Pet Ke Sabhi Prakar ke Rogo ka Gharelu Ilaj | पेट दर्द, कब्ज, गैस, अपच, दस्त, संग्रहणी का घरेलु इलाज

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उदर(पेट) रोग

उदर रोग पाचन क्रिया अव्यवस्थित होकर उदर रोगों को जन्म देती है। उदर में कई प्रकार के रोग होते हैं, जैसे—- अपच, कब्ज , मन्दाग्नि का होना, भूख लगना, अम्लपित्त, पेट दर्द, पेचिश, आँव-मरोड़ इत्यादि। घर में मौजूद सामान्य औषधियों द्वारा हम पेट की सामान्य व्याधियों से छुटकारा पा सकते हैं- 

पेट दर्द ठीक करने के लिए घरेलु उपचार

👉हरड़ को घी में भूनकर, पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में गरम जल से सेवन करें, पेट से गैस बहार हो जाती है और पेट का दर्द भी ठीक हो जाता है। 
👉1 चम्मच जीरे को पीसकर शहद या मिश्री से लें, पेट दर्द मिट जाता है। 
👉1 चम्मच तुलसी का रस और 1⁄2 चम्मच अदरक का रस गरम करके पीने से पेट का दर्द दूर हो जाता है।
👉मूली के 2 चम्मच रस में 4 दाने काली मिर्च पीसकर मिला दें, फिर इसमें 1 चुटकी नमक मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द, अफारा मिट जाता है।
👉थोड़ी हींग घिसकर नाभि पर लगाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
👉पके हुए जामुन का 4 चम्मच रस पीने से पेट का तेज दर्द ठीक हो जाता है। 1 चम्मच अजवायन, 1 चुटकी हींग पाउडर और 2 चुटकी काला नमक गरम पानी से पी लें, पेट दर्द नहीं होगा।
👉4-5 अमरूद की कोंपलें पानी में पीसकर नियमित पीने से, पेट के रोग मिट जाते हैं।
👉 एक चमच्च अजवायन, एक चुटकी हींग पाउडर और दो चुटकी काला नमक इसको गर्म पाने के साथ पी लें कुछ ही देर में पेट का दर्द ठीक हो जायेगा। 


अपच ठीक करने के लिए घरेलु उपचार

👉प्याज का 2 चम्मच रस सेवन करने से अपच दूर होता है।
👉1 लौंग, 1 हरड़ और 1 चुटकी सेंधा नमक का काढ़ा अजीर्णता को दूर करता है।
👉जीरा 1 चम्मच, सेंधा नमक 1⁄2 चम्मच और पिसी हुई काली मिर्च 1⁄2 चम्म मिलाकर दही या छाछ के साथ लेने पर अपच खत्म हो जाती है।
👉लहसुन 2 नग, अदरक 1 ग्राम, पुदीना, धनिया, कालीमिर्च, जीरा और नमक 2 ग्राम लेकर चटनी बनाकर सेवन किया जाये तो, खाया हुआ शीघ्र पच जात और भोजन में रुचि उत्पन्न होती है।
👉1 चम्मच राई के साथ 1⁄2 चम्मच मेथी दानों को मिलाकर छाछ के साथ खां उदर रोगों का नाश हो जाता है।
👉2 चम्मच कुलत्थ के पत्तों का रस सेवन करने से अपच मिट जाता है। 
👉केले की सब्जी या पके हुए केले अधिक मात्रा में प्रयुक्त करने से अपचता में होता है।
👉2 चम्मच ग्वारपाठा के रस के साथ 4-4 चम्मच नमक और नौसादर मिला खाने से पेट की जठराग्नि तीव्र हो जाती है अर्थात् भूख लगने लगती है।
👉कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से अग्निमांद्य ठीक हो जाता है।


दस्त ठीक करने के लिए घरेलु उपचार

👉जामुन के पेड़ की छाल दस्तों में बहुत उपयोगी होती है। छाल का 1-1 चम्म जामुन चूर्ण ठण्डे पानी से लें।
👉बिल्व का फल या रस सेवन करने से दस्तों में लाभ होता है।
👉हरी दूब का रस और दूध मिलाकर ठण्डे पानी के साथ पीने पर दस्त शीघ्र बंद हो जाते हैं। 
👉2 रत्ती अफीम का पानी गरम पानी से लेने पर दस्त बन्द हो जाते हैं।
👉अधिक दस्त हो रहे हों तो लौकी का रायता (बिना मिर्चवाला) खाने से लाभ मिलता है।
👉इमली के बीजों को पानी में घिसकर 2-2 चम्मच सुबह-शाम लेने से दस्त बंद हो जाते हैं।
👉2 ग्राम पाषाणभेद को दही के साथ लेने से दस्त रुक जाते हैं।
👉5 ग्राम ईसबगोल को आधा पाव दही में बिलोकर प्रातः काल बिना खाये लेने से दस्त बंद हो जाते हैं।
👉तिजारे (पोस्त डोडे) 2 ग्राम, सौंफ 2 ग्राम और मिश्री 2 चम्मच पीसकर लें, दस्त रुक जायेंगे।
👉1 चम्मच खसखस के साथ 1 अखरोट की मिंगी को खाने से पेट की मरोड़ एवं ऐंठन ठीक हो जाती है।
👉यदि पुरानी आँव की शिकायत हो तो, 1 गिलास नीबू की शिकंजी या छाछ के साथ 1⁄2 चम्मच मेथी चूर्ण का सेवन करें, शीघ्र लाभ होगा।
👉सेब के छिलकों को छीलकर अल्प मात्रा में काली मिर्च पाउडर या इलायची पाउडर . के साथ खाने से पेट की मरोड़ में आराम हो जाता है।
👉आम की 1 कच्ची गुठली को पीसकर, अनारदाना, सौंफ और धनिया 1/2-12-11⁄2 चम्मच मिलाकर पीने से खूनी पेचिश ठीक हो जाती है।
👉1⁄2  चम्मच फिटकरी और 1 ग्राम अफीम को पीसकर 1 चम्मच ईसबगोल मिला लें, इस चूर्ण को लेने से आँव ठीक हो जायेगी।
👉1⁄2 चम्मच बबूल का गोंद और 1 चम्मच मिश्री पाउडर खाने से मरोड़ ठीक हो जाती है।


उल्टी रोकने के लिए घरेलु इलाज

👉1⁄2 गिलास गन्ने का ताजा रस और 1⁄2 नीबू का का रस पीने से वमन ठीक हो जाता है।
👉4 लौंग पीसकर 1⁄2 कप ठण्डे पानी के साथ पीने से उल्टी रुक जाता है।
👉बर्फ का पानी और चावल का माँड 1⁄2-1⁄2 कप मिलाकर पीने से उल्टी का वेग ठीक हो जाता है।
👉जायफल को पानी में घिसकर नाभि और ललाट पर लगाने से उल्टी ठीक हो जाती है। 
👉बिल्व के पत्तों का रस 1 चम्मच एवं सेंधा नमक 1⁄2 चम्मच डालकर ठण्डे पानी से पीयें तो उल्टी आना बंद हो जाती है।
👉छोटी मधुमक्खी के 2 चम्मच शहद को 1⁄2 कप ताजा पानी में घोलकर पीने से वमन रोग नहीं होता है।
👉यदि गर्मी लगकर उल्टी हो रही हो तो तरबूज का 1⁄2 गिलास रस पीना हितकारी होता है। 
👉नारंगी का रस, चकोतरा, नीबू, इमली, आम के पत्तों का रस सभी 2-2 ग्राम की मात्रा में मिलाकर लेने से उल्टी ठीक हो जाती है।
👉पीपल 1 नग, पुदीना की 10 पत्तियाँ तथा 2 नग इलायची को पानी में उबालकर छान लें, इस पानी को ठण्डा करके पीने से उल्टी का नाश हो जाता है।

गैस बनना (वायु रोग) के घरेलु उपचार

👉जिस भोजन से गैस, बादी और अजीर्णता हो उस भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। 
👉20 ग्राम ग्वारपाठा का गूदा भूनकर जरा-सी अजवायन डालकर खाने से वायु विकार स्वतः नष्ट हो जाते हैं।
👉त्रिफला चूर्ण 1 चम्मच एवं राई पाउडर 1⁄2 चम्मच को भोजन के बाद लेने से गैस नहीं बनती है।
👉भोजन के बाद 3-4 बूँद दालचीनी का तेल रसगुल्ले में डालकर सेवन करने से वायु रोग ठीक हो जाता है ।
👉नाभी प्रदेश के आसपास सरसों का तेल या हींग पाउडर लगाने से गैस ठीक हो जाती है।
👉मूली का रस 1⁄2 चम्मच, हींग 1 चुटकी, सेंधा नमक 1⁄2 चम्मच मिलाकर भोजन के बाद लेने से गैस ठीक हो जाती है।
👉1 चम्मच हरड़ को 1⁄2 कप गौमूत्र के साथ लेने पर सप्ताह भर में पेट की वायु क नाश हो जाता है। इसे भोजन के पश्चात् सेवन करना श्रेष्ठ होता है। 
👉10 मुनक्का को आग में भूनकर खाने से गैस बनना बंद हो जाती है।


कब्ज ठीक करने के लिए घरेलु उपचार

👉अमलतास का गूदा 1 चम्मच, गुलकन्द 1 चम्मच मिलाकर लेने से कब्ज ठीक जाती है।
👉रात्रि को 1 चम्मच हरड़ पाउडर गरम पानी के साथ लेकर सोने से कब्ज ठीक जाती है।
👉गिलोय चूर्ण 1⁄2 चम्मच और गुड़ या चीनी 1 चम्मच मिलाकर खाने से कब्ज रहती है।
👉20 ग्राम काले चने और 20 ग्राम मूँग को अंकुरित करके खाने से कब्जियत ठीक होती है। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभप्रद है ।
👉रात को 1 कप पानी में 4 अंजीर भिगोकर प्रातः काल सेवन करने से कब्ज ठी हो जाती है।
👉सौंफ, बनफ़शा, बादाम की गिरी, सनाय, जामुन की गुठली, तिल के बीज सभी 5-5 ग्राम लेकर पाउडर बना लें। भोजन के आधा घंटे बाद 1 चम्मच पाउडर को गरम पानी से सेवन करें, कब्ज ठीक हो जाती है।
👉रात को ताम्र पात्र का 2 गिलास जल पीने से पेट के समस्त विकार दूर हो जाते हैं।
👉रात को सोते समय 1⁄2 चम्मच सोनामुखी ( सनाय) को एक नागरबेल के पान में रखकर खाने से पेट साफ हो जाता है।
👉गुलाब के ताज़ा फूलों का रस 2 चम्मच, पके हुए चावलों के साथ शक्कर मिलाकर खाने से पेट साफ हो जाता है।
👉अरंडी का 4 ग्राम तेल 200 ग्राम गरम दूध में मिलाकर रात्रि को सेवन करें।
👉1 चम्मच रामजटा का चूर्ण पानी में पीसकर दिन में 2-3 बार देने से कब्ज दूर जाता है। 
👉3 चम्मच ईसबगोल को आधा पाव गरम दूध में मिलाकर दोपहर भोजन के बाद लेने से दस्त साफ हो जाता है।
👉सोनामुखी 10 ग्राम, रसौत 10 ग्राम में 2 चम्मच शहद या शक्कर मिलाकर ऊपर से दलिया या खिचड़ी खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।


अम्लपित्त (Acidity) ठीक करने के लिए घरेलु नुस्खे

👉मूली के 2 चम्मच रस में 1 चम्मच शक्कर मिलाकर खाने से खट्टी डकारें शांत हो जाती हैं। 
👉1 चम्मच गिलोय के चूर्ण में 2 चम्मच शक्कर मिलाकर खाने से पित्त कम बनता है। 
👉1 गिलास पानी में आधे नीबू का रस मिलाकर पीने से पित्त में काफी आराम आता है। 
👉नारियल का पानी और चावल का मांड 1⁄2-1⁄2 कप मिलाकर पीने से एसिडिटी शांत हो जाती है।
👉गुलकंद 1 चम्मच सौंफ 2 चम्मच, छोटी इलायची 2 नग, तीनों को 1⁄2 गिलास पानी के साथ पीने से अम्लपित्त का नाश होता है।
👉आधा कप गिलोय स्वरस प्रातःकाल पीने से एक सप्ताह में अम्लपित्त ठीक हो जाता है। 
👉अदरक, सौंफ, धनिया — तीनों की 1-1 चम्मच मात्रा के साथ 1⁄2 चम्मच मिश्री मिलाकर खाने से पित्त नष्ट हो जाता है।
👉आधा आधा चम्मच जौखार को दिन में 3-4 बार खाने से अम्ल बनना बंद हो जाता है। 
👉पुदीना, जीरा, धनिया और सेंधा नमक को इमली के शरबत के साथ पीना अम्ल को खत्म करने वाले कहे गये हैं।
👉सुबह खाली पेट 1 गिलास पानी में 2 चम्मच मूली का रस मिलाकर पीने से पित्त शांत हो जाता है।
👉शहद के साथ पतले फुलके (रोटी) 7 दिन तक सेवन करें, और कोई चीज न खायें, अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
👉खाने का सोडा 2 ग्राम और नीबू का रस 1⁄2 ग्राम को 200 ग्राम पानी में मिलाकर पीयें। यह अम्लपित्त नाशक है।


संग्रहणी(IBS) ठीक करने के लिए घरलू इलाज 

👉इस रोग में आंतों के भीतर दूषित पदार्थ इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे रोगी को बार-बार शौच जाना पड़ता है। ऐसी अवस्था में निम्न प्रयोग प्रयुक्त करें- 
👉1 चम्मच सौंठ पाउडर के साथ 1⁄2 चम्मच मिश्री मिलाकर खाना हितकर है। 
👉5 ग्राम छोटी पिप्पली का सेंधा नमक और नीबू के रस के साथ सेवन करने से संग्रहणी ठीक हो जाती है।
👉बेलगिरी चूर्ण 1 चम्मच और 1 गिलास मट्टे का नियमित प्रयोग करने से संग्रहणी रोग दूर हो जाता है।
👉जीरा, हींग, अजवायन, पीपल और काला नमक का 1⁄2 चम्मच चूर्ण सब्जी में डालकर प्रयुक्त करने से संग्रहणी से लाभ होता है ।
👉20 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम शक्कर, 5 ग्राम काली मिर्च, 5 ग्राम सौंठ चूर्ण और 5 ग्राम पिप्पली का चूर्ण बनाकर प्रातः सायं 1-1 चम्मच चूर्ण को नीबू के रस के साथ सेवन करने से हर प्रकार की संग्रहणी ठीक हो जाती है।
👉काबुली हरड़ (पीली हरड़) को रात्रि में भिगोकर रखें। प्रातः इस हरड़ को इसी पानी में थोड़ा-सा रगड़ें और नमक मिलाकर पीयें। यह नुस्खा पेट को बार-बार मल क्रिया आने से बचाता है।
👉1 ग्राम अफीम, 1 ग्राम अभ्रक, 5 ग्राम लौह भस्म को मिलाकर 14 गोलियाँ बनाकर भोजन से पूर्व 1-1 गोली 7 दिनों तक सेवन करने से संग्रहणी रोग पूर्णतया नष्ट हो जाता है।


विसूचिका (हैजा) ठीक करने के लिए घरेलु इलाज

👉हैजा रोग उल्टी और दस्त लाने वाला रोग है। इसमें दस्त चावल के माण्ड के समान सफेद होने लगता है एवं पेट में सुई चुभने की-सी पीड़ा होती है। 
👉सौंठ, अजवायन, पुदीना, कालीमिर्च को समभाग पीसकर 1⁄2 - 1⁄2 चम्मच की मात्रा में रोगी को गरम जल के साथ पिलायें ।
👉रोगी के सिरहाने लहसुन छीलकर फैला दें। इस प्रयोग से हैजा के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
👉रोगी को सौंफ और इलायची अर्क सेवन से लाभ मिलता है।
👉पानी में कर्पूर धारा मिलाकर रोगी को बार-बार पिलाते रहना इस रोग में हितकारी होता है।
👉रोगी के शरीर पर राई का लेप करें। इससे शीघ्र ही उल्टी और दस्त आने बंद हो जाते हैं। 
👉1 चम्मच शक्कर, 1⁄2 चम्मच नमक, 1⁄2 चम्मच नीबू रस को मिलाकर रोगी को बार-बार पानी के साथ पिलाते रहें, जिससे शरीर में जलीय भाग कम नहीं होगा।
👉कच्चे आम को उबालकर उसमें प्याज का रस मिला लें—इससे रोगी की हथेली और तलुओं पर मालिश करें। इस क्रिया से हैजा में आराम मिलता है।
👉जायफल को पानी में थोड़ा-सा घिसकर माथे पर लेप करें इससे हैजा ठीक होता है। 
👉पेशाब कम आ रहा हो तो 1⁄2 कप पानी में 1⁄2 चम्मच खाने का सोडा मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब खुलकर आता है।


उदर कृमि (पेट के कीड़े) मारने के लिए घरेलु नुस्खे

👉10 दिनों तक प्रातः काल कच्ची गाजर खायें ऐसा करने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं। 
👉बच्चों को 2 चम्मच नारियल का तेल 1⁄2 कप दूध में मिलाकर पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
👉नीबू के पत्तों का रस 10 ग्राम, शहद 10 ग्राम लेकर दोनों को मिलाकर 10 दिनों तक नियमित पिलाने से पेट के सभी कृमि खत्म हो जाते हैं।
👉अरण्ड के पत्तों का रस गुदा मार्ग पर लगाने से चुन्ने काटने बंद हो जाते हैं । 
👉बायविडंग 15 ग्राम, कमेला 10 ग्राम, ढाक के बीज 5 ग्राम लें। पीसकर पाउडर तैयार करें। 1⁄2 - 1⁄2 चम्मच पाउडर की गुड़ के साथ गोलियाँ बना लें। 2-2 गोली प्रात: काल गर्म पानी एवं सायंकाल अरण्ड के तेल के साथ रोगी को दें। यह पेट के कीड़ों की अद्भुत दवा है।
👉1⁄2 चम्मच बायविडंग का चूर्ण रसगुल्ले के अन्दर भरकर रोगी को खिला दें। पेट के सारे कीड़े गुदा मार्ग से बाहर हो जायेंगे।

उदर रोग में क्या खायें / क्या नहीं खायें

👊हरी सब्जियाँ, मूली, पालक, मेथी, लौकी, तोरई, परवल आदि का सेवन हितकारी है। रेशे वाली चीजें अधिक मात्रा में सेवन करें। 
👊आटे की रोटी के साथ चोकर युक्त रोटी अवश्य लें। दोपहर के खाने के बाद हल्का आराम करें तथा रात्रि भोजन के पश्चात् 1 या 2 किलोमीटर तक टहलें। 
👊मिर्च-मसाले, गरिष्ठ भोजन, मछली, अंडा आदि का सेवन कभी न करें। दिन में 4 या 5 गिलास पानी अवश्य पीयें। 
👊सर्दी की ऋतु में गुनगुना पानी पी सकते हैं। फ्रिज में मौजूद भोजन, पुरानी साग-सब्जी, दाल आदि नहीं खायें । सदैव ताजा और पौष्टिक भोजन करें।

👊मन में क्रोध, ईर्ष्या का भाव, तनाव, लोभी वृत्ति का त्याग करें। फास्ट फूड कभी न खायें क्योंकि 'जैसा खाये अन्न वैसा होये मन' ।
👊फलों में अमरूद, आम, आँवला, अंगूर, खरबूजा, खुबानी, पपीता, जामुन, नाशपती, बील, मौसमी, सेब, संतरा आदि का मौसमानुसार सेवन करें। 
👊चावल, कड़े पदार्थ, तैलीय भोजन, खटाई, रबड़ी, मेवे, पेड़ा, बेसन की चीजों का सेवन न करें। सलाद का प्रयोग नित्य करें।
👊भोजन के साथ पानी न पीयें, पूर्ण भोजन लेने के कम से कम 1 घंटा बाद पानी पीयें। भोजन करते समय रोटी का प्रत्येक ग्रास अच्छी तरह चबा-चबाकर खायें। ग्रास के साथ मुँह से जितनी अधिक लार पेट में जायेगी, भोजन उतनी शीघ्रता से हजम होगा। पुरानी कहावत है कि जितने हमारे दाँत हैं उतना ही प्रत्येक ग्रास को चबाना चाहिए।


Reference Book- अनुभूत चिकित्सा योग
- वैध केदारनाथ शर्मा जी
प्रांतीय संयोजक
आरोग्य भारती, जयपुर 

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