Vaat Rogon ka Ayurvedik Ilaj | Ghutno mei Dard | Gathiya | Lakwa | Back Pain

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वातजन्य रोगों की चिकित्सा

आयुर्वेद के मतानुसार वायु से 80 प्रकार के रोगों का जन्म होता है। वात दोष प्रकुपित हो कर नाना प्रकार के रोगों को जन्म दे देती है। वायु से होने वाले प्रचलित रोगों में से मुख्य रोग– गठिया (जोड़ों का रोग), कमर दर्द, लकवा, शरीर में भारीपन और सूजन, घुटनों की बीमारियाँ, शरीर में शिथिलता एवं सुन्नपन आदि हैं।


इसका निराकरण हम निम्नलिखित उपायों से कर सकते हैं। थोड़ी-सी सावधानी हमें वायुजन्य रोगों से बचा सकती है। गठिया ( आमवात )

आयुर्वेद के मतानुसार यह अत्यन्त कष्टसाध्य रोग है, जिसमें रोगी को जोड़ों में अत्यन्त वेदना सहनी पड़ती है गलत खान-पान एवं अधिक परिश्रम करना रोग को आमंत्रित करता है।



गठिया (आमवात) Arthirits का आयुर्वेदिक इलाज

अश्वगंध (असगन्ध), चोपचीनी और सूखे आँवले - तीनों समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। रात्रि में सोते समय 4 ग्राम चूर्ण दूध या पानी से लें। यह गठियानाशक होता है। 

★ शुद्ध कुचला और काली मिर्च दोनों को पान के रस में घोलकर 1-1 रत्ती की गोलियाँ बना लें। प्रातः - सायं अदरक के रस से सेवन करें। हर प्रकार के गठिया रोगों में यह लाभप्रद है।

★ सौंठ और गिलोय दोनों समभाग लेकर, चूर्ण बनाकर 3-3 ग्राम की मात्रा में गरम पानी के साथ सेवन करें। 1 माह में गठिया रोग से छुटकारा मिल जाता है। 

★ गन्धक आँवलासार शुद्ध 10 ग्राम, पीली हरड़ छिलका 10 ग्राम, बहेड़ा छिलका 20 ग्राम, इन सभी को अरण्ड के 10 ग्राम तेल में मिला लें। प्रतिदिन 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। 1 सप्ताह में गठिया शांत हो जाती है।

★ बथुआ के ताजा पत्तों का रस 10-10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन पीने से गठिया नष्ट हो जाती है। कम-से-कम 3 माह तक प्रयुक्त करें।

★ गुग्गुल और अफीम समान मात्रा में लेकर पीसें, गर्म करके सेवन करने से गठिया ठीक हो जाती है।

★ इन्द्रायण की जड़, कुचला शुद्ध और कालीमिर्च, तीनों को समभाग लेकर बारीक पीस लें, फिर शुद्ध शहद में घोटकर चने के आकार की गोलियाँ बना लें। एक गोली रात्रि में सोते समय ताजा पानी के साथ खायें। गठिया और वायु के दर्दों के लिए यह उपचार अत्यंत श्रेष्ठ है।

★ मालकांगनी लाकर साफ कर लें। पहले दिन एक दाना, दूसरे दिन 2 दाने, तीसरे दिन 3 दाने खिलायें। इस प्रकार बढ़ाते हुए 60 दानों तक ले जायें। फिर एक-एक दाना घटाते हुए । दाने पर आ जायें। इस प्रकार करने से जोड़ों का दर्द, वातव्याधि और कफ के विकार नष्ट हो जाते हैं।

★ 2 चम्मच पीपल के वृक्ष की छाल को 1⁄2 कप पानी में औटाकर पीने से गठिया रोग जड़ से नष्ट हो जाता है।

★ 5 ग्राम कपूर और 1 ग्राम अफीम दोनों को सरसों के तेल में पकाकर गठिया के अंगों पर सुबह-शाम मालिश करें। ऐसा करने से शीघ्र लाभ होगा।

★ प्याज का रस और राई का तेल समान मात्रा में मिलाकर प्रभावित अंगों पर मालिश करने से शीघ्र लाभ होगा।

★ लहसुन के रस में यूकेलिप्टस तेल की मालिश से गठिया में टेढ़े हुए अंग भी ठीक हो जाते हैं।

★ गुग्गुल 80 ग्राम, गुड़ 100 ग्राम को कूट कर 21 दिनों तक 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रातः - सायं लेने से सभी प्रकार की गठिया ठीक हो जाती है।

★ 250 ग्राम की एक पोथी लहसुन, दूध 1 किलोग्राम को औटाकर मावा तैयार कर लें, इसमें 500 ग्राम शक्कर मिला लें। 25-25 ग्राम वजन के लड्डू तैयार कर लें, फिर नियमित सेवन करने से गठिया रोग मिट जाता है।



सरण चलना या हाथ-पैरों में दर्द

★ 50 ग्राम अश्वगंध में समान मात्रा में शक्कर या मिश्री मिलाकर रोजाना एक चमच्च चूर्ण दूध के साथ खाने से हाथ-पैरों की सरण चलना ठीक हो जाता है।

★ अरंडी का तेल 1 चम्मच, गुड़ 5 ग्राम, आटा 20 ग्राम लेकर देशी घी में भूनकर खाने से हाथ-पैरों में सरण चलना ठीक हो जाता है।

★ 100 ग्राम शतावर को कूटकर चूर्ण तैयार कर लें-पाव भर दूध के साथ रोजाना 1-1 चम्मच खाने से हाथ-पैरों की नसों में ताकत आ जाती है और सरण चलना ठीक हो जाता है। खासकर महिलाओं की के लिए उत्तम है। 

★ 20 ग्राम बादाम की मिंगी को रात को भिगोकर सुबह छीलें, उसमें दुगुनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसमें 20 ग्राम सफेद मूसली का पाउडर मिलाकर देशी घी में भून लें। तैयार दवा में से 2-2 चम्मच चूर्ण गरम पानी या दूध के साथ सेवन करें। 

★ पोस्त की डोडी और बैंगन को पानी में गरम कर उस पानी में हाथ-पैर रखने उनका दर्द मिट जाता है। यह अनुभूत नुस्खा है।



बाँयटे का आना का आयुर्वेदिक इलाज

★ 250 ग्राम तारपीन के तेल में 5 ग्राम कपूर मिलाकर जहाँ दर्द हो वहाँ मलें। दर्द एवं बाँटे मिट जायेंगे।

★ अश्वगंध, शतावर एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह-शाम सोने से पहले दूध के साथ खाने से बाँटे मिट जायेंगे।

★ सेब या आँवले का एक मुरब्बा नियमित बासी मुँह खाने से बाँयटे नहीं आते हैं। 

★ सोने से पूर्व आँवला चूर्ण 1 चम्मच और हल्दी पाउडर 1⁄2 चम्मच मिलाकर खाने से हाथ-पैरों का सुन्नपन एवं बाँयटे ठीक हो जाते हैं।




शरीर एवं हाथ-पैरों का सूनापन का आयुर्वेदिक इलाज

★ शरीर पर बादाम के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों का सूनापन मिट जाता है। 

★ पीपल के पेड़ के पत्तों को गरम पानी में उबालकर स्नान करने से शरीर का सुन्नपन निश्चित रूप से ठीक हो जाता है। अनुभूत नुस्खा है।

★ सेंधव तेल की मालिश से शरीर का सुन्नपन जाता रहता है।

★ प्रभावित अंग पर सौंठ पाउडर की मालिश करने से सुन्न हुए हाथ-पैर ठीक हो जाते हैं। 

★ बिल्व पत्र, पीपल और चित्रक को समान मात्रा में मिलाकर पीसें रात को इसका 1 चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से 200 ग्राम गरम दूध पी लें। सुबह हाथ-पैरों में सूनापन खत्म हो जायेगा।

★ 10-10 नग काली मिर्च और बड़ी इलायची को पानी में पीसकर शरीर पर मालिश करें, सूनापन मिट जाता है।

★ 1 चम्मच चोपचीनी, 1⁄2 चम्मच पीपरामूल और 10 ग्राम मावा तीनों को मिलाकर गरम दूध के साथ खाने से शरीर में वायु से उत्पन्न सूनापन मिट जाता है।



शरीर में सूजन का आना का आयुर्वेदिक इलाज

★ शरीर में सूजन आने की स्थिति में प्रभावित अंग पर मुलतानी या काली मिट्टी क लेप करें, सूजन शीघ्र खत्म हो जाती है।

★ सूजन पर हल्दी, चूना, शहद व नमक का सम मात्रा में मिश्रित लेप लगान फायदेमंद है।

★ करेले का रस 4 चम्मच और मकोय का अर्क 4 चम्मच मिलाकर गरम करके पी सूजन शीघ्र ठीक हो जाती है।

★ आलू के छिलकों को उबालकर सूजन वाले स्थान पर रखने या सेंकने से सूजन मि जाती है।

★ सौंठ और 10 वर्ष पुराना गुड़ समान मात्रा में लेने पर सूजन खत्म हो जाती है 

★ 4-4 चम्मच अनन्नास एवं तरबूज का रस पीने से सूजन मिट जाती है। 

★ मेथी की पत्तियों के रस एवं सरसों तेल को गरम पानी में डालकर स्नान करने शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।

★ अरहर की दाल को पीसकर गरम सेंक करने से शरीर की सूजन मिट जाती है। 

★ प्रतिदिन दाना मेथी के एक लड्डू का सेवन; सूजन का समूल नाश करता 



कमर दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

★ सरसों के तेल में थोड़ी-सी अफीम डालकर पकायें। कमर पर इस तेल की मालिश करें। कमर दर्द खत्म हो जाता है। ( अनुभूत नुस्खा है | )

★ सौंठ पाउडर 1 चम्मच एवं गरम दूध 200 ग्राम को औटाकर पीयें, इसके सेवन से कमर का दर्द, वायु का दर्द खत्म हो जाता है।

★ 2 छुआरा एवं 5 ग्राम गुग्गुल मिलाकर लेना दर्द की तीव्र अवस्था में अत्यंत लाभकारी होता है।

★ सहजन के पत्तों के रस को पानी में मिलाकर गरम करके नहाने से कमर दर्द ठीक हो जाता है।

★ राई, सरसों, अजवायन और तिल को समान मात्रा में लेकर पीस लें और कमर पर मसलें। कमरदर्द मिट जाता है।

★ 10 ग्राम पोस्त तथा 5-5 ग्राम सौंठ एवं कालीमिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1-1 चम्मच चूर्ण सुबह-शाम खाने से कमर दर्द ठीक हो जाता है। 

★ स्त्रियों के कमर दर्द में 2-2 अमरसुन्दरी वटी लेने से आशातीत लाभ होता है। 

★ हालू, अजवायन, कलौंजी, मेथी - सबको बराबर मात्रा में लेकर और कूट-पीसकर 5 ग्राम दवा पानी के साथ फाँक लें। यह दवा जोड़ों का दर्द, सर्दी तथा बादी की बीमारियों, कमर दर्द आदि में लाभकारी है। इस दवा को शरीर का राजा कहा जाता है । 

★ प्रातः निराहार अखरोट को छीलकर गिरियाँ खाने से घुटनों, पीठ व कमर के दर्द में आराम मिलता है। 15-15 ग्राम गिरियाँ प्रतिदिन खायें।

★ ग्वारपाठा का रस 1⁄2 कप और अरण्ड का तेल 2 चम्मच मिलाकर रात को 1⁄2 कप गरम पानी में मिलाकर पीने से कब्ज टूटता है एवं वायु से उत्पन्न कमर की पीड़ा शांत हो जाती है।

★ 50 ग्राम आँवला को 200 ग्राम पानी में रात को सकोरे में भिगो दें। सुबह उसके निधारे पानी में 60 ग्राम शक्कर मिलाकर पीयें। ऐसा 2 सप्ताह तक करें। बादी, कमर दर्द, गठिया सभी रोग मिट जायेंगे।



पक्षाघात (लकवा) का आयुर्वेदिक इलाज

★ काली मिर्च  को तिल्ली के तेल में पीसकर इस तेल को प्रभावित अंग पर लगायें। 

★ अत्यन्त महीन पिसी हुई 10 नग काली मिर्च  और 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर लकवाग्रस्त अंगों पर लेप करें।

★ प्रातःकाल नाक के दोनों नथुनों में अखरोट का तेल लगायें। 1-2 माह तक निरंतर प्रयोग करें। ऐसा करने से शीघ्र लाभ होगा।

★ विषमुष्टि1 भाग, काली मिर्च  3 भाग लेकर दोनों को अत्यन्त बारीक पीस लें, फिर पानी का छींटा देकर कालीमिर्च के आकार की गोलियाँ बना लें। एक गोली प्रातः काल मक्खन, हलुआ, घी या शहद में मिलाकर प्रयुक्त करें।

★ तुलसी के पत्तों को उबालकर उसकी भाप से लकवाग्रस्त अंगों की सिकाई करनी चाहिए। यह अत्यन्त लाभप्रद है।

★ कलौंजी के तेल और गरम सरसों के तेल को समान मात्रा में मिलाकर मालिश करना; लकवे के रोगी के लिए लाभदायक है।

★ कबूतर की बीट को तिल्ली के तेल में मिलाकर रोगी के शरीर पर मालिश करें। 

★ 2 नग छुआरा और प्याज का रस 1 चम्मच को गरम जल में घोटकर प्रतिदिन पीने से पक्षाघात के रोगी को लाभ होता है।

★ सौंठ का चूर्ण 1 चम्मच, दालचीनी का चूर्ण 1⁄2 चम्मच शहद 2 चम्मच - तीनों मिलाकर खाने से लकवा ठीक हो जाता है।

★ सर्पगन्धा की जड़ 1 चम्मच, चोपचीनी 1 1⁄2 चम्मच, त्रिफला 1⁄2 चम्मच मिलाकर खाने से पक्षाघात की तीव्र अवस्था में भी फायदा होता है।

कौंच के बीज 1 किलोग्राम को दूध में भिगोकर, छील - पीस कर बड़े बनाकर घी में तलें। दिन में 3 बार 1-1 बड़ा गरम दूध से लें । लकवा अवश्य मिटेगा । 

★ सौंठ 30 ग्राम, असगंध 30 ग्राम और मालकांगनी 30 ग्राम तीनों को कूट छान कर 250 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार 10-10 ग्राम गरम करके पीयें तो लकवा पूर्ण ठीक हो जायेगा ।

★ 50 ग्राम शुद्ध किये हुए कुचला को देशी घी में छोंक कर तैयार कर लें। 1⁄2 चम्मच पाउडर देशी घी के साथ लेना चाहिए। यह पक्षाघात को ठीक करने की श्रेष्ठ दवा है।




घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

★ बचा का पाउडर 1 चम्मच प्रतिदिन 1⁄2 कप उष्ण जल के साथ खाने से 2 माह में पुराने से पुराना घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।

★ 250 ग्राम लौकी उबालकर उसमें 2 चम्मच फिटकरी चूर्ण मिलाकर ठण्डा होने पर उस पानी से पैरों को तर करने से घुटनों की पीड़ा का नाश होता है।

★ सुबह खाली पेट 2 अखरोट और 4 बादाम का सेवन घुटनों को ताकत देता है एवं घुटनों में आने वाली खराबी से बचाव करता है।

★ 1 तोला गुग्गुल को तोला 1 गुड़ में मिलाकर खाने से घुटनों की सूजन एवं दर्द में अत्यन्त लाभ होता है।

★ बबूल के गोंद को निम्बोली के रस के साथ घुटनों पर मालिश करने से लाभ होता है।

★ 2 चम्मच दानामेथी रोज रात को भिगोकर रख दें, प्रातः काल दानामेथी को मथकर उसका पानी पीने से घुटनों एवं वायु विकार में लाभप्रद होता है।

★ भोजन में खीरा, लहसुन, अजवायन का प्रतिदिन प्रयोग करने वाले व्यक्ति को घुटनों की पीड़ा नहीं सताती है।

★ 1 तोला सुरंजान मीठी और तोला गुग्गुल की 10 पुड़िया बनाकर पुड़िया को गरम दूध से सेवन करने पर जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है। 

★ धतूरे की कोंपल, आक की कोंपल और अरण्ड की कोंपल तीनों सम भाग लेकर घोट लें और पीसकर चने के आकार की गोलियाँ बना लें, प्रतिदिन 3 गोली गर्म जल के साथ सेवन करें।

★ 1 चम्मच चोपचीनी, 1⁄2 चम्मच पीपरामूल चूर्ण और 1⁄2 चम्मच ताजा मक्खन को गरम जल के साथ मिलाकर लेने से वायु सम्बन्धी अनेक व्याधियाँ निर्मूल हो जाती हैं। 

★ पीपल के रस की छाल का 1⁄2 1⁄2 चम्मच चूर्ण प्रतिदिन गरम जल से सेवन करना घुटनों में ताकत देने वाला होता है।

★ कनेर के फूल, कायफल और प्याज का रस तीनों को मिलाकर तिल्ली के तेल में पका लें। इससे तैयार किये गये तेल को जोड़ों पर हल्का-हल्का मलें। जोड़ों में सूजन और दर्द ठीक हो जाता है।

★ धतूरे के पत्तों का भुर्ता बनाकर दर्द की जगह पर गरम-गरम बाँधने से घुटनों का सा दर्द, चोट का दर्द ठीक हो जाता है।

★ घुटनों पर मिट्टी का तेल मलने से तीव्र पीड़ा शांत हो जाती है।

★ तुलसी के 5 ग्राम स्वरस में 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।

★ प्रतिदिन एक मूली के सेवन से घुटनों की सूजन, दर्द शीघ्र ठीक हो जाता है। पोस्त के डोडों का 1⁄2 कप काढ़ा पीने से घुटनों की पीड़ा का नाश हो जाता है। 

★ 1 ग्राम कचूर और 1 ग्राम सौंठ को बारीक पीसकर सहजन के पत्तों के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है।




वात रोग में क्या खायें / क्या नहीं खायें

★वात के रोगियों को ऐसा भोजन नहीं करना चाहिए जो वात (वायु) की वृद्धि करते हैं। 

★साधारण भोजन में पुराने चावल, लहसुन, करेला, बैंगन तथा सहजन का प्रयोग अधिक करें दूध, दही, मछली, उड़द की दाल, बड़े, कचौड़ी, मूली, गोभी आदि का प्रयोग न करें रात को हल्का भोजन करके जल्दी सो जायें तेज धूप तथा पुरवाई हवा में न घूमें। 

★गरमी के मौसम में सुबह तथा सर्दी में शाम को घूमना अच्छा रहता है। रात का रखा हुआ तथा फास्ट फूड न खायें। पेट को साफ रखें तथा कब्ज न बनने दें। पुराना जौ, कच्चा केला, चौलाई, काली गाजर, परवल, बकरी, घोड़ी तथा  गाय का दूध इस रोग में बहुत लाभकारी है मल-मूत्र आने पर तुरन्त उनका त्याग करें। 

★रात में दूध के साथ ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें। रात्रि में अरण्ड का तेल खाने में प्रयुक्त करें।


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