प्रदर क्या होता है
औरतो में एक प्रकार का पानी योनि में से निकलता रहता है और सफ़ेद भी हो सकता है खून के साथ भी मिल के आता है और हल्का नीला पीला भी हो सकता है. यह बहुत बदबूदार होता है और यह औरतों में दुर्बलता ला देता है. इसी को सफ़ेद पानी आना भी बोलते हैं.
सफ़ेद पानी क्यों आता है लड़कियों को | Causes Of White Discharge In Hindi
1. विरुद्ध आहार खाना खाने से
2. शराब पीने से
3. अधशयन याने के पहले का खाना बिना पचे ही दोबारा फिर खाना खा लिया जाये
4. या हर एक आधे घंटे में खाना खाने से
5. गर्भपात(miscarriage) होने से,
6. बहुत ज्यादा सम्भोग करने से
7. बहुत अधिक ट्रेवल करने से
8. अधिक पैदल चलने से
9. डिप्रेशन में रहने से
10. बहुत ज्यादा उपवास करने की वजह से शरीर की धातु कमजोर हो जाने से
11. बहुत ज्यादा वजन उठाने से
12. चोट लगने से
13. दिन में अधिक सोने से
यह सब safed paani aane ka reasons है
Safed pani ke lakshan | Symptoms of White Discharge in Hindi
सभी प्रकार के प्रदर में
👉अंगो का टूटना
👉शरीर में दर्द होना
👉शारीरिक दुर्बलता
👉चक्करआना
👉बेहोशी होना
👉प्यास अधिक लगना
👉शरीर में जलन का होना
👉आलस आना आदि
प्रदर के प्रकार | Types of Pradar in Hindi
1. कफज प्रदर:- कफ जब शरीर में बढ़ जाता है तब गेहूं के पानी जैसे रंग का, मॉस के पानी के रंग जैसा, शुद्राधान्य चावल के रंग जैसा पानी निकलता है।
2. पित्तज प्रदर:- पित्त जब शरीर में बढ़ जाता है उसके कारन जब परदार होता है उसमे नीला, काला रक्त जैसे रंग का और गरम होता है और बहुत ज्यादा पानी निकलता है।
3. वातज प्रदर:- वात जब शरीर में बढ़ जाता है तब उसमे साफ़, हरा, झागदार, थोड़ी थोड़ी सुई चुभने के जैसे पीड़ा भी होती है, और माँ धोये हुए जल के जैसा रंग भी होता है।
4. त्रिदोष प्रदर:- तीनो दोषो जब शरीर में बढ़ जाते हैं तब शहद मिले हुए घी के जैसे रंग का, हल्का ब्राउन कलर रहता है और मरे हुए मुर्दे के जैसे इसमें दुर्गन्ध आती है।
5. रक्त प्रदर:- इसमें महिलाओं के योनि से रज निकलता है उसमे रक्त भी आता है। इसके अंदर चिपचिपाहट होती है, दुर्गन्ध आती है। यह मासिक धर्म से पहले, बीच में या बाद में हो जाता है। रोग जब अधिक बढ़ जाता है तब रक्त अधिक निकलता है और कई कई दिन तक निकलता है।
कफज प्रदर की चिकित्सा
काकजंघा की जड़ (काकजंघा की जड़) का रस शहद और लोध के चूर्ण में मिला के सुबह शाम खली पेट पीने कफज प्रदर ठीक होता है.
पित्तज प्रदर की चिकित्सा
इलाइची, शालपर्णी, द्राक्षा, खास, कुटकी, लाल चन्दन, काला नमक, सारिवा और लोध सभी को बराबर मात्रा में लेके मिक्स कर लें. इन सब का मिक्सचर लेके 5 ग्राम की मात्रा में लेके शहद के साथ चाटने से पितज प्रदर ठीक होता है.
वातज प्रदर की चिकित्सा
सोंठ(2 gram), मुलेठी(2 gram), तिल का तेल(2 chamach), सफ़ेद धागे वाली मिश्री(2 gram) और गाये का दही एक कटोरी, इन सबको मठ लो अच्छे से और इसका सुबह शाम खली पेट सेवन करने से वातज प्रदर ठीक होता है।
त्रिदोष प्रदर की चिकित्सा
त्रिफला, सोंठ और दारुहल्दी बराबर मात्रा में लेके, सबके मिक्सचर का 10 ग्राम चूर्ण लेके 2 गिलास पानी में डाल के खूब उबालो, जब आधा गिलास बच जाये तब इस काढ़े को उतार के छान लो ठंडा होने के बाद शहद मिला के सुबह शाम खली पेट पीने से त्रिदोष प्रदर ठीक होता है।
Safed paani ka ilaj:-
1. जंगली अंजीर के फलों के 5 ग्राम चूर्ण शहद और धागे वाली मिश्री मिला के छोटी छोटी गोलियां बना लें, इस वटी को सुबह रात खाना खाने के एक घंटे बाद सेवन करने से सफ़ेद प्रदर ठीक होता है।
2. आंवले का चूर्ण या आंवले का रस में शहद मिला के पीने से सफ़ेद पानी की समस्या अवश्य ठीक होती है।
3. एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच घी मिला के उसको केले के साथ खाने से सफ़ेद प्रदर की बीमारी ठीक होती है।
4. कच्चा टमाटर और मूली को सलाद में खाने से और प्याज का रस में शहद मिला के चाटने से सफ़ेद पानी से निजात मिलती है।
5. तुलसी के रस में शहद में मिला के चाटने से भी आराम मिलता है।
Shwet pradar ki ayurvedic chikitsa:-
1. गिलोय और शतावर बराबर मात्रा में लेके उसका काढ़ा सुबह शाम खाली पेट पीने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
2. अशोक पेड़ की छाल का काढ़ा(100 ml काढ़ा लेना है) और औटाया हुआ लगभग 1 गिलास गाये का दूध या ज्यादा भी ले सकते हैं अगर पी सकते हो तो। इसको सुबह शाम खाली पेट पीने से बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ प्रदर रोग भी जल्दी ठीक हो जाता है।
3. अशोक पेड़ की छाल का चूर्ण और रसवत का चूर्ण बराबर मात्रा में लेके (दोनों का मिक्सचर 5ग्राम) चावल के पानी में पीसकर फिर उसमे एक चम्मच शहद मिला के पीने से श्वेत प्रदर जल्द ठीक हो जाता है।
यही सब सफ़ेद पानी की दवा है।
3 दिन में भयंकर से भयंकर दोनों तरह प्रदर का इलाज
1. कुश की जड़ को चावल के पानी के साथ पीसकर मात्र तीन दिन खाली पेट सुबह शाम पिलाने से दोनों तरह के प्रदर ठीक होते हैं।
2. भूमि आंवला की जड़ अगर जड़ न मिले तो इसका 5 ग्राम चूर्ण खाके ऊपर से चावल का पानी सुबह शाम खाली पेट पीने से मात्र 3 दिन में ही चाहे कितना ही क्यों न बढ़ा हो कितना भी भयंकर हो दोनों तरह के प्रदर ठीक होते हैं।
3. धाय के फूल और सुपारी के फूलों को सामान भाग लेके विधिपूर्वक काढ़ा बना के सुबह शाम खाली पेट पीने से 3 दिन में चाहे कितने भी बढे हुए प्रदर क्यों न हो सब तरह के प्रदर ठीक होते हैं।
अन्य चिकित्सा
पवित्र स्थान से उत्पन हुई व्याघ्रनखी के उत्तर दिशा में गयी हुई जड़ को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में विधि पूर्वक उखाड़ कर कमर पर बांधने से सब तरह के प्रदर रोग नष्ट होते हैं।