, वच चूर्ण को गोमूत्र मे सेवन करने पर कफजन्य शूल का शमन होता है ।

    [ख] कटका और  कालीमिर्च का चूर्ण भी उदर शूल को मिटाता है।

    [ग] कटका, कालीमिर्च, भुने हुये सहिजने का गोंद सेवन करने से उदरशूल दूर होता है।

    [घ] कुटकी, मुलैठी, त्रिफला और अमलतास का क्वाथ भी उदरशूलहर है।



    रक्तविकार रोग में कुटकी | Kutki Powder for Blood Purification

    [क] कटुका, चोभचिनी, नीम, त्रिफला और गिलोय का काढ़ा रक्तविकार को मिटाता है।

    [ख] कटुका, मजीठ, दारूहल्दी, नीम की ओर त्रिफला का चूर्ण बनाकर सेवन साधारण जल के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। 

    [ग] कटुका, सारिवाद्वय और मुण्डी का क्वाथ भी रक्तविकार मे लाभप्रद है।

    [घ] कटुका, सोंठ, सुगन्धवाला, अनन्तमूल और नागरमोथा के चूर्ण को कुछ समय तक सेवन करने से रक्तशुद्धि होती है।


    गलगण्ड रोग में कुटकी | Kutki Powder Benefits for Thyroids Gland Problem

    कटुका चूर्ण को पकी हुई घिया की गिरी के साथ पीसकर सेवन करें। गलगंड या घेंघा रोग, थायरॉइड ग्रंथि की असामान्य वृद्धि को कहते हैं। 


    विबन्ध रोग में कुटकी | Kutki Powder for Constipation Problem

    [क] कटुका, हरड़, अमलतास, निशोथ और आमलक का क्वाथ विबन्ध मे हितकर है। विबंध का मतलब है, मल के मार्ग में रुकावट या रुकावट होना। 

    [ख] कटुका चूर्ण मे समभाग मिश्री मिलाकर उष्ण जल से सेवन करना हितकर है। 


    अरुचि रोग में कुटकी | Kutki for Loss of Appetite

    [क] कटुका चूर्ण मे थोडा सा कालानमक मिलाकर सेवन करे।

    [ख] कटुका, त्रिकटु, नागरमोथा, इन्द्रजौ और चित्रक का चूर्ण भी लाभप्रद है।


    संग्रहणी में कुटकी चूर्ण प्रयोग | Kutki Powder for IBS

    (क) कुटकी चूर्ण, चिरायता, पटोलपत्र, नीम और पित्तपापडा का चूर्ण भैंस के मूत्र से सेवन करने से कफज संग्रहणी नष्ट होती है।

    (ख) कुटजारिष्ट का सेवन भोजन करने के 15 मिनट बाद दो चमच्च लेकर इसमें दो ही चमच्च पानी मिला कर दिन में दो बार सेवन करें। 

     

    स्तन्यन्यूनता में कुटकी के फायदे | Kutki Powder to Increase Breast Milk

    (क) कटका एक ग्राम, जीरक एक ग्राम, शतावरी दो ग्राम और मिश्री पांच ग्राम दुग्ध मे मिलाकर सेवन करने से नारी के दुग्ध मे वृद्धि होती है।

    (ख) केवल कुटकी और शतावरी दो दो ग्राम चूर्ण लेकर मिश्री मिलाये हुए दूध के साथ सेवन करने से दूध बढ़ता है। 


    वसामेह में कुटकी | Kutki Powder to Treat Lipuria

    कुटकी और कूठ का क्वाथ बनाकर सेवन करने से वसामेह का शमन होता है।  


    अण्डवृद्धि में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder to Treat Varicocele Problem

    कुटकी का चूर्ण एक चौथाई चमच्च में दो चमच्च गाय का घृत मिला कर खड़ा होकर सेवन करें।


    अपतन्त्रक में कुटकी | Kutki Powder for Hysteria Disease

    भुनी हुई कुटकी, सर्जक्षार तथा हिंग्वाष्टक चूर्णं समभाग लेकर सेवन करने से अपतन्त्रक आदि वातरोगो मे मल शुद्धि होकर लाभ होता है।


    कंठरोग के लिए कुटकी | Kutki Powder for Throat Problems

    कटका, हरिद्रा, इन्द्रयव, त्रिफला सोंठ, पटोलपत्र और गिलोय का क्वाथ कठरोगो मे लाभ- प्रद है |


    तृषा में कुटकी | Kutki Powder for Frequent Thirst Problem (Polydipsia)

    बार बार प्यास लगती हो तो कुटकी और नीम की अन्तर छाल का क्वाथ तृषा रोग को मिटाता है।


    हिक्का में कुटकी | Kutki Powder to Stop Hiccups 

    कुटकी चूर्ण और स्वर्णगैरिक को शहद के साथ सेवन करे। 


    मेदोरोग में कुटकी | Kutki Powder to Loose Weight

    कटका  चूर्ण और त्रिफला चूर्ण दोनों बराबर मात्रा में मिला कर सुबह खली पेट जल के साथ सेवन करें। 


    रक्तपित्त में कुटकी प्रयोग | Kutki Powder for Internal Bleeding like Hemorrhage

    कटुकी का चूर्ण और मधुयष्टिका(मुलैठी) चूर्णं दोनों बराबर मात्रा में लेकर दूध या जल के साथ सेवन करें यह रक्तपित्त मे हितावह है ।


    कृमिरोग दूर करने के लिए कुटकी | Kutki Powder for Stomach Worms

     कटुका चूर्ण और विडङ्ग चूर्ण बराबर मात्रा में आधी आधी चमच्च लेलें, इसको दो चमच्च शहद मिला कर पेस्ट बना कर सेवन करना कृमिहर है।


    वातरक्त ठीक करने के लिए कुटकी | Kutki Powder for Uric Acid Problem

    [क] कटुका, वासा और अमृता का क्वाथ नित्य सुबह खाली पेट सेवन करना वातरक्तहर है।

    [ख] कटका, पटोल, शतावर, त्रिफला और अमृता(गिलोय) का क्वाथ भी लाभ पहुँचाता है ।


    उरुस्तम्भ में कुटकी | Kutki Powder to Treat Stifness in Thighs

    कटका और त्रिफला का सम- भाग चूर्ण आधी आधी चमच्च लेकर दो चमच्च शहद के साथ नित्य सुबह खाली पेट सेवन करे।


    मसूरिका के लिए कुटकी | Kutki Powder for Measles Disease

    कटका, यवासा और पित्त पापडा साडी चीजें बराबर लेकर इसका क्वाथ का सेवन मसूरिका मे लाभदायक है।


    जलोदर में कुटकी | Kutki Powder To Treat Ascites Disease

     जलोदर याने पेट में पानी भर जाना इसके लिए कुटकी चूर्ण और पुनर्नवा चूर्णं बराबर मात्रा में आधी आधी चमच्च लेकर जल के साथ सेवन करने से जलोदर मे लाभप्रद है।


    विसर्प में कुटकी | Kutki Powder for Erysipelas Disease 

    कटुका, नीम, वासा त्रिफला , चिरायता, पटोलपत्र और चन्दन का क्वाथ विसर्पहर है । 


    अम्लपित्त में कुटकी | Kutki Powder for Acidity

    कटका, पटोलपत्र और त्रिफला सब बराबर मात्रा में लेकर इसके क्वाथ मे मिश्री मिलाकर सेवन करे।


    बालरोग में कुटकी | Kutki Powder Benefits for Kids Diseases

     [क] मिट्टी मेकुटकी का स्वरस या फिर क्वाथ की भावना देकर खिलाने से बालक मिट्टी खाना छोड़ देता है।

    [ख] कटका को भूनते हुये जलाकर इस भस्म को मधु से चटाने से उल्टी होकर बालको का कास(खांसी) मिट जाता है।

    [ग] भुनी हुई कुटकी का चूर्ण आधा ग्राम की मात्रा मे सुखोष्ण जल या शहद के साथ सेवन कराने से बालको के ज्वर, शोथ, कृमि, अरुचि, उदर- विकार, कब्ज आदि दूर हो जाती हैं। 


    Eczema और Psoriasis में कुटकी के फायदे | Kutki Powder to Treat Eczema and Psoriasis

    कुटकी चूर्ण और चिरायता के चूर्ण को आपस में मिला कर रख लें, इस मिक्सचर की आधी चमच्च चूर्ण रात को आधे गिलास पानी में डाल कर रख दें, अगले दिन सुबह खाली पेट इसका सेवन करलें। फिर ऐसी ही एक और खुराक सुबह बना लें और उसका सेवन शाम को खाली पेट कर लें। मात्र एक से दो महीने में रिजल्ट दिखने लग जाता है। तीखी, नमकीन और खट्टी चीजों को परहेज करना चाहिए। 


    कुटजारिष्ट के फायदे | Benefits of Kutjarisht in Hindi

    दो चमच्च की इसकी मात्रा लेकर इसमें दो ही चमच्च पानी मिला कर भोजन के 15 मिनट बाद दिन में दो बार सेवन करने से बुखार, वात रोग, अग्निमांध, अरुचि, श्वास, दमा, खांसी, संग्रहणी, दस्त, खुनी दस्त, बवासीर, पित्त विकार, High BP आदि रोगों में लाभदायक है।  





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